For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मैं कौन हूँ ?

अनंत आकाश या अन्तरिक्ष का मौन हूँ 

धरती का श्रृंगार हूँ पाताल का आधार हूँ 

पर्वतों  में   हूँ   शिखर  पाषाण में  भगवान  हूँ

नदियों का पाट हूँ  निर्बाध उसका बहाव हूँ 

झरने सा पतन मेरा   झर झर  आवाज  हूँ

पक्षियों का कलरव हूँ उनकी ऊँची उड़ान हूँ 

समुद्र  की  लहर  हूँ    भीतरी  ठहराव हूँ

मस्त शीतल  पवन हूँ या उठता तूफ़ान हूँ 

रंगों में रंग हूँ  फूलता वसंत  हूँ

सीमा में बंटी धरती,  सिरमोर भारत   हूँ 

रंग हूँ रूप हूँ धरती का भूप हूँ 

धनवानों का वैबभ हूँ निर्धन की भूख  हूँ

नारी की कोमलता हूँ ममता  की मूरत हूँ 

दुखियों का दर्द  हूँ   शिशु की मुस्कान  हूँ 

पावस,  ग्रीष्म  शिशिर  हूँ  ऋतुओं  में ऋतुराज हूँ

सूरज का ताप  हूँ  चांदनी की शीतलता हूँ 

पानी का बुलबुला हूँ बिछी घास पर ओस हूँ 

मंदिरों की आरती मस्जिद की आजान हूँ 

नारी की शक्ति  हूँ कवि की अभिव्यक्ति हूँ 

कल्पना से परे जो  ईशवर की भक्ति हूँ 

शब्दों में शब्द हूँ ध्वनि में निशब्द  हूँ 

आचरण में पशु  हूँ  धरती का इंसान हूँ 

प्रश्नों  में प्रश्न  हूँ  अनुत्तरित उत्तर  हूँ

खोजता हर जगह  मृग  कस्तूरी की तरह 

वो है मेरे अन्दर  फिर भी अनजान हूँ 

कैसे पहचानूँ  की मैं कौन हूँ 

इसीलिए आज मैं मौन हूँ 

 

 

 

 

 

 

Views: 842

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on May 2, 2012 at 2:47pm

iish putri, sasneh

lagta hai, bhookhe marne ka irada bana liya hai. kya main kavi ban jaaon. mere pass to purani rachna ek bhi nahi bachi. nasht ho gayin thi varshon pahle. dhanyvaad. ye gyan o.b.o. main chapne vali laghukatha se prapt ho raha hai. dhanyvaad. 

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on May 2, 2012 at 2:43pm

snehi mahima ji, saadar.

dekho aap jhooti tarif nahi karna varna main aapko sahi salah nahi de sakoonga. dhanyvaad. 

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on May 2, 2012 at 2:41pm

snehi mridu ji, saadar.

aapko pasand aayi, mehnat safal hui. dhanyvaad. 

Comment by Sarita Sinha on May 1, 2012 at 3:33pm

आदरणीय कुशवाहा जी,नमस्कार,

सच है इंसान के अन्दर क्या कुछ नहीं है, फिर भी तलाश में मारा   मारा फिर रहा है...
कस्तूरी कुंडली बसे मृग ढूंढे चहुँ और...
बहुत उच्च कोटि की कविता  .....बधाई....
Comment by MAHIMA SHREE on April 30, 2012 at 5:48pm
सीमा में बंटी धरती, सिरमोर भारत हूँ

रंग हूँ रूप हूँ धरती का भूप हूँ

धनवानों का वैबभ हूँ निर्धन की भूख हूँ

नारी की कोमलता हूँ ममता की मूरत हूँ ......
आदरणीय प्रदीप सर ,
सादर प्रणाम ,
इतनी खुबसूरत कृति .... अदभुत ....
इतना प्रबाह ... इतना सुंदर ... इसे पढ़ कर आज मैं अभिभूत हूँ सर .....
बहुत अच्छा लगा .. पता नहीं कैसे मुझसे ये छुट गया था ..
बधाई स्वीकार करे सर ..
Comment by CA (Dr.)SHAILENDRA SINGH 'MRIDU' on April 30, 2012 at 5:30pm

अपने आप को पहचानने की कोशिस करती बहुत ही सुन्दर कृति, हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीय कुशवाहा सर

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on April 29, 2012 at 2:32pm

aadarniya singh sahab ji, saadar abhivadan. 

aap agar maun rahenge to main pahchanunga kaese 

sneh dete rahiye. dhanyavaad.

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on April 29, 2012 at 2:29pm

जिस दिन खुद को पाया उस दिन अपना पता भूल गया ………बस यही खोज जीवन को वास्तविक अर्थ देतीहै

aadarniya vandana ji, saadar

aapki uprokt pankti evam bhav pasand aaye. dhanyvaad.

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on April 29, 2012 at 2:26pm

aadarniya arun ji, saadar abhivadan,

aapne saraha, mujhe bahut achha laga. kin shabdon main aapka shukriya ada karoon. dhanyvaad. 

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on April 29, 2012 at 7:25am

आचरण में पशु  हूँ  धरती का इंसान हूँ 

प्रश्नों  में प्रश्न  हूँ  अनुत्तरित उत्तर  हूँ

खोजता हर जगह  मृग  कस्तूरी की तरह 

वो है मेरे अन्दर  फिर भी अनजान हूँ 

कैसे पहचानूँ  की मैं कौन हूँ 

कुछ नहीं याद मुझे

आखिर मैं कौन हूँ इसलिए मैं मौन हूँ!

प्रणाम महोदय!

इसीलिए आज मैं मौन हूँ 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .

दोहा पंचक  . . . .( अपवाद के चलते उर्दू शब्दों में नुक्ते नहीं लगाये गये  )टूटे प्यालों में नहीं,…See More
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर updated their profile
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार.. बहुत बहुत धन्यवाद.. सादर "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय। "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आपका हार्दिक आभार, आदरणीय"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ पांडेय सर, बहुत दिनों बाद छंद का प्रयास किया है। आपको यह प्रयास पसंद आया, जानकर खुशी…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय आदरणीय चेतन प्रकाशजी मेरे प्रयास को मान देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद। हार्दिक आभार। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, प्रदत्त चित्र पर बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करती मार्मिक प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम जी, प्रदत्त चित्र को शाब्दिक करते बहुत बढ़िया छंद हुए हैं। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम मथानी जी छंदों पर उपस्तिथि और सराहना के लिये आपका हार्दिक आभार "
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service