For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

तीक्ष्ण और पवित्र बुद्धि 

तीक्ष्ण बुद्धि है कारगर, संसारी कांवे-दावे* में
क्षीण हो जाती है यह, सांसारिक भटकाव में |
 
तीक्ष्ण बुद्धि नहीं कारगर, परम पिता को पाने में,
पवित्र बुद्धि ही चाहिए, प्रभु से लगन लगाने में |
 
मात्र पढाई नहीं कारगर, पवित्र बुद्धि को पाने में, 
व्रत-उपवास सत्संग चाहिए, पवित्र बुद्धि को पाने में |
 
वाल्मीकि,तुलसी औ सूर नहीं थे उच्च शिक्षित 
उनकी पवित्र बुद्धि से लिखित,पढ़ते उछ शिक्षित |
 
*कांवे-दावे अर्थात चाले
-लक्ष्मण प्रसाद लडीवाला

Views: 377

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on June 6, 2012 at 4:53pm

 स्नेहिल श्री योगराज प्रभाकरजी,

मैंने तो सदगुरू से सुनी कथा के बनाए नोट के सारतत्व को 
काव्यात्मक  रूप देने का प्रयास भर ही किया है, इससे अगर 
सार्थक सन्देश मिल रहा है, और आप जैसे मनीषी द्वारा  
उत्साह वर्धन करना मेरे लिए सौभाग्य की बात है | आपका 
बहुत बहुत आभार | 

 


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on June 5, 2012 at 8:02pm

श्री लड़ीवाला जी बहुत सुन्दर और सार्थक सन्देश दे रही हैं आपकी यह द्विपदियाँ, हार्दिक साधुवाद स्वीकार करे.

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on June 5, 2012 at 6:59pm

अलबेला खत्रीजी, राजेश कुमारीजी, और रेखा जोशीजी,और प्रदीप सिंह कुशवाहजी रचना आप जैसे रसिक साहित्यकारों द्वारा पसंद करना रचना की सार्थकता बयां करती है | आप जैसे मनीषियों का मार्गदर्शन करने की मुझ में सामर्थ नहीं है, मैंने तो सदगुरू के मुखारविंद से सुनी कथा के सर तत्व को काव्य रूप देने का प्रयास भर किया है | मेरे उत्साह वर्धन किया, हार्दिक धन्यवाद |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on June 5, 2012 at 5:46pm

लक्ष्मण प्रसाद लडिवाला जी बहुत सुन्दर रचना एक सबक देती हुई 

Comment by Rekha Joshi on June 5, 2012 at 5:33pm

लक्ष्मण जी ,सादर नमस्ते ,

तीक्ष्ण बुद्धि नहीं कारगर, परम पिता को पाने में,
पवित्र बुद्धि ही चाहिए, प्रभु से लगन लगाने में |,बहुत बढ़िया ,बधाई 
Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on June 5, 2012 at 5:29pm

धन्यवाद महोदय जी, बहुमूल्य मार्ग दर्शन हेतु.

Comment by Albela Khatri on June 5, 2012 at 9:32am

आपने  बहुत ख़ूब  उदाहरण दिया है  लक्ष्मण प्रसाद लडीवाला जी...........जिन लोगों को  पढ़ कर हम विद्वान कहते हैं  वे लोग  कभी किसी  डिग्री के लिए कालेज  नहीं गये.  कबीर पर लोग पीएच. डी. करते हैं  लेकिन कबीर  "मसि कागद छुओ नहिं"

आपकी रचना  अनुपम है.........बधाई !

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Sunday
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Sunday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Saturday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Saturday
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service