For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कुछ पल मेरी छावं में बैठो तो सुनाऊं
हाँ मैं ही वो अभागा पीपल का दरख्त हूँ
जिसकी संवेदनाएं मर चुकी हैं
दर्द का इतना गरल पी चुका हूँ
कि जड़ हो चुका हूँ !
अब किसी की व्यथा से
विह्वल नहीं होता
मेरी आँखों में अश्कों का
समुंदर सूख चुका है |
बहुत अश्रु बहाए उस वक़्त
जब कोई वीर सावरकर
मुझसे लिपट कर रोता था
और विषण मैं, उसके अन्दर
सहन शक्ति की उर्जा
का संचार करता,
अपने पंखों से उसके
अश्रु और और स्वेद कण
जिनमे उसकी श्रान्ति और
उस पर हुई बर्बरता का अक्स
साफ़ दिखाई देता ,उनको सुखाता था |
उन दिनों मैं युवा था
और अपने देश कि मिटटी के लिए
वफादार था
मैं हर उस बुल -बुल से
इश्क करता था
जो मेरी भुजा पर बैठ कर
देश भक्ति के गीत गाती थी |
पर वही भुजा अगले दिन
काट दी जाती थी
और मैं घंटों अश्रु बहाता था |
जब भी मेरे किसी वीर जवान कि
दर्द भरी चीख मेरे कर्ण पटल पर पड़ती
मैं थर्रा उठता और न जाने
कितने मेरे अजीज पत्ते
मेरे बदन से कूद कर आत्म हत्या कर लेते थे |
और मेरे हर्दय से दर्द का सैलाब
उमड़ पड़ता |
आये दिन मेरे ही नीचे से
मेरे वीरों की अमर आत्माओं
को घसीट कर ले जाते थे
और मैं विदीर्ण हर्दय से मौन
मौन होकर शीश झुकाकर
उनके चरणों में नमन करता
और शपथ खाता कि
भविष्य में लिखे जाने वाले
इतिहास में ,एक प्रत्यक्ष दर्शी के रूप में
गवाही दूंगा और आने वाली पीढ़ी को
अपने वीरों की
देश भक्ति की गाथा सुनाकर
प्रेरणा का संचार करूँगा
आज भी मेरा पोर -पोर
इस देश को समर्पित है
इसी लिए आज भी प्रतिज्ञा बध
जस का तस खड़ा हूँ ||
(यह पीपल का पेड़ सेल्लुलर जेल में आज भी उसी तरह खड़ा है वहां जाकर अपने वीरों की कुर्बानी की गाथा सुनकर जो भाव मेरे मन में उभरे उनको इस रूप में आप से सांझा कर रही हूँ )

Views: 784

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on April 3, 2012 at 2:06pm

Aasheesh ji hardik dhanyavaad.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on April 3, 2012 at 2:06pm

jee haan Meenu ji bhagvaan kare sabhi ko vo saubhagya praapt ho ye rachna maine us ped se milne ke baad agle hi din likhi thi har deshbhakt ko vahan (cellular/kala pani jail jana chahiye bahut prerna milti hai.

Comment by आशीष यादव on April 3, 2012 at 1:34pm

achchhi rachna par badhai

Comment by minu jha on April 3, 2012 at 1:18pm

बहुत ही अच्छी तरह प्रस्तुत किया है आपने उस पेङ की

व्यथा कथा को,उस पेङ के दर्शन का सौभाग्य मुझे भी प्राप्त हुआ है

आभार उसे इतने अच्छे शब्द देने के लिए


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on April 3, 2012 at 12:23pm

haardik aabhar Jawhar lal ji.

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on April 3, 2012 at 12:02pm
पीपल के पत्ते गोल गोल, कुछ कहते रहते डोल डोल. 

बिलकुल यही कहता यदि वह वृक्ष बोल पाता. बहुत सुन्दरता से अपने मनोभाव को शब्द दिए हैं आपने. बधाई.

 

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on April 2, 2012 at 7:16am

bahut bahut aabhar Ashok Kumar ji.

Comment by Ashok Kumar Raktale on April 1, 2012 at 10:31pm

बिलकुल यही कहता यदि वह वृक्ष बोल पाता. बहुत सुन्दरता से अपने मनोभाव को शब्द दिए हैं आपने. बधाई.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on April 1, 2012 at 1:23pm

प्रदीप कुमार जी आपकी प्रतिक्रिया हार्दिक प्रसन्नता हुई |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on April 1, 2012 at 1:19pm

हार्दिक आभार प्राची जी आपने मेरी रचना का मूल तथ्य दिल से महसूस किया.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"आदरणीय श्याम नारायण वर्मा जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
5 hours ago
Shyam Narain Verma commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"नमस्ते जी, बहुत ही सुन्दर और ज्ञान वर्धक लघुकथा, हार्दिक बधाई l सादर"
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted blog posts
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted blog posts
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मनन कुमार सिंह जी। बोलचाल में दोनों चलते हैं: खिलवाना, खिलाना/खेलाना।…"
Friday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आपका आभार उस्मानी जी। तू सब  के बदले  तुम सब  होना चाहिए।शेष ठीक है। पंच की उक्ति…"
Friday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"रचना भावपूर्ण है,पर पात्राधिक्य से कथ्य बोझिल हुआ लगता है।कसावट और बारीक बनावट वांछित है। भाषा…"
Friday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदरणीय शेख उस्मानी साहिब जी प्रयास पर  आपकी  अमूल्य प्रतिक्रिया ने उसे समृद्ध किया ।…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदाब। इस बहुत ही दिलचस्प और गंभीर भी रचना पर हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह साहिब।  ऐसे…"
Friday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"जेठांश "क्या?" "नहीं समझा?" "नहीं तो।" "तो सुन।तू छोटा है,मैं…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक स्वागत आदरणीय सुशील सरना साहिब। बढ़िया विषय और कथानक बढ़िया कथ्य लिए। हार्दिक बधाई। अंतिम…"
Friday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"माँ ...... "पापा"। "हाँ बेटे, राहुल "। "पापा, कोर्ट का टाईम हो रहा है ।…"
Friday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service