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Hilal Badayuni's Blog (37)

एक तवायफ की दास्तान

कितनी बदली हुई तकदीर नज़र आती है--ये जवानी मेरी तस्वीर नज़र आती है !!



                    
                                                         हमने सोचा न था हालात कुछ ऐसे होंगे !…
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Added by Hilal Badayuni on October 31, 2011 at 12:30am — 16 Comments

क्यों अदीब अब तक है खोये ज़ुल्फ़ और रुखसार में !!

हमको  रहना  चाहिए  अब  सोह्बते  तलवार  में !

क्यों अदीब अब तक है खोये ज़ुल्फ़ और रुखसार  में !!


जब  तलक  उलझा  रहेगा  दामने  दिल  खार  में !
हम  सुकू  से  रह  नहीं  पाएंगे  इस  गुलज़ार  में  !!


नकहते  गुल  सुबहे  नौ शम्सो  कमर  अंजुम  जिया ! 
नेमतें  क्या  क्या  छुपी  है  यार  के  दीदार  में !!


मुद्दतो  जिस …
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Added by Hilal Badayuni on October 15, 2011 at 5:00pm — 9 Comments

बेवफाई भी ज़रूरी है वफ़ा से पहले !!

मर्ज़  जिस  तरह  से  लाजिम  है  दवा  से  पहले  !

बेवफाई  भी  ज़रूरी  है  वफ़ा  से  पहले  !!
ख्वाहिश  ऐ   दीद  है  यूँ   दिल  को  क़ज़ा  से  पहले  !
तुमसे  मिलने  की  तमन्ना  है  खुदा  से  पहले  !!
आरजू  तो  है  चरागों   को  जलाने  की  मगर  !
मुझको  मालूम  तो  करने  दो  हवा  से  पहले  !!
जब  मेरा  साथ  निभाना  ही  नहीं  था  तुमको  !
क्यों  दिए  मुझको  मुहब्बत  में  दिलासे  पहले  !!
सिर्फ  खिलअत  से  नहीं…
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Added by Hilal Badayuni on October 7, 2011 at 12:30pm — 3 Comments

तेरी आँखों से लड़ गयीं आँखें !

तेरी आँखों से लड़ गयीं आँखें !

कितनी उलझन में पड़ गयीं आँखें !!



आँख से जब बिछड़ गयीं आँखें !

आंसुओ में जकड़ गयीं आँखें !!



तू जो आया बहार लौट आयी !

तू गया तो उजड़ गयीं आँखें !!



तेरे आने की इन्तेज़ारी में !

घर की चौखट पे जड़ गयीं आँखें !!



आज फिर ज़िक्र छिड गया उसका !

आज फिर से उमड़ गयीं आँखें !!



रौशनी… Continue

Added by Hilal Badayuni on June 15, 2011 at 10:30pm — 1 Comment

पीने की और जिद न करो तुम नशे में हो !

पीने की और जिद न करो तुम नशे में हो !

अब मैकदे से घर भी चलो तुम नशे में हो ! !



ये क्या की सिर्फ मुझसे कहो तुम नशे में हो !

तुम भी मुझे पिलाके कहो तुम नशे में हो !!



पीते हो दस्ते ग़ैर से क्यों बज्मे ग़ैर में !

छोड़ो उठो यहाँ से चलो तुम नशे में हो !!



उतरेगा जब नशा तो मुझे भूल जाओगे !

मत वादा ऐ विसाल करो तुम नशे में हो… Continue

Added by Hilal Badayuni on June 14, 2011 at 10:00pm — 2 Comments

उनको हरजाई बताऊँ तो बताऊँ कैसे !

उनको हरजाई बताऊँ तो बताऊँ कैसे !

खुद हंसी अपनी उडाऊं तो उडाऊं कैसे !!


मुझको ईकान है वो अब भी वफ़ा कर लेंगे !
बेवफा उनको बताऊँ तो बताऊँ कैसे !!


शोला ए हिज्र से ये और भड़क जाती है !
आग इस दिल की बुझाऊं तो बुझाऊं कैसे !!


उनके दरयाऐ मुहब्बत में है मौजों का हुजूम !
कश्तिये इश्क चलाऊं तो चलाऊं कैसे…
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Added by Hilal Badayuni on June 6, 2011 at 1:41am — 9 Comments

एक आरजू

मेरी आवाज़ में कुछ ऐसा असर हो जाये !

याद  जिसको मै करूँ उसको खबर हो जाये !!


काश तशरीफ़…
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Added by Hilal Badayuni on May 14, 2011 at 5:30am — 8 Comments

यह वर्ष हम सभी को हर तरह रास आये

यह वर्ष हम सभी को हर तरह रास आये--घर घर में शांति हो हर बच्चा मुस्कुराये

कठिनाइयों में अब तक गुज़रा हो जिसका जीवन…
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Added by Hilal Badayuni on January 1, 2011 at 7:30pm — 9 Comments

जब चमन पुरबहार होते हैं

जब चमन पुरबहार होते हैं

खार भी लालाज़ार होते हैं



कौन साथी है दौर-ऐ-ग़ुरबत का

सब बनी के ही यार होते हैं



हम गिला क्या करें जफ़ाओं का

जब सितम बार बार होते हैं



टूट जाते है चन्द बातों से

रिश्ते कम पायदार होते हैं



अजनबी हमसफ़र तो ऐ लोगों

रास्ते का गुबार होते हैं



आज के दौर की अदालत में

बेगुनाह गुनाहगार होते हैं



जिनमे इमरज-ऐ-बुग्ज़-ओ-कीना हो

क़ल्ब वो दाग़ दार होते है



यूँ न अबरू को दीजिये… Continue

Added by Hilal Badayuni on October 25, 2010 at 8:22pm — 8 Comments

जो लोग इस जहाँ में वफ़ादार होते हैं

जो लोग इस जहाँ में वफ़ादार होते हैं

दुनिया में आज वो ही गुनाहगार होते हैं



ऐसा न हो कहीं के सजा इनको भी मिले

कुछ लोग क्यूँ हमारे तरफदार होते हैं



वो ज़ुल्म भी करें तो उन्हें सब मुआफ है

हम उफ़ भी करते हैं तो ख़तावार होते हैं



हरगिज़ न उतरें इश्क के दरिया में नौजवान

दरया-ऐ-इश्क में कई मझदार होते हैं



एहसास-ऐ-कमतरी में रहते हैं जो मुब्तिला

वो भी दिल-ओ-दिमाग से बीमार होते है



छब्बीस जनवरी हो या स्वतंत्रता दिवस

हम लोगों… Continue

Added by Hilal Badayuni on October 12, 2010 at 11:55pm — 6 Comments

आपस में भाइयों को लड़ाकर चला गया

शैतान अपना काम बनाकर चला गया

आपस में भाइयों को लड़ाकर चला गया



फिर आदतन वो मुझको सताकर चला गया

हँसता हुआ जो देखा रुलाकर चला गया



उल्फत का मेरी कैसा सिला दे गया मुझे

पलकों पे मेरी अश्क सजाकर चला गया



"जाने से जिसके नींद न आई तमाम रात"

वो कौन था जो ख्वाब में आकर चला गया



बदनाम कर रहा था जो मुझको गली गली

देखा मुझे तो नज़रें झुकाकर चला गया



कातिल को जब वफाएं मेरी याद आ गयीं

तुरबत पे मेरी अश्क बहाकर चला… Continue

Added by Hilal Badayuni on October 11, 2010 at 11:00pm — 5 Comments

राज़ दिल का छुपाया बहुत है

राज़ दिल का छुपाया बहुत है

आंसुओं को सुखाया बहुत है



मै समझता था जिसको शनासा

आज वो ही पराया बहुत है



मैंने जिसको हसाया बहुत था

उसने मुझको रुलाया बहुत है



अब कोई और खेले न दिल से

ये किसी ने सताया बहुत है



कर चला है वो नाराज़ मुझको

मैंने जिसको मनाया बहुत है



उसके लफ्जों में हूँ आज भी मै

वैसे उसने भुलाया बहुत है



तेरी संजीदगी कह रही है

तू कभी मुस्कुराया बहुत है



क्या हुआ जो समर अब नहीं… Continue

Added by Hilal Badayuni on October 7, 2010 at 11:05pm — 8 Comments

हम कलम को फ़ेंक के तलवार भी ले सकते है

कमज़र्फ़

तू हमारी वजह से ही साहिब -ऐ -मसनद है आज
हम जो चाहें तेरी दस्तार भी ले सकते है
इम्तिहान -ऐ -सब्र मत ले खूगर -ऐ -ज़ुल्म -ओ -सितम
हम कलम को फ़ेंक के तलवार भी ले सकते है

उरूज

दुनिया वाले कह रहे है साजिशों से पायी है
हमने ये जिंदा दिली तो ख्वाहिशों से पाई है
कामयाबी पर हमारी जल रहा है क्यों जहाँ
कामयाबी हमने अपनी काविशों से पायी है

Added by Hilal Badayuni on October 5, 2010 at 10:30pm — 3 Comments

हम तुमसे मिल रहे है बड़ी मुद्दतो के बाद ,



दर्द



आँखों पे जब से पड़ गयीं नज़रें फरेब की

आंसू हमारे और भी नमकीन हो गए

तुमने हमारे दर्द की लज्ज़त नहीं चखी

जिसने चखी वो दर्द के शौक़ीन हो गए



मुलाक़ात



हम तुमसे मिल रहे है बड़ी मुद्दतो के बाद ,

दो फूल खिल रहे है बड़ी मुद्दतो के बाद .

जुम्बिश हुई लबो को तो महसूस ये हुआ ,

ये होंठ हिल रहे है बड़ी मुद्दतो के बाद



अपनी माटी



हर इक इंसान को करना चाहिए सम्मान मिटटी…
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Added by Hilal Badayuni on October 5, 2010 at 10:30pm — 7 Comments

मेरे पांच क़तात

तन्हा सफ़र



दिन मुसीबत के टल नहीं सकते ,



हम भी किस्मत बदल नहीं सकते .



हम तखय्युल को साथ रखते है ,



तुम तो हमराह चल नहीं सकते :





अर्ज़-ऐ-हाल



हम अपनी जान किसी पर निसार कैसे करें ,



तुझे भुला के किसी और से प्यार कैसे करें .



तेरे बिछड़ने से दुनिया उजाड़ गयी दिल की ,



इस उजड़े दिल को अब हम खुशगवार कैसे करें .





जदीदियत



ख्याल उठने से पहले ही सो गए होंगे ,



कुछ अपने… Continue

Added by Hilal Badayuni on October 5, 2010 at 10:05pm — 2 Comments

क्या तुम समझ रहे हो मेरी शायरी की बात ????







उंगलियाँ



जिस दिन से उसकी ज़ुल्फ़ से महरूम हो गयीं

उस दिन से मुझे हाथ में खलती है उंगलियाँ

दस्त -ऐ -करम से उसके यकीं हो गया मुझे

किस्मत किसी की कैसे बदलती है उंगलियाँ





बद -किस्मती



वो है मेरा रफ़ीक मै उसका रकीब हु ,

दुनिया समझ रही है मै उसके करीब हु .

चाह था जिसने मुझको मै उसका न हो सका ,

मै बदनसीब हु मै बहुत बदनसीब हु :





ता -उस्सुरात-ऐ… Continue

Added by Hilal Badayuni on October 5, 2010 at 10:00pm — 3 Comments

तीन क़त'आत

//कोशिश//



तूने शब् -ऐ -विसाल को आने नहीं दिया ,

मैंने भी इस मलाल को आने नहीं दिया .

रखा है खुद को दूर तेरी याद से बहुत

दिल में तेरे ख्याल को आने नहीं दिया !

------------------------------------------

//पहचान//



नाम -ओ -निशान मेरा मिटेगा नहीं कभी

गुलशन में खुश्बुओ की झलक छोड़ जाऊंगा

गुलचीं मसल के देख मुझे मै वो फूल हूँ

हाथो में तेरे अपनी महक छोड़ जाऊंगा… Continue

Added by Hilal Badayuni on September 23, 2010 at 7:00pm — 3 Comments

आज की साम्प्रदायिकता के नाम...........

काश रहबर मिला नहीं होता

मै सफ़र में लुटा नहीं होता



गुंडागर्दी फरेब मक्कारी

इस ज़माने में क्या नहीं होता



हम तो कब के बिखर गए होते

जो तेरा आसरा नहीं होता



आग नफरत की जिसमे लग जाये

पेढ़ फिर वो हरा नहीं होता



हम शराबी अगर नहीं बनते

एक भी मैकदा नहीं होता



हिन्दू मुस्लिम में फूट मत डालो

भाई भाई जुदा नहीं होता



ये सियासत की चाल है लोगो

धर्म कोई बुरा नहीं होता



मंदिरों मस्जिदों पे लढ़ते… Continue

Added by Hilal Badayuni on September 21, 2010 at 12:56pm — 3 Comments

तकल्लुफ

इस बार वो ये बात अजब पूछते रहे

मेरी उदासियो का सबब पूछते रहे

अब ये मलाल है कि बता देते राज़-ऐ-दिल

तब कह सके न कुछ भी वो जब पूछते रहे

Added by Hilal Badayuni on September 19, 2010 at 4:00pm — 6 Comments

नाकाम वफाएं

छोड़ कर वो साथ मेरा जब जुदा हो जायेगा ,

ज़ात पैर इंसान की कुछ तब्सिराह हो जायेगा .

हद से ज्यादा कर रहा था मै वफाएं उसके साथ ,

मुझको क्या मालूम था वो बेवफा हो जायेगा .

Added by Hilal Badayuni on September 19, 2010 at 4:00pm — No Comments

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