For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

PHOOL SINGH's Blog – November 2012 Archive (6)

कसाब को फाँसी

सरकार की अपना करो बखान

क्या खूब किया इसने इंसाफ

खाली कर दिया देश खजाना

बचाने को आतंकी मियां “कसाब”

 

हत्याओं की लगा कतार

फाँसी लटके खुद भी यार

पाप की सजा जो तुमने पाई

पाक की इज्जत खाक मिलाई

 

आतंकियों का बन शिरोमणि

ताज पर बमो की झड़ी लगाई

बेगुनाहों का मार के यारा

माफ़ी की फिर गुहार लगाई

 

जख्म भी ऐसे दिए जहाँ को

शैतान भी ले सर झुका

जेल में रह कर भी

पड़ा ना…

Continue

Added by PHOOL SINGH on November 22, 2012 at 11:30am — 6 Comments

दीपावली की शुभकामनाये

         

आओ मिलकर दीप जलाये

दीप, लड़ियों से घर सजा

हर तरह का तम मिटा

जग को प्रकाश की सौगात दिलाये

आओ मिलकर दीप जलाये

 

प्रेम की ज्योति जला के हृदय

बैर से मुक्ति, जग दिलाये

उपहार में बाँट के सदभावना

मीठास की ऐसी रीत चलाये

आओ मिलकर दीप जलाये

 

क्रोध अग्नि को विजित कर

सयंम में खुद नियंत्रित कर

विन्रमता का सबको पाठ पढाये

देश में प्रेम की लहर चलाये

आओ मिलकर दीप…

Continue

Added by PHOOL SINGH on November 10, 2012 at 12:10pm — 4 Comments

दास्ताँ है यें जीव की

दास्ताँ  है यें जीव की

वस्त्र ढ़के, मृत शरीर की

वृद्ध होते ही छोड़ चलें

नींव लिखने, नई तकदीर की

 

प्रीती जाती जब, हृदय जग

दो तनो कर, एक मन

बीज से जाता पराग बन

भू धरा पर ले जन्म

पंचतत्वो का कर संगम

पाया जग में मानव तन

 

शिशु से किशोर तक

रूप बनाया मन भावन

अटखेलियाँ कर कर के

हर्षित करता सबका मन

शिक्षा का वो कर अध्ययन

ज्ञान से करता जग रोशन

 

अध्यन का समय हुआ…

Continue

Added by PHOOL SINGH on November 9, 2012 at 5:32pm — 2 Comments

जीवन की शुरुआत

नये जीवन की शुरुआत करें हम

मृत्यु से ना कभी डरे हम

कर्मभूमि बना धरा को              

स्थापित प्रमाण अपने करें हम

गीता उपदेश को ध्यान रख

समाहित धर्म कर्म को कर

ज्ञान बीज की उपज करें हम

कर्म को पूजा मान के अपनी

चेतना वृक्ष तैयार करें हम

आओ नए जीवन की शुरुआत करें हम

 

आसक्त ना हो भौतिक जगत से

अपने अंतर्मन से ध्यान धरे हम

कौन हूँ मैं, कहा से आया

किस मनसा से जग में आया  

क्या खोया, और…

Continue

Added by PHOOL SINGH on November 8, 2012 at 10:37am — 5 Comments

जिन्दगी का सच-विरह

विरह की बेला चुप सी आती

कर्मभूमि और गृहस्ती में

होले होले कदम बढाती

सुख समृधि को, मिटा

अंतर्मन में भेद करा

मन की शांति, भंग कर जाती

काल चक्र सा एक रचा

रह रह कर

भ्रम जाल में हमें फंसाती

ढंग बेढंग के करतब करा

इन्सान से हमको,

पशु बनाती

वक़्त की नजाकत को समझ

नट बना, इंसान नचाती

ऐसा अपना रंग दिखाती

जब तक समझ में

आता कुछ भी

तब तक सब कुछ

धुल में सब कुछ ये मिलाती

पल भर में ये नेत्र भिगो

हमारे अस्तिव का बोध कराती

लहर…

Continue

Added by PHOOL SINGH on November 5, 2012 at 2:30pm — 1 Comment

मेरे जीवन साथी

वचन दिया जो तुमने प्रीतम

जीवन भर साथ निभाने का

पवित्र अग्नि को साक्षी मान

परिस्तिथियों से ना घबराने का

 

साथ फेरों का बंधन दे

अपना बनाया मेरा मन

हर ख़ुशी कर, मुझे अर्पण

प्रेम की ज्योति चित जगा

कदम मिलाकर चलूंगी में भी

बन संगनी तेरी हमदम

 

सूर्योदय से सूर्यास्त तक

तुझे निहारूं

लम्बी उम्र की दुआ मैं मांगूं

नेत्र में तेरा अक्स बना

तुझे मैं चाहूं उम्र भर

हर पल और जीवन…

Continue

Added by PHOOL SINGH on November 3, 2012 at 1:07pm — No Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"जेठांश "क्या?" "नहीं समझा?" "नहीं तो।" "तो सुन।तू छोटा है,मैं…"
38 minutes ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"हार्दिक स्वागत आदरणीय सुशील सरना साहिब। बढ़िया विषय और कथानक बढ़िया कथ्य लिए। हार्दिक बधाई। अंतिम…"
3 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"माँ ...... "पापा"। "हाँ बेटे, राहुल "। "पापा, कोर्ट का टाईम हो रहा है ।…"
6 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"वादी और वादियॉं (लघुकथा) : आज फ़िर देशवासी अपने बापू जी को भिन्न-भिन्न आयोजनों में याद कर रहे थे।…"
23 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118
"स्वागतम "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on नाथ सोनांचली's blog post कविता (गीत) : नाथ सोनांचली
"आ. भाई नाथ सोनांचली जी, सादर अभिवादन। अच्छा गीत हुआ है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Admin posted a discussion

"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118

आदरणीय साथियो,सादर नमन।."ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-118 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है।"ओबीओ…See More
Sunday
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"धन्यवाद सर, आप आते हैं तो उत्साह दोगुना हो जाता है।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और सुझाव के लिए धन्यवाद।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. रिचा जी, अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। आपकी उपस्थिति और स्नेह पा गौरवान्वित महसूस कर रहा हूँ । आपके अनुमोदन…"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-175
"आ. रिचा जी अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई। "
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service