For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

छोटी सी दुनिया में खुशी की तलाश

हर इंसान की अपनी एक छोटी सी दुनिया है। जिसमें वह अपनी हैसियत के मुताबिक रहता है। एक खुशी की तलाश में वह यहां-वहां भटक रहा है। खुशी भी क्या, बस वह जी-तोड मेहनत के बाद मालूम चलता है कि आज यह कमी है, कल को इसका पूरा करना है। अगले दिन कोई और ही दुख सामने खड़ा दिखाई देता है। सिर्फ कहने भर की बातें होती है हम तुम्हारे साथ है, हम सब एक है। सच्चाई यह है कि कोई किसी के साथ नहीं है यहां तक कि वह भी जो उसके अपने होते है, जिनके साथ वह बचपन से खेलता-कूदता हुआ बड़ा हो जाता है। वह भी अपनी-अपनी छोटी दुनिया में रच-बस गए होते है, उनके पास तो इतना भी समय नहीं होता है कि दो बोल प्यार से बोल कर थोड़ी सी हिम्मत ही बढ़ा। उल्टा जब भी मिलेंगे, दो-चार कड़वी सी बातें बोल कर दिल और दुखा देते है। हर जगह माहौल में तनाव ही तनाव पसरा रहता है। तनाव इस बात को लेकर रहता है कि परिजनों की आवश्यकताएं पूरी करने के लिए पर्याप्त धन की कमी रहती है। यह तनाव हमेशा मन को अशांत रखता है. यही छोटी-छोटी बातें और हर इंसान की दुनिया मिलकर एक बड़ी दुनिया बनाते है। जहां के हाल तो और भी खराब है, बस सब कुछ चल रहा है। अब कैसे चल रहा है किसी को मालूम नहीं। सब एक-दूसरे से आगे बढ़ने कोशिश में बिना सोचे-समझे भागते जा रहे है। भागते हुए किसी को टक्कर लगे, कोई गिरे या मरे उनकी बला से। ईमानदारी, नैतिकता और प्यार, सब शब्दों और बातों में सिमट कर रह गया है। गमगीन व उदास माहौल में योग्य व समझदार इंसानों की बातें दिल को सुकून देती है, सिर्फ उतनी ही देर जितनी देर वह सामने रहते है। उनके जाते ही उनकी बातें भी हवा हो जाती है और रह जाता है तो सिर्फ एक सवाल कि आखिर यह सब कब तक चलता है रहेगा या जिंदगी के कठिन रास्तों पर चलते हुए कभी अपनी खुशी हासिल कर पाएंगे?

Views: 684

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 6, 2012 at 12:13am

मंथन के लिये उत्प्रेरणा. 

हरीशभाईजी, आपकी प्रस्तुति के कई विन्दु तथ्यपरक हैं.  मन की सतह और गहराई की वैचारिकता में अंतर हुआ करता है.  इसकी गहराई में डूबा व्यक्ति उन अनुभूतियों से विलग हो जाता है जो उसे इसकी सतह पर आतंकित करती सी प्रतीत होती हैं.

आपकी इन क्षणिकाओं से इस मंच के पाठकों के सामान्य विचार-प्रवाह को  क्रियात्मक दिशा मिले, इसी अपेक्षा से आपको सादर धन्यवाद देता हूँ.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 5, 2012 at 11:35pm

हरीश जी जँहा अपेक्षा होती है वहीँ उपेक्षा भी होती है अतः इंसान कोई अपेक्षा ना करते हुए अपना फर्ज अपना धर्म निभाता जाए तो मन में संतोष रहेगा आपकी रचना अपने मन से विचार विमर्श को मजबूर कर रही है आज के दौर में हर किसी के मन की यही स्थिति है जिसका निवारण हमे ही करना है |बढ़िया प्रस्तुति |


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on July 5, 2012 at 12:29pm
अगर एक भिक्षुक , दूसरे भिक्षुक से भिक्षा मांगे तो वो क्या पायेगा? ...... निश्चय ही खाली हाथ रह जाएगा...
ऐसा ही हम भी सोचते हैं... हमें लगता है कि दूसरों के पास हमारी खुशियाँ हैं., अगर पत्नी ऐसा करेगी तो मैं अशांत हो जाऊँगा, अगर बेटा ऐसा करेगा तो मुझे खुशी होगी, यानी.. जिससे मेरी ईगो तृप्त होती है, वहां मुझे खुशी मिलती है...
यही दूसरे भी मेरे बारे में सोचते है, अगर मैं ऐसा करूँ, तो उनको खुशी मिले, या मैं ऐसा नहीं करता इस कारण से वो दुखी हैं.
और असंतुष्टियों के जाल में हम सब फँसते चले जाते है..

असल में मैं ही बेवजह खुद को भिक्षुक मानता हूँ, जबकि मेरे खुद के पास प्यार का, खुशियों का इतना बढ़ा भण्डार है, जिसे में सारी उम्र बांटता रहूँ तो भी वो ख़त्म न हो.....
जिस पल हम अपने हाथ कुछ भी लेने के लिए नहीं, वरन देने के लिए बढाते हैं, वहीं से खुशियाँ आनी शुरू हो जाती हैं.

खुशी की तलाश रचना लिखने के लिए आपको हार्दिक बधाई आ. हरीश भट्ट जी
Comment by Rekha Joshi on July 5, 2012 at 12:11pm

हरीश जी ,यह सच है की हर इंसान ख़ुशी चाहता है और उसकी तलाश में भटकता रहता है ,अगर सोचा जाये तो ख़ुशी इधर उधर भटकने पर नही बल्कि अपने अंदर ही छुपी होती है अगर आप अपना कर्तव्य समर्पित , निष्ठां पूर्वक  निष्काम भाव से के रहे हो तब आपको अपने किये पर संतुष्टि होगी और वही आपकी ख़ुशी का कारण भी होगी ,शुभकामनाएं 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश जी बहुत शुक्रिया आपका सादर"
6 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीर जी  बहुत शुक्रिया आपका हौसला अफ़ज़ाई के लिए और बेहतर सुझाव के लिए सुधार करती हूँ सादर"
7 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय चेतन जी बहुत शुक्रिया हौसला अफ़ज़ाई के लिए आपका मक़्त के में सुधार की कोशिश करती हूं सादर"
8 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमित जी बेहतर इस्लाह ऑयर हौसला अफ़ज़ाई के लिए शुक्रिया आपका सुधार करती हूँ सादर"
9 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय लक्ष्मण जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल हुई आपकी बधाई स्वीकार कीजिये अमित जी और अमीर जी के सुझाव क़ाबिले…"
11 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमित जी नमस्कार बहुत ही लाज़वाब ग़ज़ल हुई बधाई स्वीकार कीजिये है शेर क़ाबिले तारीफ़ हुआ ,गिरह भी…"
13 minutes ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमित जी आदाब, और प्रस्तुति तक पहुँचने के लिए आपका आपका आभारी हूँ। "बेवफ़ा है वो तो…"
22 minutes ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
" आदरणीय मुसाफिर जी नमस्कार । भावपूर्ण ग़ज़ल हेतु बधाई। इस्लाह भी गुणीजनों की ख़ूब हुई है। "
1 hour ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीया ऋचा यादव जी नमस्कार । ग़ज़ल के अच्छे प्रयास हेतु बधाई।"
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय संजय शुक्ला जी आदाब, अच्छी ग़ज़ल हुई है मुबारकबाद पेश करता हूँ। तेरे चेहरे पे शर्म सा क्या…"
1 hour ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय Prem Chand Gupta जी आदाब  ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है। कृपया नुक़्तों का विशेष ध्यान रखें…"
1 hour ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"कू-ब-कू है ख़बर, हुआ क्या हैपर ये अख़बार ने लिखा क्या है । 1 जो परिंदे क़फ़स में जीते हैंउनको मालूम है…"
1 hour ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service