उसे कुछ दिखाई नहीं देता
सिवा
अपने आप के
अपनी आँखों के सामने
उसने रखा है
आईना
वह रहता है आत्ममुग्ध
समझता है स्वयं को ही
सबसे सुंदर
सर्वश्रेष्ठ
उसने देखा नहीं है
कोई और चेहरा
उसे कुछ सुनाई भी नहीं देता
बंद कर रखे हैं
उसने अपने कान
वह सुनता है
सिर्फ अपने आप को ही
गूँजती है उसके कान में
अपनी ही आवाज
मानता है अपनी बात को ही
एक मात्र सत्य
चाहता है समूची दुनियाँ को
बनाना अपने जैसा
आँखों…
Added by Neeraj Neer on December 28, 2015 at 8:34pm — 3 Comments
2122 2122 2122 22/112
शाम लिख ले सुबह लिख ले ज़िंदगानी लिख ले
नाम अपने हुस्न के मेरी जवानी लिख ले।
कब्ल तोहमत बेवफ़ाई की लगाने से सुन
नाम मेरा है वफा की तर्जुमानी लिख ले ।
जो बनाना चाहता है खुशनुमा संसार को
अपने होंठो पे मसर्रत की कहानी लिख ले।
मंहगाई बढ़ रही है रात औ दिन चौगुनी
वादे अच्छे दिन के निकले लंतरानी लिख ले।
लाल होगी यह जमी गर इन्सानो के खूँ से
रह न जाएगा अंबर भी आसमानी लिख ले…
Added by Neeraj Neer on December 15, 2015 at 10:46pm — 16 Comments
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