For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

सवाल करता बहुत देता उसे कोई जवाब नहीं


सवाल करता बहुत देता उसे कोई जवाब नहीं 
पढ़े कैसे वो दुनिया ने दी उसे कोई किताब नहीं

स्कूल की खिडकियों पे लगाए  कान सुनता है 
अगर अन्दर पनपते फूल क्या वो गुलाब नहीं 

जूठे बर्तन धोते हुए पूरा बचपन बिताता है 
लोग अब भी कहते दुनिया इतनी ख़राब नहीं 

मिलती उसे पूरी रोटी नहीं भूखा सोता है वो 
जब पेट करे आवाज़ रातो को आते ख्वाब नहीं 

जरा से दर्द पे छलक जाती है आंखे "सैनी" 
वो तो बच्चे है उनके गमो का कोई हिसाब नहीं

Views: 537

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by shashiprakash saini on January 6, 2012 at 5:17pm

धन्यवाद योगराज सर 


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on January 6, 2012 at 11:16am

सुन्दर कथ्य, सुन्दर विचार और सार्थक सन्देश. बधाई स्वीकार करें. 

Comment by shashiprakash saini on January 2, 2012 at 9:56pm

शुक्रिया गणेश जी 

 बेबहर  से बाबहर की ओर कोशिश जरी है 

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on January 2, 2012 at 9:51pm

सैनी साहब, बहुत ही खुबसूरत कहन को निभाया है अपनी ग़ज़ल में, रदीफ़ काफिया का प्रयोग बढ़िया है, मुझे लगता है बहर पर और काम करने की आवश्यकता है, बहरहाल दाद स्वीकार करे इस प्रस्तुति पर |

Comment by shashiprakash saini on January 2, 2012 at 1:22pm

धन्यवाद राजपूत जी 

Comment by AK Rajput on January 2, 2012 at 11:47am
हर जगह बचपन को ऐसे ही कुचलते हुए देखा जा सकता है , मानवता के नामं पे एक कलंक 
है बाल मजदूरी. बहुत मार्मिक रचना    

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"जी बिहतर है "
57 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय Dayaram Methani जी आदाब  ग़ज़ल के प्रयास पर बधाई स्वीकार करें। ग़ज़ल — 2122 2122…"
1 hour ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय Zaif जी आदाब  ग़ज़ल के अच्छे प्रयास पर बधाई स्वीकार करें  2122 2122 2122 212 घोर…"
3 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय Zaif जी नमस्कार ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है बधाई स्वीकार कीजिए अमीर जी की टिप्पणी क़ाबिले ग़ौर है…"
4 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय अमीर जी नमस्कार बहुत ख़ूब ग़ज़ल हुई है ,हर शेर क़ाबिले तारीफ़ है,बधाई स्वीकार कीजिये गिरह भी ख़ूब…"
4 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय लक्ष्मण जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये सादर"
4 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय अमीर जी  बहुत शुक्रिया आपका सादर"
4 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय अमीरुद्दीन जी, आपकी टिप्पणी के लिए धन्यवाद। कृपया कुछ कमिया बता कर उसका निदान भी बताते तो…"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आ. भाई जैफ जी, अभिवादन। गजल का प्रयास अच्छा है। हार्दिक बधाई। भाई अमीरुद्दीन जी की सलाह पर गौर करें।"
7 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आ. भाई अमीरुद्दीन जी, स्नेह के लिए आभार।"
7 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय लक्ष्मण धामी भाई मुसाफ़िर जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से…"
9 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-173
"आदरणीय यूफोनिक अमित जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
9 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service