For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

राजेश 'मृदु''s Blog – November 2012 Archive (5)

जाओ तूती

नक्‍कारों में

गूंज रही फिर

तूती की आवाज

नहीं जागना

आज पहरूए

खुल जाएगा राज



लाचार कदम

बेबस जनता के

होते ही

कितने हाथ

आधे को

जूठी पत्‍तल है

आधे को

नहीं भात



अकदम सकदम

जरठ मेठ है

और भीरू

युवराज

भव्‍य राजपथ

हींस रहे हैं

सौ-सौ गर्धवराज



आओ खेलें

सत्‍ता-सत्‍ता

जी भर खेलें

फाग

झूम-झूम कर

आज पढ़ेंगें

सारी गीता

नाग



जाओ

इस नमकीन शहर से

तूती अपने…

Continue

Added by राजेश 'मृदु' on November 26, 2012 at 12:30pm — 2 Comments

मुकरियां (एक प्रयास)

वह अरूप सबके मन भाए
सुध-बुध सबके वह बिसराए
चारू चरण पावन सुखधाम…
Continue

Added by राजेश 'मृदु' on November 23, 2012 at 1:30pm — 12 Comments

कुछ दोहे

कितना कुछ सुलगा बुझा, तेरे-मेरे बीच

ख्‍वाबों में भी हम मिले, अपने जबड़े भींच

कैसे फूलों में लगी, ऐसी भीषण आग

कोयल तो जलकर मरी, शेष बचे बस नाग

जबसे तुम प्रियतम गए, गूंगा है आकाश

तृन-टुनगों पर हैं पड़े, अरमानों की लाश

बिखरा-बिखरा दिन ढला, सूनी-सूनी शाम

तारों पर लिखता रहा, चंदा तेरा नाम

तुम बिन कविता क्‍या लिखूं, दोहा, रोला, छंद

भाव चुराते शब्‍द हैं, लय भी कुंठित, मंद

Added by राजेश 'मृदु' on November 5, 2012 at 12:46pm — 7 Comments

झर गए पारिजात (श्रद्धेय सुनील गंगोपाध्‍याय की स्‍मृति में)

मूक हो गई

रांगा माटी

नीरव नभ

अनुनाद

रम्‍य तपोवन

गुमशुम-गुमशुम

झर गए पारिजात

कासर घंटे

ढाक सोचते

ढूंढ रहे

वह नाद

भरे-भरे मन

प्राण समेटे

भींगे सारी रात

कमल-कुमुदिनी

मौन मुखर हैं

कहां भ्रमर

कहां दाद

पंकिल पथ पर

हवा पूछती

कैसे ये संघात

जाओ अपने

देश को पाती

यह पता

कहां आबाद

अपनी…

Continue

Added by राजेश 'मृदु' on November 2, 2012 at 1:28pm — 3 Comments

धूप

नीला नभ
फिर निखर गया
लौट चले
बादल के यूप

कच्‍चे गुड़ की
गंध समेटे
नाच रही
मायावी धूप

खिलखिल करती
कास की पंगत
कासर घंटे
अगरू धूप

फुदक रही
फिर से गौरैया
माटी सोना
चांदी धूप

Added by राजेश 'मृदु' on November 1, 2012 at 5:00pm — No Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"माता - पिता की छाँव में चिन्ता से दूर थेशैतानियों को गाँव में हम ही तो शूर थे।।*लेकिन सजग थे पीर न…"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"वो भी क्या दिन थे सखा, रह रह आए याद। करते थे सब काम हम, ओबीओ के बाद।। रे भैया ओबीओ के बाद। वो भी…"
5 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"स्वागतम"
17 hours ago
धर्मेन्द्र कुमार सिंह posted a blog post

देवता चिल्लाने लगे हैं (कविता)

पहले देवता फुसफुसाते थेउनके अस्पष्ट स्वर कानों में नहीं, आत्मा में गूँजते थेवहाँ से रिसकर कभी…See More
19 hours ago
धर्मेन्द्र कुमार सिंह commented on धर्मेन्द्र कुमार सिंह's blog post देश की बदक़िस्मती थी चार व्यापारी मिले (ग़ज़ल)
"बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय,  मिथिलेश वामनकर जी एवं आदरणीय  लक्ष्मण धामी…"
20 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185

परम आत्मीय स्वजन, ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 185 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
Wednesday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, प्रस्तुति पर आपसे मिली शुभकामनाओं के लिए हार्दिक धन्यवाद ..  सादर"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

आदमी क्या आदमी को जानता है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२२ कर तरक्की जो सभा में बोलता है बाँध पाँवो को वही छिप रोकता है।। * देवता जिस को…See More
Tuesday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Monday
Sushil Sarna posted blog posts
Nov 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Nov 5

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service