For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

तेरी याद

सोचा था
तेरी याद के सहारे
जिंदगी बीता लूंगा
अब न तेरी याद आती है
न ही जिंदगी के दिन ही बचे
जो बचे भी उनमें क्या तेरे मेरे
क्या सुबह, क्या शाम
बस एक ही तमन्ना है
जहां भी रहो मुझे याद करना
क्योंकि तुम याद करोगे तो
दुनिया से जाते वक्त गम न होगा
क्योंकि तुम, तुम हो और हम, हम
राहें जुदा हो गई तो क्या
कभी मिलकर चले थे मंजिल की ओर
अब तो सोच कर भी सोचता हूं
क्यों मिले थे हम और क्यों बिछड़े
सोचता हूं
तेरी याद को ही भुला दूं
पर कमबख्त याद है ही ऐसी
भुलाते भुलाते भी रूला ही देती है तेरी याद.

Views: 360

Facebook

You Might Be Interested In ...

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Abhinav Arun on March 12, 2012 at 2:48pm

एक सच्चाई है आपकी रचना | यादें हमारा साथ कहाँ छोडती हैं और उनपर हमारा वश कहाँ !!! बधाई इस सशक्त अभिव्यक्ति हेतु !!

Comment by संदीप द्विवेदी 'वाहिद काशीवासी' on March 12, 2012 at 12:59pm

सच है यादें भुलाई नहीं जा सकतीं| बहुत सुन्दर|

Comment by Brij bhushan choubey on March 12, 2012 at 11:57am

सोचा था
तेरी याद के सहारे
जिंदगी बीता लूंगा
अब न तेरी याद आती है
न ही जिंदगी के दिन ही बचे |....वाह वाह वाह सीधे दिल की बात दिल में उतर गई बहुत खूबसूरत पंक्तिय कवी जी  |

Comment by कवि - राज बुन्दॆली on March 12, 2012 at 11:37am

वाह,,,,,ज़नाब क्या बात है,,,,,,,,बहुत खूब,,,,,,,,,,,बधाई

Comment by AVINASH S BAGDE on March 12, 2012 at 10:15am

पर कमबख्त याद है ही ऐसी
भुलाते भुलाते भी रूला ही देती है तेरी याद.BEAUTYFUL...


Comment by AVINASH S BAGDE on March 12, 2012 at 10:14am

अब न तेरी याद आती है

न ही जिंदगी के दिन ही बचे

जो बचे भी उनमें क्या तेरे मेरे

क्या सुबह, क्या शाम....KYA BAT HAI.....HARISH BHATTA..

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा सप्तक
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय लक्ष्मण धामी जी "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा सप्तक
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं । हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"सादर नमस्कार आदरणीय।  रचनाओं पर आपकी टिप्पणियों की भी प्रतीक्षा है।"
Friday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आपका हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी।नमन।।"
Friday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आपका हार्दिक आभार आदरणीय तेजवीर सिंह जी।नमन।।"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"बहुत ही भावपूर्ण रचना। शृद्धा के मेले में अबोध की लीला और वृद्धजन की पीड़ा। मेले में अवसरवादी…"
Friday
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"कुंभ मेला - लघुकथा - “दादाजी, मैं थक गया। अब मेरे से नहीं चला जा रहा। थोड़ी देर कहीं बैठ लो।…"
Friday
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आदरणीय मनन कुमार सिंह जी, हार्दिक बधाई । उच्च पद से सेवा निवृत एक वरिष्ठ नागरिक की शेष जिंदगी की…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"बढ़िया शीर्षक सहित बढ़िया रचना विषयांतर्गत। हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह जी।…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"रचना पटल पर उपस्थिति और विस्तृत समीक्षात्मक मार्गदर्शक टिप्पणी हेतु हार्दिक धन्यवाद आदरणीय तेजवीर…"
Friday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"जिजीविषा गंगाधर बाबू के रिटायर हुए कोई लंबा अरसा नहीं गुजरा था।यही दो -ढाई साल पहले सचिवालय की…"
Friday
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी साहब जी , इस प्रयोगात्मक लघुकथा से इस गोष्ठी के शुभारंभ हेतु हार्दिक…"
Friday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service