For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ये अंतर क्यों है ?

ओ सर्वव्यापी , ओ सर्वशक्तिमान
जब सब में है तू विद्यमान
तो इस दुनियाँ में ये
ऊँच-नीच का अंतर क्यों है ?

कोई कहे तुझे खुदा , कोई कहे तुझे भगवान्
करते जब सब तेरा ही गुणगान
तो इस मृत्युलोक  में
तेरे नाम में ये अंतर क्यों है ?

ओ सर्वरक्षक , सर्वगुणों की खान
कैसा है तेरा विधान
जब सब तेरे बनाये हुए हैं
तो ये गोरे काले का अंतर क्यों है ?

तू है सबका प्यारा , तू है सबसे महान
कोई पढ़े गीता यहाँ , कोई पढ़े कुरआन
पूजे जब हर कोई तुझको
तो ये हिन्दू -मुस्लिम का अंतर क्यों है ?

Views: 494

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Er. Ambarish Srivastava on September 13, 2012 at 11:31am

सुन्दर अभिव्यक्ति के लिए बहुत बहुत बधाई !

Comment by yogesh shivhare on September 13, 2012 at 11:21am

बहुत ही सुन्दर रचना  योगी जी ...बेहतरीन लाजवाब...

तू है सबका प्यारा , तू है सबसे महान
कोई पढ़े गीता यहाँ , कोई पढ़े कुरआन
पूजे जब हर कोई तुझको
तो ये हिन्दू -मुस्लिम का अंतर क्यों है ?


Comment by Yogi Saraswat on August 31, 2012 at 11:23am

बहुत बहुत आभार श्री फूल सिंह जी ! आपका सहयोग और समर्थन लगातार मिल रहा है ! मेरे लिए ख़ुशी की बात है ! सहयोग बनाये रखियेगा  ! धन्यवाद

Comment by PHOOL SINGH on August 28, 2012 at 4:58pm

योगी जी प्रणाम,

बहुत ही भावपूर्ण रचना के लिए धन्यवाद........

फूल सिंह

Comment by Yogi Saraswat on July 4, 2012 at 2:35pm

आदरणीय श्री भ्रमर साब  , सादर नमस्कार ! आपको मेरे शब्द पसंद आये और आपने कीमती विचार दिया  , बहुत बहुत आभार ! आपके आशिरवाद और सहयोग की कामना करता हूँ !

Comment by Yogi Saraswat on July 4, 2012 at 2:33pm

आदरणीय रेखा जोशी जी , सादर नमस्कार ! आपको रचना पसंद आई , बहुत बहुत आभार ! आपके आशीर्वाद और सहयोग की कामना करता हूँ !

Comment by Yogi Saraswat on July 4, 2012 at 2:32pm

आदरणीय श्री डॉ. सूर्य बाली जी , सादर नमस्कार ! आपको रचना पसंद आई , बहुत बहुत आभार ! सहयोग की कामना करता हूँ !

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on July 4, 2012 at 2:21pm

प्रिय योगी जी बहुत सुन्दर सन्देश देती रचना.... लेकिन काश ये अंतर कभी मिट पाता कुछ स्वार्थी लोग भाईचारे की जगह अपना उल्लू सीधा करते हैं लड़ाते रहते हैं 

कोई कहे तुझे खुदा ,कोई काहे तुझे भगवान् ?

प्रिय योगी जी आप का प्रश्नवाचक  अर्थ है
या कोई कहे  तुझे भगवान् ....

 

भ्रमर ५ 
Comment by Rekha Joshi on June 29, 2012 at 12:46pm

योगी जी ,सादर नमस्ते ,

कोई कहे तुझे खुदा , कोई काहे तुझे भगवान् 
करते जब सब तेरा ही गुणगान 
तो इस मृत्युलोक  में 
तेरे नाम में ये अंतर क्यों है ? ,बहुत बढ़िया रचना बधाई 
Comment by डॉ. सूर्या बाली "सूरज" on June 29, 2012 at 12:00pm

योगी भाई नमस्कार ! बड़े दिनो बाद इतनी सुंदर कविता पढ़ने को मिली...कहाँ ग़ायब हो गए थे?  मजहबी एकता को दरसाती हुई सुंदर रचना के लिए कोटी कोटी बधाइयाँ !

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।   ........   धरा चाँद जो मिल रहे, करते मन…"
6 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"आम तौर पर भाषाओं में शब्दों का आदान-प्रदान एक सतत चलने वाली प्रक्रिया है। कुण्डलिया छंद में…"
6 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post अस्थिपिंजर (लघुकविता)
"जिन स्वार्थी, निरंकुश, हिंस्र पलों का यह कविता विवेचना करती है, वे पल नैराश्य के निम्नतम स्तर पर…"
6 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"आदरणीय  उस्मानी जी डायरी शैली में परिंदों से जुड़े कुछ रोचक अनुभव आपने शाब्दिक किये…"
Thursday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
Wednesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
Tuesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

अस्थिपिंजर (लघुकविता)

लूटकर लोथड़े माँस के पीकर बूॅंद - बूॅंद रक्त डकारकर कतरा - कतरा मज्जाजब जानवर मना रहे होंगे…See More
Jul 29

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार , आपके पुनः आगमन की प्रतीक्षा में हूँ "
Jul 29

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई ग़ज़ल की सराहना  के लिए आपका हार्दिक आभार "
Jul 29
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Jul 27
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Jul 27
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय कपूर साहब नमस्कार आपका शुक्रगुज़ार हूँ आपने वक़्त दिया यथा शीघ्र आवश्यक सुधार करता हूँ…"
Jul 27

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service