For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

औरत वही जो औरों के हित देती अपनी क़ुरबानी 
नारी जीवन शीतल सा पानी और चंदा सी चांदनी ||
 
औरों के हित रत, खुद का तन तपता रेगिस्तानी 
आदमी का भ्रूण सहर्ष सैहती दे अपनी बच्चेदानी ||
 
औरत  त्याग की मूरत, ढक घूँघट में अपनी सूरत 
थकी-हारी मशीनरी सी करती सबकी पूरी जरुरत ||
 
अबला नहीं है औरत मत कुचलों कलियों का अरमान 
अहिल्या औ लक्ष्मी बाई का देख चुके हम बलिदान || 
-
-लक्ष्मण प्रसाद लडीवाला,जयपुर 

Views: 934

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on June 28, 2012 at 10:04am

स्नेहिल श्री अलबेला खत्रीजी, कुमार गौरव अजितेंदुजी, रेखा जोशीजी,राजेश कुमारीजी "औरत की क़ुरबानी" पर हम सभी नत मस्तक है और सभी माता के ऋण से मुक्त नहीं हो सकते | आप सभी का हार्दिक आभार और स्नेह बनाए रखने के लिए दर्दिक धन्यवाद

व्यंग दोहे "अर्थ तंत्र पर भारी" latest  blogs में छपने से रह गया कृपया पढ़ कर मार्ग दर्शन करे - लक्ष्मण प्रसाद लडीवाला 
Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on June 28, 2012 at 10:00am

स्नेहिल श्री अलबेला खत्रीजी, कुमार गौरव अजितेंदुजी, रेखा जोशीजी,राजेश कुमारीजी 

"औरत की क़ुरबानी" पर हम सभी नत मस्तक है और सभी माता के ऋण से मुक्त नहीं 
हो सकते | आप सभी का हार्दिक आभार और स्नेह बनाए रखने के लिए दर्दिक धन्यवाद 

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on June 28, 2012 at 8:45am

नारी के त्याग सहनशीलता ,वीरता बलिदान सभी का बहुत सुन्दर विश्लेषण किया है कुछ ही पंक्तियों में आपने ...बहुत उम्दा ..आपको हार्दिक   बधाई 

Comment by कुमार गौरव अजीतेन्दु on June 27, 2012 at 8:21pm
बिलकुल सही कहा आपने आदरणीय लक्ष्मण सर...
Comment by Rekha Joshi on June 27, 2012 at 8:07pm

आदरणीय लक्ष्मण जी ,

औरत  त्याग की मूरत, ढक घूँघट में अपनी सूरत 
थकी-हारी मशीनरी सी करती सबकी पूरी जरुरत |,नारी त्याग की मूर्ति है ,नारी पर बढ़िया रचना ,बधाई 
Comment by Albela Khatri on June 27, 2012 at 7:50pm

बहुत खूब लक्ष्मण प्रसाद जी.......

उम्दा कविता  ........

अबला नहीं है औरत मत कुचलों कलियों का अरमान 
अहिल्या औ लक्ष्मी बाई का देख चुके हम बलिदान ||

__बधाई !

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Sunday
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Sunday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Saturday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Saturday
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service