For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ये बिहार है (गौरव गीत )

सब धर्मों का एक सा आदर , ऐसा यहाँ आचार है.
होते हैं भगवान अतिथि , ऐसा यहाँ विचार है.
ये बिहार है ................ ये बिहार है.
महावीर का सन्देश है - यहाँ बुद्ध का उपदेश है.
यहाँ आर्य भट्ट का खगोल  है - यहाँ माटी भी  अनमोल है.
नालंदा का यहाँ ज्ञान  है - यहाँ सीता का सम्मान है.
अशोक का है शौर्य यहाँ - आम्रपाली  का सौन्दर्य यहाँ.
यहाँ बाल्मीकि का सृजन है - यहाँ गुरु गोविन्द का जन्म है.
शेरशाह का जोश है - उस जोश में पर होश है.
यहाँ कुँअर का स्वाभिमान  है -   गंगा को दिया बलिदान है..
यहाँ गाँधी का आगाज़ है - जीने का एक अंदाज़ है.
शिक्षा यहीं से है शुरू - यह विश्व का आदि गुरु.
गणतंत्र का आधार है - गंगा की पावन धार है.
ये बिहार है ................ ये बिहार है.
विद्द्यापति का गान है - भिखारी की यहाँ तान है.
चैता यहाँ, यहाँ फाग है - कजरी, बिदेसिया राग है.
सोरठी का अपना अलग रंग - लोरिकायन का है धुन दबंग.
झिझिया पे थिरके हर कदम - यहाँ ज्ञान - कला  का  है संगम.
यहाँ यार के लिए प्यार है - अपनों का यह घर-बार है.
जो करते हम पर वार हैं - तो हर नज़र तलवार है.
ये बिहार है ................ ये बिहार है.
                    गीतकार - सतीश मापतपुरी

Views: 789

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by satish mapatpuri on December 6, 2011 at 5:01pm
आदरणीय सौरभजी, सराहना के लिए सादर आभार मित्रवर. आपसे बेहतर कौन जान सकता है कि चाहे रचनाकार हो या कलाकार हो उसकी सोच प्राय:सकारात्मक ही होती है .................. वह अपनी कल्पनाओं में खुबसूरत चित्र उकेरा करता है ..............  "आपने गीतकार का धर्म निभाया है" इस पर हार्दिक साधुवाद कुबूल करें आदरणीय 
Comment by satish mapatpuri on December 6, 2011 at 4:53pm
धन्यवाद गणेश जी, लिखते समय जो शिल्प , शैली, शब्द और तकनीक दिमाग में आते हैं, वही लिखा जाता है. मैं आपके सुझाव के आलोक में प्रयास करूंगा

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on December 6, 2011 at 12:43pm

आदरणीय सतीश भईया, इसमें कोई शक नहीं की बिहार गौरव गाथा के लिए जो जो तथ्य आपने समाहित किया है उससे इस गीत का सौंदर्य वर्धन में सहायक है, किन्तु पता नहीं क्यों शब्दों का बिखराव लगता है, मेरा अनुरोध है की इन्ही शब्द, तथ्यों को जरा और कसने का प्रयास करे निश्चित बहुत ही बढ़िया गीत बन सकेगा | 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on December 6, 2011 at 8:03am

बिहार राज्य !.. एक ऐसा राज्य जो अपने हर हाल में सभी का ध्यान खींचता है.. अपने अतीत के उच्च क्षणों से लेकर वर्तमान की अँगड़ाइयों तक से अभिभूत करता रहा है.

भोले लोगों की भावनाओं से गंदे लोग खेलते हैं जो ’बाहरी’ नहीं होते अपने ही कंधों का इस्तमाल कर कंगूरों पर चढ़े विशिष्ट बने होते हैं. इस माहौल में विजय और सकारात्मक गाथा गा कर आपने गीतकार का धर्म निभाया है.

आपको हार्दिक बधाइयाँ. 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"आदरणीय श्याम नारायण वर्मा जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
14 hours ago
Shyam Narain Verma commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"नमस्ते जी, बहुत ही सुन्दर और ज्ञान वर्धक लघुकथा, हार्दिक बधाई l सादर"
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted blog posts
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted blog posts
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मनन कुमार सिंह जी। बोलचाल में दोनों चलते हैं: खिलवाना, खिलाना/खेलाना।…"
Friday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आपका आभार उस्मानी जी। तू सब  के बदले  तुम सब  होना चाहिए।शेष ठीक है। पंच की उक्ति…"
Friday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"रचना भावपूर्ण है,पर पात्राधिक्य से कथ्य बोझिल हुआ लगता है।कसावट और बारीक बनावट वांछित है। भाषा…"
Friday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदरणीय शेख उस्मानी साहिब जी प्रयास पर  आपकी  अमूल्य प्रतिक्रिया ने उसे समृद्ध किया ।…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदाब। इस बहुत ही दिलचस्प और गंभीर भी रचना पर हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह साहिब।  ऐसे…"
Friday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"जेठांश "क्या?" "नहीं समझा?" "नहीं तो।" "तो सुन।तू छोटा है,मैं…"
Friday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक स्वागत आदरणीय सुशील सरना साहिब। बढ़िया विषय और कथानक बढ़िया कथ्य लिए। हार्दिक बधाई। अंतिम…"
Friday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"माँ ...... "पापा"। "हाँ बेटे, राहुल "। "पापा, कोर्ट का टाईम हो रहा है ।…"
Friday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service