For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

खंडेला गाँव से गौरी गंगोत्री नगर उच्च सिक्षा हेतु आई जहां उसने विवेकानंद महाविद्यालय में दांखिला लिया | तीन वर्ष की अध्ययन अवधि में उसकी सुनीला के साथ मित्रता ही नहीं, बल्कि परिवार के लोगो के साथ भी अच्छा परिचय हो गया | धीरे धीरे सुनीला का भाई धर्मेन्द्र गौरी को चाहने लगा | धर्मेन्द्र के पिताजी प्रोफ. सोमेंद्रनाथ टेगोर महाविद्यालय से सेवा निवृत होगये | उन्होंने होनहार लड़की देखकर गौरी के पिता से अपने लडके धर्मेन्द्र का रिश्ता करने का प्रस्ताव् किया, जो गौरी के पिता ने गौरी की भावनाओ को देखते हुए स्वीकार कर लिया | रिश्ता पक्का समझ सगाई की संक्षिप्त रस्म कर दो माह पश्चात शुभ मुहूर्त में विवाह करना तय हो गया |
.
किन्तु सगाई की रश्म के पंद्रह दिन बाद ही गौरी ने अचानक सुबह सुबह उठते ही अख़बार में पढ़ा की प्रो. सोमेन्द्र के बड़े लडके नरेन्द्र अपनी पत्नी की इच्छा के विरुद्ध उसका गर्भपात कराने के जुर्म में शुभम लेबोरेटरी के डाक्टर पोंचू सक्सेना के साथ गिरफ्तार कर लिए गए | उसी वक्त गौरी ने सुनीला से बात कर जानकारी की, और अपने पिता से उसका उस परिवार में विवाह न करने का अनुरोध किया |धर्मेन्द्र ने गौरी को काफी समझाया क़ि भैया नरेन्द्र लड़की के खिलाफ नहीं है, वह तो पहला बच्चा लड़का चाहते थे, और जिस भ्रूण हत्या क़ि तुम बात कर रही हो,तो भी उसमे मेरा तो कोई हाथ नहीं है |
.
गौरी ने विवाह से स्पष्ट इंकार करते हुए धर्मेन्द्र से कहाँ क़ि भ्रूण हत्या जिस परिवार में हो, उसमे तुम्हारे भाई और तुम्हारे माँ-बांप क़ी सहमति का अर्थ बेटी जन्म पर तुम्हारे परिवार क़ी नकारात्मक सोच को दर्शाती है | और तुम्हारा तटस्थ रहना तुम्हे भी दोषी नहीं तो, सोच को तो दर्शाता ही है | गलत कार्य में तटस्थ रहना मेरी राय में पाप का भागीदार बनाता है |मुझे शहर के पढ़े लिखे युवक के बजाय भले ही गाँव के साधारण पढ़े लिखे युवक से विवाह करना पड़े,पर सभ्य और सुसंस्कृत परिवार के लडके से विवाह करना पसंद करूंगी | आप से मै अब अपना सम्बन्ध नहीं कर सकती, कृपया मुझे क्षमा करे |

-लक्ष्मण प्रसाद लडीवाला, जयपुर

Views: 457

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on June 8, 2012 at 2:00pm

तटस्थ रहना भी उतना ही अपराध है 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on June 7, 2012 at 6:51pm

राजेश कुमारीजी,अल्बेलाला खत्रीजी, रेखा जोशीजी, और आशीष यादवजी.

लघु कहानी "पाप के भागीदार" पर आपकी उत्साह्परक टिपण्णी के लिए 
आप सभी का हार्दिक धन्यवाद |

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on June 7, 2012 at 8:42am

लक्ष्मण जी सचमे वो समय आ गया है जब आज की युवा पीढ़ी लड़कियों को ही इस तरह का निर्णय लेना पड़ेगा |आपकी कहानी पढ़कर मुझे बहुत ख़ुशी हुई बधाई आपको |

Comment by आशीष यादव on June 7, 2012 at 12:26am
अच्छी लघु-कहानी। समाज मे इस तरह की बुराईयोँ का ऐसे ही विरोध होना चाहिए।
सन्देश-परक कहानी पर बधाई
Comment by Rekha Joshi on June 6, 2012 at 11:00pm

आदरणीय लक्ष्मण जी ,बहुत बढ़िया रचना है पाप के भागीदार ,हार्दिक बधाई |

Comment by Albela Khatri on June 6, 2012 at 9:23pm

बहुत बहुत  अभिनन्दन और  नमन आपको इस  दास्ताँ  के लिए

लक्ष्मण प्रसाद जी,
अब सचमुच ऐसा ही निर्णय लेने का समय आ चुका है .....
सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक- गाँठ
"भाई, सुन्दर दोहे रचे आपने ! हाँ, किन्तु कहीं- कहीं व्याकरण की अशुद्धियाँ भी हैं, जैसे: ( 1 ) पहला…"
19 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा सप्तक
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय लक्ष्मण धामी जी "
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा सप्तक
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं । हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"सादर नमस्कार आदरणीय।  रचनाओं पर आपकी टिप्पणियों की भी प्रतीक्षा है।"
Mar 1
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आपका हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी।नमन।।"
Feb 28
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आपका हार्दिक आभार आदरणीय तेजवीर सिंह जी।नमन।।"
Feb 28
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"बहुत ही भावपूर्ण रचना। शृद्धा के मेले में अबोध की लीला और वृद्धजन की पीड़ा। मेले में अवसरवादी…"
Feb 28
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"कुंभ मेला - लघुकथा - “दादाजी, मैं थक गया। अब मेरे से नहीं चला जा रहा। थोड़ी देर कहीं बैठ लो।…"
Feb 28
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आदरणीय मनन कुमार सिंह जी, हार्दिक बधाई । उच्च पद से सेवा निवृत एक वरिष्ठ नागरिक की शेष जिंदगी की…"
Feb 28
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"बढ़िया शीर्षक सहित बढ़िया रचना विषयांतर्गत। हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह जी।…"
Feb 28
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"रचना पटल पर उपस्थिति और विस्तृत समीक्षात्मक मार्गदर्शक टिप्पणी हेतु हार्दिक धन्यवाद आदरणीय तेजवीर…"
Feb 28
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"जिजीविषा गंगाधर बाबू के रिटायर हुए कोई लंबा अरसा नहीं गुजरा था।यही दो -ढाई साल पहले सचिवालय की…"
Feb 28

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service