For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

उसकी एक हंसी से बगिया की सारी क्यारी खिल गयी

आज हमारे उदासी घर को ढेर सी खुशियां मिल गयी

दिए जलाओ ख़ुशी मनाओ फूलों का झूला तैयार करो

लक्ष्मी चल कर घर है आई मिलकर उसका सत्कार करो

जिसके कर्म बड़े अच्छे हो बड़े पुण्य के काम किए

कर्म फल उनको है मिलता कन्या का अवतार लिए

जिसके घर में बेटी जन्मी , वो घर स्वर्ग बन जाता है

माँ बाप का पूरा जीवन तभी सफल हो जाता है

उसके घर में ना होने से जग सुना हो जाता है

चाहे भीड़ बरी हो घर में बीहड़ सा हो जाता है

वो जागे तो सूरज चमके वो सोए तो रात है

आन पिता का घटना बढ़ना सब उसके ही हाथ है

पुत्र पिता का वंश चलाता बेटी प्रथा चलाती है

मान बढ़ाती सदा पिता का औरो का धन कलाती है

दूर बहुत हो चाहे तन से मन साथ ही रहती है

बेटा चाहे छोड़ भी जाए पर बेटी साथ निभाती है

बेटी पिता की कर्मफल का जीवंत एक प्रमाण है

अपने कूल की मर्यादा का रखती जो सम्मान है

जो पराये घर को जाकर अपने घर की लाज रखे

ऐसी बेटी हर पिता के जीवन का अभिमान है

"मौलिक व अप्रकाशित" 

अमन सिन्हा 

Views: 335

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on March 3, 2022 at 7:03pm

//कृप्या करके शिल्पगत कमियों का कोई एक उदाहरण दे ताकी मैं उसे सुधार सकूं।//

'दूर बहुत हो चाहे तन से मन साथ ही रहती है'... इस पंक्ति को देखियेे, अगर ऐसे कहें - 

'जितनी दूर हो चाहे तन से मन से साथ ही रहती है'  सादर। 

Comment by AMAN SINHA on March 3, 2022 at 1:07pm

श्रीमान अमीर साहब, 

त्रुटियों के प्रती ध्यान दिलाने के लिये आभार।

कृप्या करके शिल्पगत कमियों का कोई एक उदाहरण दे ताकी मैं उसे सुधार सकूं। 

Comment by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on March 3, 2022 at 11:53am

आदरणीय अमन सिन्हा जी आदाब, चन्द टंकण त्रुटियों और शिल्पगत कमियों के बावजूद अच्छी भावपूर्ण रचना हुई है, 

बेटी के प्रति पिता के उद्गारों की सुन्दर अभिव्यक्ति प्रस्तुत करती रचना के लिए बहुत बहुत बधाई स्वीकार करें। सादर। 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"बहुत आभार आदरणीय ऋचा जी। "
3 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"नमस्कार भाई लक्ष्मण जी, अच्छी ग़ज़ल हुई है।  आग मन में बहुत लिए हों सभी दीप इससे  कोई जला…"
3 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"हो गयी है  सुलह सभी से मगरद्वेष मन का अभी मिटा तो नहीं।।अच्छे शेर और अच्छी ग़ज़ल के लिए बधाई आ.…"
3 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"रात मुझ पर नशा सा तारी था .....कहने से गेयता और शेरियत बढ़ जाएगी.शेष आपके और अजय जी के संवाद से…"
3 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"धन्यवाद आ. ऋचा जी "
4 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"धन्यवाद आ. तिलक राज सर "
4 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण जी "
4 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"धन्यवाद आ. जयहिंद जी.हमारे यहाँ पुनर्जन्म का कांसेप्ट भी है अत: मौत मंजिल हो नहीं सकती..बूंद और…"
4 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"इक नशा रात मुझपे तारी था  राज़ ए दिल भी कहीं खुला तो नहीं 2 बारहा मुड़ के हमने ये…"
14 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आदरणीय अजय जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल हुई आपकी ख़ूब शेर कहे आपने बधाई स्वीकार कीजिए सादर"
14 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आदरणीय चेतन जी नमस्कार ग़ज़ल का अच्छा प्रयास किया आपने बधाई स्वीकार कीजिए  सादर"
14 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186
"आदरणीय लक्ष्मण जी नमस्कार ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है बधाई स्वीकार कीजिए सादर"
14 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service