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मनोज अहसास's Blog – April 2015 Archive (1)

छटपटाहट

हर तरफ है छटपटाहट बोलता कोई नहीं
या हमारी मुश्किलो को जानता कोई नहीं
वो बहुत मज़बूर है या देने की नियत नहीं
या हमारी ख्वाहिशो की इंतहा कोई नहीं
वो अपनी मिट्ठी ज़ुबा से फिर तसल्ली दे गया
और हमारे दर्द की यारो ज़ुबा कोई नहीं
अपने जी का दर्द हम किस्से कहे तू ये बता
अपना तो तेरे शहर में तेरे सिवा कोई नहीं
उसने एक फहरिसित् दी है अपने रिस्तेदारो की
नाम मेरा भी लिखा आगे लिखा कोई नहीं




मौलिक और अप्रकाशित

Added by मनोज अहसास on April 28, 2015 at 5:17pm — 3 Comments

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