कुंठा - लघुकथा -
आदरणीय मामाजी,
आपने मेरे लिये जो किया वह मैं जीवन भर नहीं भूल सकता। आपने अपना भविष्य दॉव पर लगा दिया| आपकी बी ई की पढ़ाई छूट गयी। वह घटना मेरे जीवन की भयंकर भूल थी।जिसके अपराध बोध से आज तक ग्रसित हूँ।
उस समय मैं केवल सात साल का था अतःइतना डर गया था कि सच नहीं बोल सका।
इतने साल बाद आज मैं आपको सच बताने का साहस जुटा पाया हूँ|
दिवाली की उस रात खाने के बाद आप जब पान खाने जाने लगे तो मैं भी जिद करके आपके साथ चल दिया था।
आपने पान वाले को…
ContinueAdded by TEJ VEER SINGH on December 8, 2018 at 7:28pm — 6 Comments
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