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छोटी छोटी खुशी कहीं गम ना दे जाये ।

छोटी छोटी खुशी कहीं गम ना दे जाये ।
पटाखों के ढेर में कोई बम ना दे जाये ।

कैसे यकीन करें जब यकीन नहीं होता,
झोली में रकम कभी कम ना दे जाये ।

कड़कती धूप में छाँव प्यारा लगता है ,
दरखत की शाख कहीं धम ना दे जाये ।

नम आखों देखते हैं जलता आशियाना,
दूसरों की आह बेबस रहम ना दे जाये ।

गिरते गिरते बचते ठोकर लगने के बाद ,
वर्मा संभलते कहीं निकला दम ना दे जाये ।

.
श्याम नारायण वर्मा

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Comment

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Comment by shalini kaushik on November 25, 2012 at 12:52am

 

बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति .

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on November 24, 2012 at 10:21pm

छोटी छोटी खुशी कहीं गम ना दे जाये ।
पटाखों के ढेर में कोई बम ना दे जाये ।    - बहुत उम्दा बधाई श्री श्याम नरेन वर्मा जी 


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on November 24, 2012 at 8:36pm

आदरणीय श्याम नारायण वर्मा जी, अच्छी ग़ज़ल कही है, मतला और यकीन वाला शेर बहुत ही अच्छा लगा , मकता का दूसरा मिसरा बहुत स्पष्ट नहीं हो रहा , एक बार पुनः देखना चाहेंगे | इस खुबसूरत ग़ज़ल पर बधाई स्वीकार करें |

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