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वक्त,,,,
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किसी किसी कॊ भला खासा, बना दॆता है वक्त ॥
किसी की ज़िंदगी का तमाशा,बना दॆता है वक्त ॥१॥



कभी चुल्लू भर पानी सॆ, भर दॆता है समंदर कई,
कभी समन्दर कॊ  भी प्यासा, बना दॆता है वक्त ॥२॥



हारती हुई बाज़ी कॊ जीत मॆं, बदल दॆता है कभी,
पलट कर कॆ शकुनि का पांसा, बना दॆता है वक्त ॥३॥



मॆहरबां हॊता जिस पॆ, उस की मिट्टी भी सॊना है,
रूठ अगर  रॊशनी कॊ कुहासा, बना दॆता है वक्त ॥४॥



भॆजता फ़रिश्ता, मदद कॆ वास्तॆ, अचानक कभी,
कभी वादॆ कॊ यॆ झूठा दिलासा,बना दॆता है वक्त ॥५॥


इक जरा सी भूल कॊ भी, बवंडर बना दॆता है  वक्त,

"राज" बवंडर कॊ कभी जरा सा, बना दॆता है वक्त ॥६॥


           कवि-"राज बुन्दॆली"

              ०५/०२/२०१२


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Comment by कवि - राज बुन्दॆली on February 6, 2012 at 4:52pm

आप सभी को प्रणाम करता हूं,,,,,,,,,,इतनी संजीदा रचना को भी आप लोगॊं का वही सनेह मिला जो आप मेरी हर रचना पर बरसातॆ हैं,,,,,किन शब्दॊं मॆं आप लोगो का शुक्रिया अदा करूं,,,,,,,शब्द कम पड़ रहे हैं,,,इस लिये एक विश्वास दिलाता हूं कि बेहतर विशुद्ध साहित्य आप तक पहुचाता रहूंगा ॥ धन्यवाद,,,,,,,,,,


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on February 6, 2012 at 12:45pm

vaqt vaqt ki baat hai jindagi bhi vaqt ki dhuri par chalti hai bahut sundar bhaavon se labrej aapki prastuti.bahut khoob.

Comment by AVINASH S BAGDE on February 6, 2012 at 11:20am

कभी चुल्लू भर पानी सॆ, भर दॆता है समंदर कई,
कभी समन्दर कॊ  भी प्यासा, बना दॆता है वक्त ॥२॥bahut khoob....Raj ji.


Comment by कवि - राज बुन्दॆली on February 5, 2012 at 2:26pm

धन्यवाद,,,,,,,,,आशुतोष जी आपका एवं ओ.बी.ओ.परिवार का आभारी हूं,,,,,,,,,,,,,,,

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