For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Tasdiq Ahmed Khan's Blog – December 2017 Archive (4)

ग़ज़ल( उठ न जाए क़ियामत नये साल में )

ग़ज़ल( उठ न जाए क़ियामत नये साल में )

------------------------------------------------------

( फाइलुन--फाइलुन--फाइलुन--फाइलुन)

उन पे आई बुलूगत नये साल में |

उठ न जाए क़ियामत नये साल में |

भूल बैठे पुरानी अदावत को वो

देख कर मेरी मिन्नत नये साल में |

बाग़बाने चमन ज़ुल्म से बाज़ आ

वरना होगी बग़ावत नये साल में |

दिल में घर कर नहीं पाएँ शिकवे कभी

डालिए एसी आदत नये साल में |

राह तकता हूँ मुद्दत से…

Continue

Added by Tasdiq Ahmed Khan on December 31, 2017 at 10:10pm — 22 Comments

ग़ज़ल (यूँ नहीं मैं ने ज़माने से बग़ावत की है )

(फाइलातुन -फइलातुन -फइलातुन -फेलुन)

यूँ नहीं मैं ने ज़माने से बग़ावत की है |

मुझ से उस शोख़ ने बे लौस मुहब्बत की है |

दिल ने मजबूर बहुत कर दिया मुझको वर्ना

मैं ने कब मर्ज़ी से उस शोख़ की हसरत की है |

मुझ से उम्मीद वफ़ा की है उसी को यारो

उम्र भर जिसने मेरे साथ अदावत की है |

रहनुमाई के लिए मैं ने चुना था जिसको

हाए उसने भी मेरे साथ सियासत की है |

सोच लेना वो कोई ग़ैर नहीं अपने हैं

तुमने…

Continue

Added by Tasdiq Ahmed Khan on December 27, 2017 at 2:00pm — 24 Comments

ग़ज़ल (मिलाओ किसी से नज़र धीरे धीरे )

ग़ज़ल (मिलाओ किसी से नज़र धीरे धीरे )

-------------------------------------------------

(फऊलन -फऊलन -फऊलन -फऊलन )

मिलाओ किसी से नज़र धीरे धीरे |

निकल जाएगा दिल से डर धीरे धीरे |

मुहब्बत में अंजाम की फ़िक्र मत कर

करे है यह दिल पे असर धीरे धीरे |

अभी तुझको जी भर के देखा कहाँ है

निगाहों में आ के ठहर धीरे धीरे |

मिलेगा वफ़ा का सिला सब्र तो कर

वो लेते हैं दिल की ख़बर धीरे धीरे |

यही इंतहा है…

Continue

Added by Tasdiq Ahmed Khan on December 16, 2017 at 8:28pm — 24 Comments

ग़ज़ल (किसी खंजर का मत अहसान लीजिए )

(मफाईलुन-मफाईलुन -फऊलन )

किसी खंजर का मत अहसान लीजिए |

हमारी मुस्करा कर जान लीजिए |

जिसे अपना बनाने जा रहे हैं

उसे अच्छी तरह पहचान लीजिए |

हमारा साथ दोगे ज़िंदगी भर

वफ़ा से पहले दिल में ठान लीजिए |

मुझे तो बाद में चुन लीजिएगा

जहाँ की खाक पहले छान लीजिए |

किसे है ख़ौफ़ दिलबर इम्तहाँ का

कमाँ हाथों में अपने तान लीजिए |

किसी का लीजिए अहसान लेकिन

न दौलत मंद का अहसान लीजिए…

Continue

Added by Tasdiq Ahmed Khan on December 7, 2017 at 2:00pm — 12 Comments

Monthly Archives

2022

2019

2018

2017

2016

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। रचना पर उपस्थिति व स्नेहाशीष के लिए आभार। जल्दबाजी में त्रुटिपूर्ण…"
54 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"आयोजन में सारस्वत सहभागिता के लिए हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय लक्ष्मण धामी मुसाफिर जी। शीत ऋतु की सुंदर…"
3 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"शीत लहर ही चहुँदिश दिखती, है हुई तपन अतीत यहाँ।यौवन  जैसी  ठिठुरन  लेकर, आन …"
10 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"सादर अभिवादन, आदरणीय।"
10 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"सभी सदस्यों से रचना-प्रस्तुति की अपेक्षा है.. "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। लम्बे अंतराल के बाद पटल पर आपकी मुग्ध करती गजल से मन को असीम सुख…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Nov 18
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Nov 18
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Nov 17

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service