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प्रदीप देवीशरण भट्ट's Blog – November 2019 Archive (3)

उर उमंग से भर गया

उर उमंग से भर गया

मैं छम छम नाचूँ आज

ख़बर सखी ने दी मुझे

मेरे पिया खड़े हैं द्वार

 

मन प्रसन्न इस बात से

नित गाए ख़ुशी के गीत

मिलने क़ी बेताबी उर में

प्रतिदिन औऱ बढ़ाए प्रीत

 

द्वार तक रहे सुबह से नयना

औऱ छत पे कागा का शोर

स्वाती क़ी बूँदों क़ी प्रतीक्षा

करता रहता है जैसे चकोर

 

     

 

  -प्रदीप देवीशरण भट्ट -26.11.2019, हैदराबाद(9867678909)

मौलिक व अप्रकाशित

Added by प्रदीप देवीशरण भट्ट on November 28, 2019 at 6:00pm — 3 Comments

यादें

अब सिर्फ़ तुम्हारी यादें ही तो हैं

जिन्हें संजोकर रक्खा हुअ है मैंने।

अपनी धुँधली होती हुई स्मृतियों में,

इन गुलाब के फूलों क़ी पंखुड़ियों में॥

 

मैं अभी तक भी कुछ नहीं भूला हूँ,

लैंपपोस्ट क़ी वो मद्दिम रौशनी में।

मेरे कांधे तुम्हारा धीरे से सर रखना,

औऱ फिर घंटो तलक अपलक निहारना॥

 

वो आकाश में बिजली का वो कौंधना,

तुम्हारा घबराकर मुझसे लिपट जाना।

मुझे अहसास कराता था सदियों का,

उन पलों का कुछ देर यूँ ही…

Continue

Added by प्रदीप देवीशरण भट्ट on November 27, 2019 at 6:30pm — 4 Comments

मन है कि मानता ही नहीँ ....

काश मैं भी उड़ सकती

खुले विस्तृत गगन में

बादलों को चीरते हुए 

और छू सकती आकाश

                                                                   

पर ये संभव ही कहाँ है …

Continue

Added by प्रदीप देवीशरण भट्ट on November 26, 2019 at 1:00pm — 14 Comments

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