कोशिशों के समंदर से कामयाबी के मोती ढून्ढ लायेंगे
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राष्ट्र को ही नहीं ,समूची मानवता को इस जीवन में कुछ नया देकर जायेंगे
really nice...
रोहित जी .. हौसलों से भरी रचना के लिए बधाई .. आदरणीय योगराज सर के कथन पे ध्यान दीजियेगा मुझे भी कुछ एसा लगा / प्रयास प्रशंसनीय है /
shukriya meharbani karam ...............योगराज प्रभाकरji SANDEEP KUMAR PATELji Yogi Saraswatji Rohit Singh Rajputji
@rohit Dubey ji...BAat to apne gehrai se ki hai...kuch kar gujarne ki tammna ka srot pradan kar dia h apki in panktiyo ne....
Utpechha alankar jhalak raha h ...tarfiokabil h ap
प्रेरणा देती सुन्दर रचना , रोहित दुबे जी ! बधाई
आपने बहुत खूब समंदर बनाया है कोशिशों का ..............बधाई हो
भाई रोहित जी, बातें आपने बहुत ही सुन्दर कही हैं इसमें कोई शक नहीं है. लेकिन कविता सपाट बयानी तक ही सीमित रह गई है, आप से इस से कहीं बेहतर की उम्मीद है. बहरहाल बधाई स्वीकार करें.
Rekha jee , Albela jee...........aap jaise guruon kaa ashirwad sath hai , to ab to isse bhi behtar praas karunga.......bahut bahut dhanyawad aapka
Rohit ji ,
परजीवियों की तरह रेंगेंगे नहीं , परिंदों की तरह उड़ के दिखलायेंगे
सम्मान्य रोहित दुबे योद्धा जी, आपकी कविता कोशिशों के समन्दर को बाँच कर सुकून मिला.
सचमुच एक योद्धा वाली बात है आपके कहन में.
मज़ा आ गया ये बाँच कर
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