221 1221 1221 122
शतरंज में रिश्तों की मैं हारा नहीं होता
अपनों को बचाने में जो उलझा नहीं होता
यादें तेरी ख़ुश्बू से न दिन रात महकतीं
लम्हा जो तेरे लम्स का ठहरा नहीं होता
भीतर न उसे आने कभी देता मेरा दिल
ख़ंजर पे तेरा नाम जो लिक्खा नहीं होता
शाख़ों से कहीं उसकी तुम्हें झाँकता बचपन
आँगन का शजर तुमने जो काटा नहीं होता
नफ़रत के समर आयेंगे नफ़रत के शजर पर
ऐ काश बशर बीज ये बोया नहीं होता
गर तुम ना मिले होते मुझे राह-ए-वफ़ा में
होता मैं मगर इतना भी तन्हा नहीं होता
गुज़री है 'सिफ़र' ज़ीस्त इन्हीं सोचों में सारी
वैसा न हुआ होता तो ऐसा नहीं होता
मौलिक,अप्रकाशित
अंजलि 'सिफ़र'
Comment
सबसे पहले तो देरी से जवाब देने के लिए मुआफ़ी चाहती हूँ। मैंने आयोजन के इतर पहली बार कुछ पोस्ट किया है। मुझे सबको अलग से रिप्लाई का ऑप्शन नहीं दिख रहा। डिंपल शर्मा जी हार्दिक आभार। लक्ष्मण धामी मुसाफ़िर जी ,हार्दिक आभार। बृजेश कुमार बृज जी चौथे शेर में कहना चाहती हूँ कि घर के आँगन में अगर कोई पेड़ हो तो बचपन की यादें ज़रूर उससे जुड़ी होती हैं।अमीरुद्दीन अमीर जी,आपकी हौसला अफ़ज़ाई का भी शुक्रिया और बेहतरीन इस्लाह का भी आदरणीय। obo में ग़ज़ल पोस्ट करना सार्थक हुआ। हार्दिक आभार। सभी को पुनः नमन
आदरणीया अंजलि गुप्ता जी वाह बहुत ख़ूब, खुबसूरत ग़ज़ल पर बधाई स्वीकार करें आदरणीय।
मुहतरमा अंजलि 'सिफ़र' साहिबा आदाब, लाजवाब अश'आ़र के साथ शानदार ग़ज़ल कही है आपने कुछ अश'आ़र में मामूली तरमीम कर सकते हैं, बहरहाल दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ।
//शतरंज मे रिश्तों की मैं हारा नहीं होता : रवानी के लिए यहांँ 'शतरंज में' को 'शतरंज ये' कर के देखें,
//भीतर न उसे आने कभी देता मेरा दिल : ज़बान और शिल्प के ऐतबार से लफ़्ज़' भीतर' मुनासिब नहीं है शे'र यूँ कर सकते हैं :
"दिल पर न उसे आने कभी देता मेरा दिल
ख़ंजर पे तेरा नाम जो लिक्खा नहीं होता" सादर।
आ. अंजलि जी, अच्छी गजल हुई है । हार्दिक बधाई ।
बढ़िया ग़ज़ल कही है आदरणीया लेकिन चौथे शे'र का उला साफ़ नहीं है।
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online