For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अमावस सी ज़िंदगी में

अचानक ही 
छिटक गयी चाँदनी 
एक बादल की ओट से 
निकलते हुए 
चाँद ने कहा 
क्यूँ मायूस हो ? 
मैं हूँ न ..
और यह कह 
मुस्कुरा दिया 
मैं खो गयी 
उस मुस्कान में 
उसकी स्निग्ध शीतलता ने 
जैसे दग्ध मन पर 
रख दिए 
बर्फ  के फाहे 
और 
पिघलता रहा 
बूँद बूँद 
जो हृदय 
पत्थर हो चला था ...

 

Views: 974

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by sangeeta swarup on August 8, 2011 at 3:17pm

आशीष जी और सुजीत जी , 

रचना पसंद करने के लिए आभार 

Comment by Sujeet Kumar on August 7, 2011 at 10:35am

saurabh pandey ji ne apke rachna ki bahothi sahi vishlesan ki hai...

sach men apki rachna padhne ke baad dil ko jaisi ek rahat miti hai aur man ko hausala milta hai

Comment by आशीष यादव on August 5, 2011 at 9:10pm

जलते हृदय को शांत करती रचना, और जीने का हौसला बढाती है|
धन्यवाद|

Comment by sangeeta swarup on July 29, 2011 at 10:07pm

वेद व्यथित जी  और रजनी जी 

बहुत बहुत शुक्रिया 

Comment by rajni khaitan on July 29, 2011 at 12:21pm

बहुत सुन्दर...दिल को छू गई

Comment by sangeeta swarup on July 28, 2011 at 6:21pm

सुनीता जी , 

मेरी रचना ने आपकी परेशानी का थोड़ा स अंश भी कम किया तो सार्थक हुई यह रचना ... आभार 

Comment by sangeeta swarup on July 28, 2011 at 6:20pm

सौरभ जी ,  

आपकी टिप्पणी ने हौसले में इज़ाफा किया ... आभार 

Comment by सुनीता शानू on July 28, 2011 at 5:11pm

आज मन बहुत परेशान सा था मगर आपकी ये कविता मुझमें एक उमंग सी जगा गई। बहुत अच्छा लगा पढ़कर।


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 28, 2011 at 4:28pm

आस-निरास के द्वन्द्व और उसकी सार्थक अभिव्यक्ति से रचनाकार ने अपने प्रति पाठकों की उम्मीदें बढ़ा ली हैं. हार्दिक शुभकामनाएँ.

Comment by sangeeta swarup on July 28, 2011 at 3:31pm

विश्वजीत यादव जी , 

आपको रचना पसंद आई उसके लिए बहुत बहुत शुक्रिया 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted blog posts
9 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted blog posts
9 hours ago
Sushil Sarna posted blog posts
9 hours ago
Nilesh Shevgaonkar posted a blog post

ग़ज़ल नूर की - तो फिर जन्नतों की कहाँ जुस्तजू हो

.तो फिर जन्नतों की कहाँ जुस्तजू हो जो मुझ में नुमायाँ फ़क़त तू ही तू हो. . ये रौशन ज़मीरी अमल एक…See More
9 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 171 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
Tuesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक - गुण
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थित और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद।"
Tuesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post समय के दोहे -लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई श्यामनाराण जी, सादर अभिवादन।दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
Tuesday
Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक - गुण
"वाहहहहहह गुण पर केन्द्रित  उत्तम  दोहावली हुई है आदरणीय लक्ष्मण धामी जी । हार्दिक…"
Tuesday
Nilesh Shevgaonkar shared their blog post on Facebook
Tuesday
Shyam Narain Verma commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - उस के नाम पे धोखे खाते रहते हो
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Monday
Shyam Narain Verma commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post समय के दोहे -लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर और ज्ञान वर्धक प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' shared their blog post on Facebook
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service