आज हूं लाचार धीरज मैं दिखाऊँगा
मेहनत से राज करके मैं दिखाऊंगा।।
वक़्त का है काम चलना खुद के ढर्रे पर
ज़िन्दगी को भी मुक़द्दस मैं बनाऊँगा।।
जो भी दुःखियारे हैं उनके दर्द को हूँ जानता
दर्द में हमदर्द बनकर मैं हँसाऊँगा।।
वक्त कब रुकता जहाँ में हो भला या हो बुरा
अनवरत चलता ही रहता मैं बताऊँगा।
हौसलों से ही तो होती हैं उड़ानें आसमां में
बन परिन्दा जोश के पर मैं लगाऊँगा।।
आज के इस दौर में छाया घना कुहरा तो क्या?
धैर्य रख अवनीश अच्छे दिन मैं लाऊँगा।।
मौलिक एवं अप्रकाशित
अवनीश
३१/५/२०२२
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