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नीयत साफ़ रखॊ,,,,,, -----------------------

नीयत साफ़ रखॊ,,,,,,
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कुछ इस तरह सॆ,तबियत साफ़ रखॊ ।
नज़र साफ़ रखॊ, नीयत साफ़ रखॊ ॥१॥

यॆ सारा ज़माना,तुम्हारा हॊ जायॆगा,
मन साफ़ रखॊ,मॊहब्बत साफ़ रखॊ ॥२॥

हर बात की तासीर दिखाई दॆगी बस,
अदा साफ़ रखॊ,औआदत साफ़ रखॊ ॥३॥

मज़ाल क्या जॊ, बिगड़ जायॆं बच्चॆ,
अदब साफ़ रखॊ,नसीहत साफ़ रखॊ ॥४॥

तुम्हारा बॊया ही,औलाद कॊ मिलॆगा,
बीज साफ़ रखॊ, वशीयत साफ़ रखॊ ॥५॥

मुन्सिफ़ हॊ तुम,तॊ फ़र्ज़ है तुम्हारा,
अदल साफ़ रखॊ,अदालत साफ़ रखॊ ॥६॥

माँ-बाप की दुवाऒं, पर खड़ी है यह,
उनकॆ ख्वाबॊं की, इमारत साफ़ रखॊ ॥७॥

बड़ॆ नाजुक हॊतॆ हैं यॆ दिल कॆ रिश्तॆ,
दिल साफ़ रखॊ,सखावत साफ़ रखॊ ॥८॥

दॊस्ती निभाऒ आखिरी सांस तक,
दुश्मनी हॊ तॊ, अदावत साफ़ रखॊ ॥९॥

आदमी तॊ खॊता,जा रहा है भीड़ मॆं,
हॊ सकॆ"राज",आदमीयत साफ़ रखॊ ॥१०॥

कवि-राज बुन्दॆली
१७/०१/२०१२

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Comment

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Comment by राज लाली बटाला on January 23, 2012 at 9:54pm

 एक बार नजरेसानी की जरुरत है  !! Vichar khoob hai ! 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on January 21, 2012 at 4:25pm

आदरणीय राज बुन्देली जी, कहन बहुत ही बढ़िया है, सभी शेर भी अच्छे है किन्तु यदि ग़ज़ल की कसौटी पर शिल्प देखि जाय तो मतला और शेर ५,१० छोड़ बाकी सब काफियाबंदी में खारिज है, एक बार नजरेसानी की जरुरत है |

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