दिल में जो छुपाया है बोलना चाहेंगे
उसे दिल से मिटाया है बोलना चाहेंगे।
करेंगे जतन मिटादें उसकी यादों को
उसे हमने भुलाया है बोलना चाहेंगे।
वो हरगिज़ न रहेगा यादों में मिरी
याद बनके सताया है बोलना चाहेंगे।
बड़ा गुरुर था उसे मुझे अपने प्यार पर
हालात ने मिटाया है बोलना चाहेंगे।
फलक के चाँद से बातें किया रातें जगी मैंने
माहताब भी शर्माया है बोलना चाहेंगे।
अच्छा सिला दिया है मेरे यार ने…
ContinueAdded by Awanish Dhar Dvivedi on August 26, 2022 at 11:09pm — 1 Comment
आज हूं लाचार धीरज मैं दिखाऊँगा
मेहनत से राज करके मैं दिखाऊंगा।।
वक़्त का है काम चलना खुद के ढर्रे पर
ज़िन्दगी को भी मुक़द्दस मैं बनाऊँगा।।
जो भी दुःखियारे हैं उनके दर्द को हूँ जानता
दर्द में हमदर्द बनकर मैं हँसाऊँगा।।
वक्त कब रुकता जहाँ में हो भला या हो बुरा
अनवरत चलता ही रहता मैं बताऊँगा।
हौसलों से ही तो होती हैं उड़ानें आसमां में
बन परिन्दा जोश के पर मैं लगाऊँगा।।
आज के इस दौर में…
ContinueAdded by Awanish Dhar Dvivedi on August 22, 2022 at 9:30pm — 1 Comment
फूलों को दिल से उगाता कोई
फूल खिलते ही फोटो खिंचाता कोई।१।
है बनावट की दुनियाँ जहाँ देख लो
काम बनते ही हक़ को जताता कोई।२।
फूल खिलते हैं गुलशन में हरदम मगर
उनके जैसी खुशी काश लाता कोई।३।
रङ्ग फूलों के होते बहुत से मगर
फूलों सी ताजगी क्या दिलाता कोई।४।
फूल खुद टूट के भी हैं देते खुशी
उनसे कुर्बां होना सीख पाता कोई।५।
फूल होते हैं नाजुक बहुत ही मगर
फूल सा सब्र खुद में ले आता…
ContinueAdded by Awanish Dhar Dvivedi on August 16, 2022 at 10:11pm — 1 Comment
नमन है ज्ञानदा अरु शारदा को सर्वदा सततम।
करें मतिमन्दता को दूर जो अज्ञान को हरदम।१।
विनाशें भक्तगण के मनतिमिर को तेज से भर दें।
मिटा संशय सदा जीवन बना उज्ज्वल सफल कर दें।२।
भगवती शारदा वरदा प्रवाहित ज्ञानगङ्गा कीजिये।
मति को विमल करके सकल अज्ञानता हर लीजिये।३।
स्वच्छ मन हो अरु मुदित जन-जन का जीवन हो।
सभी सज्जन बनें सुधिजन करें शुभकर्म वर्धन हो।४।
मनोरथ पूर्ण करती हैं सदा वरदायिनी माता।
उन्हीं की हो…
ContinueAdded by Awanish Dhar Dvivedi on August 14, 2022 at 6:03pm — No Comments
हमारे पंथ मजहब धर्म में हो भिन्नता लेकिन
जहाँ हो बात भारत की तो फिर मत एकता होगी।
रहेगा कोई न हिन्दू न मुस्लिम सिक्ख ईसाई
जहाँ हो बात भारत की तो बस राष्ट्रीयता होगी।१।
हैं झण्डे सबके अपने आप में बहुमूल्य अरु शोभित
मगर एक राष्ट्र के ध्वज में समन्वित शक्ति निर्बाधित।
न कोई हैं यहाँ छोटा बड़ा ना कोई भारत में
सभी मिलजुल के रहते हैं जगत में कीर्ति है भाषित।२।
है भारत देश ये प्यारा है इसकी बात ही न्यारी
यहाँ की सभ्यता…
ContinueAdded by Awanish Dhar Dvivedi on August 13, 2022 at 8:41pm — No Comments
Added by Awanish Dhar Dvivedi on August 10, 2022 at 12:24am — 2 Comments
आओ प्यारे हम सब मिलकर
पर्यावरण बचायें।
हरे भरे हम वृक्ष लगाकर
हरियाली फैलायें।1।
नदियाँ पर्वत झील बावली
और तलाब खुदायें।
महावृक्ष पीपल वट पाकड़
वृक्ष अनेक लगायें।2।
धरा धधकती धक-धक धड़कन
जन-जन की न बढ़ाएं।
पर्यावरण संतुलित होवे
ऐसे कदम उठायें।3।
प्राण वायु जल शीतल निर्मल
प्रकृति प्रेम से पायें।
आज के सुख के खातिर हमसब
भावी कल न मिटायें।4।
सोचो हम क्या देंगे अपनी
आने वाली पीढ़ी को।
सब कुछ दूषित हवा…
Added by Awanish Dhar Dvivedi on June 13, 2020 at 10:52pm — 3 Comments
दिल मेरा यह हाल देख घबराता है
शहर का अब मजदूरों से क्या नाता है।
खून पसीने से अपने था सींचा जिसको
बुरे दौर में दामन शहर छुड़ाता है।
आया संकट कोरोना का देश में जबसे
सड़कों पर लाचार मनुज दिख जाता है।
जिसने चमकाया शहरों को हो लथपथ
आज वही शहरों से फेंका जाता है।
देख दर्द होता है दिल में अब अवनीश
दुनियां को रचता क्या एक विधाता है।
मेहनत करने वाला क्यूँ दर दर भटके
क्यूँ नेता साहब सेठ ऐंठ दिखलाता…
Added by Awanish Dhar Dvivedi on May 31, 2020 at 10:34pm — 4 Comments
हम वाणी जन हैं वाणी के
कवि लेखक हैं कलमकार।
मन जिनके निर्मल कोमल से
बहती निर्झर करुणा अपार।
हर तप्त हृदय की तपनक्रिया
का करते हैं सम्मान सदा।
जो दीन-हीन दुखियारे हैं
वे अपने हैं अभियान सदा।
जिनकी वाणी में द्रवित यहाँ
होता है बल नित अबला का।
जिनकी चर्चा में दुःख रहता
है मातृशक्ति हर विमला का।
जिनकी कलमों की धार सदा
निज संस्कृति का सम्मान करें।
जिनकी चिन्ता नित बाबू जी
की परिचर्चा का ध्यान…
Added by Awanish Dhar Dvivedi on May 9, 2020 at 7:06pm — 1 Comment
यह हैरत यहाँ ही सम्भव है।
भारत में क्या असम्भव है।
जो लोग यहाँ रोटी को तरसें।
मन उनका भी बोतल से हरषे।
जो राशन फ्री का लाते हैं।
वे दारू पर रकम लुटाते हैं।
कुछ ने तो हद इतनी कर दी।
पूड़ी तक दश में धर दी।
जो कुछ था कमाया रोटी का।
उसको दारू पर लुटा दिया।
क्या खूब है हिम्मत जज़्बा भी
इन अतिशय भूखे प्यासों का।
इन विषम दिनों में भी सबने।
क्या देश हेतु है काम…
Added by Awanish Dhar Dvivedi on May 7, 2020 at 7:00pm — 3 Comments
जब हो हृदय अतिशय व्यथित
मन में उठें लहरें अमिट।
शब्द के जल से द्रवित हो
अश्रु सा बन धार बहना
काव्य सरिता का निकलना
है यही कविता का कहना।।काव्य सरिता का...
या परम सुख की घड़ी में
याद करके जिस कड़ी को।
या हृदय की धड़कनों से
शब्द गुच्छों का निकलना
काव्य सरिता का है बहना।काव्य सरिता का....
या विरह की वेदना का
जब स्वयं वर्णन हो करना।
बिन कहे सब कुछ हो कहना
शब्द की नौका पे चढ़कर
दर्द की दरिया में बहना
है यही कविता का…
Added by Awanish Dhar Dvivedi on April 27, 2020 at 9:19am — 1 Comment
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