चाय पिला पिला कर ,
लोगो की सेवा वो करता रहा,
महज़ चार चाय की कीमत पर ,
मालिक उसको छलता रहा,
भूखी अंतड़िया ,
क्या जाने चाय की तलब ,
दो रोटियां, चोखे संग,
पाने को पेट जलता रहा ,
बैठे चायखाने मे
खादी पहने
कुछ उच्च शिक्षित लोगों के मध्य
"बाल…
Added by Er. Ganesh Jee "Bagi" on June 12, 2010 at 3:00pm — 27 Comments
Added by Er. Ganesh Jee "Bagi" on June 2, 2010 at 10:32pm — 6 Comments
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