For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ओ बी ओ का नव रूप ..

कितने वक़्त के बाद आई यहाँ ..

जैसे कोई अपनों के बीच फिर आये ..
उमड़ते घुमड़ते विचारों की गठरी ..
बाँध- ढो के  साथ साथ ले आये ..

बदला कुछ नहीं ,फिर भी बदल गया है सब ..
एक नयी रंगत और एहसास में रंग गया है अब ..
कितने नए चेहरों की है आवाजाही ..
नए विचारों को अपने साथ ले आये ...

दौर सा जैसे गुज़र गया कोई ..
एक नया दौर आगया है अब ..
नए कलेवर में कुछ मज़ा ही अलग सा है ..
खुशबू तेज़ इतनी की हम चले आये ...


Views: 642

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Lata R.Ojha on March 4, 2012 at 6:14pm

आदरणीय मापतपुरी जी ,जिनके दिल नहीं बदलते वोही तो सच्चे मित्र होते हैं न ..ऐसे मित्रों को पा भला कौन अपने भाग्य को नहीं सराहेगा :) आपका आभार ..

Comment by satish mapatpuri on March 4, 2012 at 5:27pm
स्वागत है लता जी ................ OBO का रूप - रंग बदला है , OBO के मित्रों का दिल  नहीं बदला ........ आपके आने का शुक्रिया
Comment by Lata R.Ojha on March 4, 2012 at 3:52pm

आदरणीय प्रदीप कुमार जी आपकी बात से मैं भी सहमत हूँ क्योंकि ये मेरा स्वयं का अनुभव है..aabhaar   :)


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on March 4, 2012 at 3:51pm

आदरणीया लताजी, आपकी ही नौका का मैं भी एक सहचर हूँ. .   :-))))

Comment by Lata R.Ojha on March 4, 2012 at 3:49pm

 आपका बहुत बहुत धन्यवाद गणेश जी :)

Comment by Lata R.Ojha on March 4, 2012 at 3:47pm

आदरणीय सौरभ जी ,मैंने  ओ बी ओ  में आकर आप सभी  से बहुत कुछ सीखा है आगे भी यूंही आशीर्वाद मिलता रहेगा ऐसी आशा है .आभार  :)

Comment by Lata R.Ojha on March 4, 2012 at 3:36pm

आपका बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय अरुण जी :)

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on March 4, 2012 at 2:24pm

obo nishchit roop se sarvshresta hai. yahan sikhne ko milta hai vo bhi prem se. jai obo , jai bharat 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on March 4, 2012 at 12:58pm

रूप अवश्य नया है पर आत्मा वही है :-) 

आने के साथ ही इस खुबसूरत रचना की प्रस्तुति मनोरम लगा, बधाई स्वीकार हो, 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on March 4, 2012 at 11:04am

माननीय लताजी, आपकी संवेदनशीलता को नमन. नवविकास और निरंतर प्रगति प्रकृति का सनातन चलन है. ओबीओ के नव कलेवर पर गर्व की अनुभूति होना आपकी आत्मीय संलग्नता का परिचायक है.

इस रचना के परिप्रेक्ष्य में यदि साझा करूँ तो इस पटल पर के सभी नये सदस्य ओबीओ की एक मंच के तौर पर साहित्यिक समाज में उदार स्वीकार्यता का परिचायक हैं. यह अवश्य है, लताजी, नये सदस्य अपने साथ अपनी पृष्ठभूमि की वैचारिकता भी लाते हैं जो सकारात्मक हुई तो हमारे लिये मार्गदर्शक हुआ करती है.  अन्यथा एकदम से नये होने के कारण वे अनगढ़पन भी ले आते हैं जोकि एकदम से व्यावहारिक भी है. परन्तु, इस मंच की सकारात्मक परिपाटियों और उच्च व्यवहार के मानकों पर कसना हम सभी का अग्रजों का नैतिक धर्म है.

आपकी प्रस्तुत रचना के स्वर में स्वर मिलाते हुए हम सभी इस नव गति को सादर सम्मान दें.

सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
7 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Sunday
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Sunday
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Saturday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Saturday
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Saturday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service