For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Sushil Sarna's Blog – October 2019 Archive (8)

चंद क्षणिकाएँ :जीवन

चंद क्षणिकाएँ :जीवन 

बदल गया

जीवन

अवशेषों में

सुलझाते सुलझाते

गुत्थियाँ

जीवन की

आदि द्वार पर

अंत की दस्तक

अनचाहे शून्य का

अबोला गुंजन

अवसान

आदि पल की

अंतिम पायदान

प्रेम

अंतःकरण की

अव्याखित

अनिमेष

सुषमा रशिम



ज़माने को

लग गई

नई नेम प्लेट

बदल गई

घर की पहचान

शायद चली गई

थककर

दीवार पर टंगे टंगे

पुरानी

नेम…

Continue

Added by Sushil Sarna on October 30, 2019 at 5:14pm — 10 Comments

प्यार पर चंद क्षणिकाएँ : .......(. 500 वीं प्रस्तुति )

प्यार पर चंद क्षणिकाएँ : .......(. 500 वीं प्रस्तुति )

प्यार

सृष्टि का

अनुपम उपहार

प्यार

जीत गर्भ में

हार

प्यार

तिमिर पलों का

शरमीला स्वीकार

प्यार

अंतस उदगारों का

अमिट शृंगार

प्यार

यथार्थ का

स्वप्निल

अलंकार

प्यार

नैन नैन का

मधुर अभिसार

प्यार

यौवन रुत की

लजीली झंकार

प्यार

बिम्बों…

Continue

Added by Sushil Sarna on October 24, 2019 at 12:30pm — 10 Comments

चंद क्षणिकाएँ :

चंद क्षणिकाएँ :

मन को समझाने

आई है

बादे सबा

लेकर मोहब्बत के दरीचों से

वस्ल का पैग़ाम

............................

रात

हो जाती है

लहूलुहान

काँटे हिज़्र के

सोने नहीं देते

तमाम शब

............................

रात

जितने भी

नींदों में ख़वाब देखे

उतने

सहर के काँधों पर

अजाब देखे

...............................

हया

मोहब्बत में

हो गयी …

Continue

Added by Sushil Sarna on October 21, 2019 at 7:30pm — 9 Comments

माँ .....

माँ .....

सुनाता हूँ

स्वयं को

मैं तेरी ही लोरी माँ

पर

नींद नहीं आती

गुनगुनाता हूँ

तुझको

मैं आठों पहर

पर

तू नहीं आती

पहले तो तू

बिन कहे समझ जाती थी

अपने लाल की बात

अब तुझे क्यूँ

मेरी तड़प

नज़र नहीं आती

मेरे एक-एक आँसू पर

कभी

तेरी जान निकल जाती थी माँ

अब क्यूँ अपने पल्लू से

पोँछने मेरे आँसू

तू

तस्वीर से

निकल नहीं…

Continue

Added by Sushil Sarna on October 12, 2019 at 8:27pm — 4 Comments

वो ईश तो मौन है ...

वो ईश तो मौन है ...

नैनों के यथार्थ को

शब्दों के भावार्थ को

श्वास श्वास स्वार्थ को

अलंकृत करता कौन है

वो ईश तो मौन है

रिश्तों संग परिवार को

छोरहीन संसार को

नील गगन शृंगार को

अलंकृत करता कौन है

वो ईश तो मौन है

अदृश्य जीवन डोर को

सांझ रैन और भोर को

जीवन के हर छोर को

अलंकृत करता कौन है

वो ईश तो मौन है

कौन चलाता पल पल को

कौन बरसाता बादल को

नील व्योम के आँचल को…

Continue

Added by Sushil Sarna on October 11, 2019 at 6:23pm — 2 Comments

रिक्तता :.....

रिक्तता :.....

बहुत धीरे धीरे जलती है
अग्नि चूल्हे की
पहले धुआँ
फिर अग्नि का चरम
फिर ढलान का धुआँ
फिर अंत
फिर नहीं जलती
कभी बुझकर
राख से अग्नि
साकार
शून्य हो जाता है
शून्य अदृश्य हो जाता है
बस रह जाती है
रिक्तता
जो कभी पूर्ण थी
धुआँ होने से पहले

सुशील सरना

मौलिक एवं अप्रकाशित

Added by Sushil Sarna on October 8, 2019 at 9:26pm — 8 Comments

विजयदशमी पर कुछ दोहे :

विजयदशमी पर कुछ दोहे :

राम शरों ने पाप को, किया धरा से दूर।

दम्भी रावण का हुआ, दम्भ अंत में चूर।1।

हाथ जोड़ वंदन करें , कहाँ राम हैं आप।

प्रतिपल बढ़ते जा रहे ,हर सत्या पर पाप।2।

छद्म वेश में घूमते, जगह जगह लंकेश।

नारी को वो छल रहे, धर कर मुनि का वेश।3।

राम नाम के दीप से, हो पापों का अंत।

मन से रावण दूर हो ,उपजे मन में कंत।4।

जीवन में लंकेश सा, जो भी करता काम।

ऐसे पापी को कभी , क्षमा न करते…

Continue

Added by Sushil Sarna on October 8, 2019 at 11:48am — 12 Comments

अपना भारत.... (लघु रचना)

अपना भारत.... (लघु रचना)


हार गई
लाठी से
बन्दूक
आख़िर
जीत गई
बापू की अहिंसा
हिंसा से
मुक्ति दिलाई
गुलामी की
बेड़ियों से
तिरंगे को मिला
अपना आसमान
अपना सम्मान
अपना भारत

सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित

Added by Sushil Sarna on October 2, 2019 at 9:52pm — 4 Comments

Monthly Archives

2024

2023

2022

2021

2020

2019

2018

2017

2016

2015

2014

2013

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आदरणीय दयाराम जी नमस्कार ख़ूब ग़ज़ल हुई बधाई स्वीकार कीजिये अमित जी की इस्लाह क़ाबिले ग़ौर है सादर"
yesterday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आदरणीय चेतन जी नमस्कार ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है बधाई स्वीकार कीजिये अमित जी की इस्लाह क़ाबिले ग़ौर…"
yesterday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आदरणीय संजय जी नमस्कार बहुत ही ख़ूब हुई है ग़ज़ल बधाई स्वीकार कीजए गुणीजनों की टिप्पणियों से काफी कुछ…"
yesterday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आदरणीय नीलेश जी नमस्कार बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई आपकी बधाई स्वीकार कीजिये गुणीजनों की टिप्पणियों से सीखने…"
yesterday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आदरणीय लक्ष्मण जी नमस्कार बहुत शुक्रिया आपका सादर"
yesterday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आदरणीय दयाराम जी नमस्कार बहुत शुक्रिया आपका सादर"
yesterday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आदरणीय संजय जी  संज्ञान लेने के लिए आभार आपका सुधार कर लेती हूँ सादर"
yesterday
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आदरणीय चेतन जी नमस्कार बहुत शुक्रिया आपका सादर"
yesterday
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"‌आदरणीय Chetan Prakash जी आदाब। ग़ज़ल के प्रयास पर बधाई स्वीकार करें  कोई तो पूछता ख़ुदा…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन।गजल का प्रयास अच्छा हुआ है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आ.संजय शुक्ल तल्ख़,  आदाब,  अलग अंदाज है, का ग़ज़ल कहने का,और सराहनीय ग़ज़ल हुई आपकी! आ.…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-174
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन।गजल पर उपस्थिति, उत्साहवर्धन और सुझाव के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service