For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मुकरियां (एक प्रयास)

वह अरूप सबके मन भाए
सुध-बुध सबके वह बिसराए
चारू चरण पावन सुखधाम
क्या सखि साजन ? नहीं सखि श्याम
 .
रेशम-रेशम जिसकी बातें
रतनारी जिसकी सौगातें
बड़ा सुहाना एक चितचोर
क्या सखि साजन ? नहीं सखि भोर
.
मायावी वो छैल छबीली
करती बातें बड़ी नशीली
पाद उदर नहीं लोचन गात
क्या सखा सजनी ?  नहीं जी रात
 .
तिनका-तिनका स्‍कैन करे वो
सबको ही बेचैन करे वो
मुस्टंडा है बेहद बकटेट
क्या सखि साजन ?  नहीं सखि जेठ

Views: 802

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Anwesha Anjushree on December 19, 2012 at 7:03pm

तिनका-तिनका स्‍कैन करे वो

सबको ही बेचैन करे वो
मुस्टंडा है बेहद बकटेट
क्या सखि साजन ?  नहीं सखि जेठ
kya baat..behad umda
Comment by राजेश 'मृदु' on December 5, 2012 at 2:13pm

आप सबके प्रोत्‍साहन से मन झूम उठा । यात्राओं के चलते नियमित नहीं रह पाता हूं कृपया क्षमा करें । अभी छंदों पर दी गई जानकारी पढ़ी थोड़ा अभ्‍यास कर प्रस्‍तुत करने का प्रयास करूंगा

Comment by Abhinav Arun on December 4, 2012 at 7:46pm

वाह राजेश जी शब्द चयन की ताजगी आकर्षित करती है ।

रेशम-रेशम जिसकी बातें
रतनारी जिसकी सौगातें
बड़ा सुहाना एक चितचोर
क्या सखि साजन ? नहीं सखि भोर
 

खूबसूरत है रचना हार्दिक बधाई आपको !!

Comment by कवि - राज बुन्दॆली on December 2, 2012 at 7:42pm
रेशम-रेशम जिसकी बातें
रतनारी जिसकी सौगातें
बड़ा सुहाना एक चितचोर
क्या सखि साजन ? नहीं सखि भोर,,,,,,,,,,,,,वाह वाह वाह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह क्या बात है,,,,,,,,,,,,,बधाई
Comment by Ashok Kumar Raktale on November 25, 2012 at 7:55pm

आदरणीय राजेश जी 

                   सादर, बहुत सुन्दर कह मुकरियों के लिए बधाई स्वीकारें.


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on November 24, 2012 at 8:58pm
तिनका-तिनका वो करे स्‍कैन,
सबको ही वो करे बेचैन,
मुस्टंडा है बेहद बकटेट,
क्या सखि साजन ?  नहीं सखि जेठ :-)
बहुत्खुब राजेश कुमार जी, कह मुकरी छंद पर बहुत ही बढ़िया प्रयास, बधाई स्वीकार करें |

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 24, 2012 at 6:54pm

तिनका-तिनका स्‍कैन करे वो

सबको ही बेचैन करे वो
मुस्टंडा है बेहद बकटेट
क्या सखि साजन ?  नहीं सखि जेठ-----हाहाहा बहुत मजेदार  ये वाली कह मुकरिया तो ----बकटेट  शब्द पहली बार सुना अर्थ भी बता देते तो अच्छा था ।बहरहाल कह्मुकरिया पर सफल साधा हुआ प्रयास देख कर हर्ष हुआ बहुत बहुत बधाई राजेश कुमार झा जी 
Comment by Yogi Saraswat on November 24, 2012 at 1:00pm
रेशम-रेशम जिसकी बातें
रतनारी जिसकी सौगातें
बड़ा सुहाना एक चितचोर
क्या सखि साजन ? नहीं सखि भोर
.aapke shabd achchhe lage jha saab ! lekin main ye jaanana chahta hoon ki mukariyan koi alag vidha hoti hi sahitya ki ?
Comment by shalini kaushik on November 24, 2012 at 12:48am

very nice presentation


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on November 23, 2012 at 9:41pm

बिल्कल सधी हुई, सुप्रवाहित और सुमधुर कह्मुकरियाँ कही है राजेश कुमार झा जी. हार्दिक बधाई इस विधा पर इंतना सुन्दर लिखने के लिए.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मनन कुमार सिंह जी। बोलचाल में दोनों चलते हैं: खिलवाना, खिलाना/खेलाना।…"
12 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आपका आभार उस्मानी जी। तू सब  के बदले  तुम सब  होना चाहिए।शेष ठीक है। पंच की उक्ति…"
12 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"रचना भावपूर्ण है,पर पात्राधिक्य से कथ्य बोझिल हुआ लगता है।कसावट और बारीक बनावट वांछित है। भाषा…"
12 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदरणीय शेख उस्मानी साहिब जी प्रयास पर  आपकी  अमूल्य प्रतिक्रिया ने उसे समृद्ध किया ।…"
13 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"आदाब। इस बहुत ही दिलचस्प और गंभीर भी रचना पर हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह साहिब।  ऐसे…"
13 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"जेठांश "क्या?" "नहीं समझा?" "नहीं तो।" "तो सुन।तू छोटा है,मैं…"
15 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक स्वागत आदरणीय सुशील सरना साहिब। बढ़िया विषय और कथानक बढ़िया कथ्य लिए। हार्दिक बधाई। अंतिम…"
18 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"माँ ...... "पापा"। "हाँ बेटे, राहुल "। "पापा, कोर्ट का टाईम हो रहा है ।…"
21 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"वादी और वादियॉं (लघुकथा) : आज फ़िर देशवासी अपने बापू जी को भिन्न-भिन्न आयोजनों में याद कर रहे थे।…"
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"स्वागतम "
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on नाथ सोनांचली's blog post कविता (गीत) : नाथ सोनांचली
"आ. भाई नाथ सोनांचली जी, सादर अभिवादन। अच्छा गीत हुआ है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Admin posted a discussion

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118

आदरणीय साथियो,सादर नमन।."ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है।"ओबीओ…See More
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service