For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आंदोलित विभिन्न कर्मचारी संगठनों ने अपनी मांगे सरकार से मनवाने हेतु व्यस्ततम  चौराहे को मानव श्रृंखला बना कर घेर दिये थे, मेरे नेर्तित्व में भी एक संगठन नारेबाजी और रास्ता अवरुद्ध करने मे संलग्न था, भीड़ में कुछ मरीजों के परिजन  अपनी गाड़ियों को आगे जाने देने के लिए गिड़गिड़ा रहे थे, राधे बाबू जोर जोर से सभी को निर्देशित कर रहे थे कि एक व्यक्ति को भी आगे नहीं जाने देना है, चाहे कुछ हों जाए | एकाएक राधे बाबू का स्वर बदला और कहने लगे कि जाने दो भाई मरीजों की गाड़ियों को जाने दो | मैं आश्चर्य से पूछ बैठा "अरे राधे बाबू ये क्या हो गया आपको,अभी तो आप कह रहे थे कि किसी को आगे नहीं जाने देना है चाहे जो हो जाए और अभी जाने देने को कह रहे है" 

राधे बाबू धीरे से बोले "उस भीड़ में मेरा भाई भी है जो पिता जी को डाक्टर के पास ले जा रहा है"

Views: 657

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by CA (Dr.)SHAILENDRA SINGH 'MRIDU' on April 30, 2012 at 5:23pm

बेहद सुदर और सन्देश परक कथानक, हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीय कुशवाहा सर


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on April 29, 2012 at 10:11pm

आदरणीय प्रदीप कुशवाहा जी, खुबसूरत कथानक पर बधाई स्वीकार करें | सुन्दर प्रस्तुति है |

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on April 29, 2012 at 1:38pm

आदरणीया राजेश कुमारी जी, सादर अभिवादन 

आपने भाव samjha और सराहना की, उत्साह बढ़ा. धन्यवाद.
Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on April 29, 2012 at 1:36pm

आदरणीय सिंह साहब जी, सादर अभिवादन . 

daanapur प्रकरण तो मेरे संज्ञान मैं नहीं आया. मेरी इसके पहले की पोस्ट अभी तक भुला नहीं पाया. ek सच्ची और मेरे सामने  घटित घटना है. ab  मैं   भी  कुछ  कहने की स्थिति में  नहीं हूँ. नियम अपने laabh को देखकर बनते और tode  जाते हैं. धन्यवाद.
Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on April 29, 2012 at 1:29pm

धन्यवाद aadarniya  भ्रमर जी, सादर सराहना हेतु. सारा श्रेय aadarniya  बागी जी को जाता है. 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on April 29, 2012 at 12:55pm

प्रदीप कुमार कुशवाह जी सच में ऐसे लोग गिरगिट ही होते हैं जो बहुत जहरीले भी होते हैं उनको केवल अपनों की ही चिंता रहती है |बहुत शिक्षाप्रद लघुकथा बधाई 

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on April 29, 2012 at 7:15am

आदरणीय महोदय, सादर अभिवादन!

आपको याद होगा कुछ साल पहले की घटना है - दानापुर में ऐसे ही बंद समर्थकों ने एक गरीब आदमी को, जो अपनी सायकिल  पर बिठाकर प्रसव पीड़ा पीड़ित अपनी पत्नी को अस्पताल ले जाना चाह रहा था, पर बंद समर्थकों ने उसे जाने नहीं दिया था और वो बेचारी सबके सामने सड़क पर ही बच्चा पैदा करने को मजबूर हुई थी. तब मैंने लिखा था-

बंद बंद और कितनी बंदें, बंद में हम हो जाते अंधे

अम्बुलेंस वे कहाँ से लाते,  सायकिल पर ही प्रसव कराते

बंदी वाले मीडिया वाले, देख देख कर हैं इतराते!

यहाँ तो राधे बाबु थे. वहाँ कोई कृष्ण नहीं आये थे!

और मैं क्या कहूँ आपने अच्छा दृष्टान्त प्रस्तुत किया है! आभार!

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on April 28, 2012 at 4:40pm

जाने दो भाई मरीजों की गाड़ियों को जाने दो ..... "उस भीड़ में मेरा भाई भी है जो पिता जी को डाक्टर के पास ले जा रहा है"

पहले तो रहस्यमय बना रहा की लोग बदल रहे हैं ......फिर माजरा अपने मेरे अपने समझ में आया काश लोग सब को अपना मान लें 

आदरणीय प्रदीप जी सुन्दर सन्देश देता ये लघु लेख बड़ा वृहद है .......जय श्री राधे --भ्रमर ५ 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Tuesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Apr 29
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Apr 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Apr 27
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service