For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Shyam Narain Verma's Blog – November 2012 Archive (6)

सस्ता के चक्कर में !

घरनी गाड़ी में बैठाया , चली ट्रेन पकड़ी रफ्तार ।

प्लेटफार्म आस पास घर है , किसी बात की ना दरकार ।

वापस गया काम पर अपने , पहुँचेगी अकेल इस बार ।

जनरल डिब्बा भीड़ भारी, गर्मी से थे सब लाचार ।

बाहर हवा अंदर पसीना , सीट की चाहत बेकरार ।

मुंबई से इटारसी रुकी , केले वालों की भरमार ।

सस्ता खोजते चली आगे , केला मिला बहुत बेकार ।

दुःखी मन फिर गाड़ी भूली , बैठी गाड़ी में मनमार ।

झोला झाकड़ लगी खोजने , लगी पूछने हो लाचार ।

अनपढ़ को मिले तमिल यात्री , जाने कैसे बात… Continue

Added by Shyam Narain Verma on November 28, 2012 at 1:11pm — 4 Comments

गाँव के लोग सब ही जाने , घूमते हर गली हर मोड़ ।

चतुर सयानी

ससुर साजन करें जा धंधा , गाँव नगर जाते हर ओर ।

काफी दिन बाहर रह जाते , आते वे शाम कभी भोर ।

गाँव के लोग सब ही जाने , घूमते हर गली हर मोड़ ।

नव वधु रहे अकेली घर में , जब बाहर जाते सब छोड़ ।

बहने लगा पवन मस्ती में, काली घटा घिरी घनघोर ।

चारों ओर घिरा अंधेरा , घर नहीं सुने कोई शोर ।

बदमाशों की नीयत बदली , झट छिपकर चले चार चोर ।

लगे खोदने मिट्टी दिवार . , आहट सुनी बहु बड़ी जोर ।

देखा घर में सेंध बनाते , साहस की बाँध चली डोर ।

तेज दाव लेकर जा… Continue

Added by Shyam Narain Verma on November 27, 2012 at 2:28pm — 5 Comments

अपनी करनी पार उतरनी , चिड़ी खेत चुग जाये ।

लालच डुबाया । सार छन्द ।

लोभ में कभी क्षोभ होत है , मन पीड़ा भर जाये ।

अपनी करनी पार उतरनी , चिड़ी खेत चुग जाये ।

देख हार फँस जाते लोभी , तब फिर मन पछताये ।

माया मोह काम ना आये , कहीं जान फँस जाये ।

देख आया मेल लंदन से , फौजी लालच आया ।

सौ करोड़ की लाटरी जान , सबका जी ललचाया ।

रिटायर कैपटन था पैसा , भेज अमल फरमाया ।

बैंक अकाउंट मेल भेजा , नाम गाँव मँगवाया ।

सर्विस टेक्स पहले भेजो , फिर पैसा आयेगा ।

बारह लाख नगद मँगवाया , रकम कौन लायेगा ।

जयपुर… Continue

Added by Shyam Narain Verma on November 27, 2012 at 2:25pm — 1 Comment

दिल लगाकर प्रीत बढ़ाकर चल दिये..

दिल लगाकर प्रीत बढ़ाकर चल दिये ।
अपना बनाकर दिल चुराकर चल दिये ।


अब जायेगें कब आयेगें दिल है बेकरार ,
वादा करके , गुल खिलाकर चल दिये ।


भूल ना जाये ये कहीं दुष्यन्त की तरह ,
साथ निभाकर दिल लगाकर चल दिये ।


हर किसी से दिल लगाना कितना मुश्किल ,
कभी ना भूलेगे आस दिलाकर चल दिये ।


दिल कहता रहा अब ना जाओ छोड़कर ,
वर्मा देके दिलासा , हाथ मिलाकर चल दिये ।

  • श्याम नारायण वर्मा

Added by Shyam Narain Verma on November 27, 2012 at 11:30am — 3 Comments

बूढ़ा बैल । ताटंक छन्द ।

बूढ़ा बैल । ताटंक।

तड़प रहा हूँ भूख प्यास से , बँधा खूँटे में कसाई ।

मालिक ने ही जब बेच दिया , अंजान कब दया आई ।

देखकर ही ताकतवर बदन , बेचा कीना जाता था ।

जो भी ले गया काम कराया , स्नेह से वो खिलाता था ।

दम ना रहा जब बदन में तब , कोई साथ नहीं देता ।

बूढ़ा कह कर मजाक उड़ाते , कुढ़ कर ही मैं सुन लेता ।

खान पान को कौन पूछता , पास कोई न आता है ।

दिन बीते कड़ी मेहनत में , रहा न कोई नाता है ।

थका बदन आँखें ना देखें , किसी को रहम न आये ।

भूल गये सब दुनिया… Continue

Added by Shyam Narain Verma on November 26, 2012 at 5:00pm — 9 Comments

छोटी छोटी खुशी कहीं गम ना दे जाये ।

छोटी छोटी खुशी कहीं गम ना दे जाये ।
पटाखों के ढेर में कोई बम ना दे जाये ।

कैसे यकीन करें जब यकीन नहीं होता,
झोली में रकम कभी कम ना दे जाये ।

कड़कती धूप में छाँव प्यारा लगता है ,
दरखत की शाख कहीं धम ना दे जाये ।

नम आखों देखते हैं जलता आशियाना,
दूसरों की आह बेबस रहम ना दे जाये ।

गिरते गिरते बचते ठोकर लगने के बाद ,
वर्मा संभलते कहीं निकला दम ना दे जाये ।

.
श्याम नारायण वर्मा

Added by Shyam Narain Verma on November 24, 2012 at 12:30pm — 3 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक आभार "
14 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। उत्तम गजल हुई है। हार्दिक बधाई। कोई लौटा ले उसे समझा-बुझा…"
15 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी

२१२२       २१२२        २१२२   औपचारिकता न खा जाये सरलता********************************ये अँधेरा,…See More
23 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छन्न पकैया (सार छंद)
"आयोजनों में सम्मिलित न होना और फिर आयोजन की शर्तों के अनुरूप रचनाकर्म कर इसी पटल पर प्रस्तुत किया…"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन पर आपकी विस्तृत समीक्षा का तहे दिल से शुक्रिया । आपके हर बिन्दु से मैं…"
yesterday
Admin posted discussions
Monday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपके नजर परक दोहे पठनीय हैं. आपने दृष्टि (नजर) को आधार बना कर अच्छे दोहे…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"प्रस्तुति के अनुमोदन और उत्साहवर्द्धन के लिए आपका आभार, आदरणीय गिरिराज भाईजी. "
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी

२१२२       २१२२        २१२२   औपचारिकता न खा जाये सरलता********************************ये अँधेरा,…See More
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा दशम्. . . . . गुरु

दोहा दशम्. . . . गुरुशिक्षक शिल्पी आज को, देता नव आकार । नव युग के हर स्वप्न को, करता वह साकार…See More
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल आपको अच्छी लगी यह मेरे लिए हर्ष का विषय है। स्नेह के लिए…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service