For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मनोज अहसास's Blog – July 2020 Archive (4)

अहसास की ग़ज़ल :मनोज अहसास

2122   2122  2122   212

.

अपनी धुन में सब मगन हैं किससे क्या चर्चा करें.

किसको अपना दिल दिखायें किसके ग़म पूछा करें.

अब हमारी धडकनों का मोल कुछ लग जाये बस,

चल चलें मालिक के दर पर और कोई सौदा करें.

ज़िन्दगी इस खूबसूरत जाल में लिपटी रही,

रात में लिक्खें ग़ज़ल दिन में तुझे सोचा करें.

दे सके तो दे हमें वो वक़्त फिर मेरे ख़ुदा,

रात भर जागा करें और खत उन्हें लिक्खा करें.

सारा जीवन एक उलझन के भँवर में फँस…

Continue

Added by मनोज अहसास on July 29, 2020 at 1:30am — 5 Comments

अहसास की ग़ज़ल :मनोज अहसास

2×15

इतने दिन तक साथ निभाया उतना ही अहसान बहुत.

दिल का क्या है, ख़ाली घर था, थे इसमें अरमान बहुत.

हैरानी से पूछ रहा था इक बच्चा नादान बहुत,

गर्मी के मौसम में ही क्यों आते हैं तूफान बहुत.

हद से ज्यादा देखभाल का कोई लाभ नहीं पाया,

मेरे हाथों मेरे घर का टूट गया सामान बहुत.

ऐसे ऐसे मोड़ हमारे रस्ते में आये यारो,

जिनमें फंसकर लगने लगा था जालिम है भगवान बहुत.

फिर इक दिन वो मुझसे मिलकर दिल की बात…

Continue

Added by मनोज अहसास on July 18, 2020 at 11:50pm — 5 Comments

अहसास की ग़ज़ल: मनोज अहसास

22  22   22  22  22  2

मेरे दिल का बोझ किसी दिन हल्का हो.

मिल ले तू इक बार अगर मिल सकता हो.

मुझको लगता है तू मुझको भूल गया,

तेरे मन में भी शायद कुछ धोखा हो.

तेज तपन के साथ है सूरज अब सर पर,

मेरी दुआ है तेरे सर पर कपड़ा हो.

मैं तुझको खुद में शामिल कैसे रक्खूँ,

तेरे नाम के आगे जब कुछ लिक्खा हो.

अब तो अपनेपन की तुझमें बात नहीं,

शायद तू अब मुझको ग़ैर समझता हो.

छोटी सी एक बात बतानी थी…

Continue

Added by मनोज अहसास on July 5, 2020 at 4:35pm — 2 Comments

अहसास की ग़ज़ल : मनोज अहसास

1222  1222  122

ज़माने भर में जितने हादसे हैं.

हमें ख़ामोश होकर देखने हैं.

किसी को चलने में दिक़्क़त न आए,

चलो इतना सिमट कर बैठते हैं.

मेरी बेबाकियों के रास्ते में,

मेरी कुछ ख़्वाहिशों के कटघरे हैं.

बिना जिसके हुआ था जीना मुश्किल,

उसी के होने से शिकवे गिले हैं.

तुम्हारी याद भी इक रोग है क्या,

तुम्हारे ख़त को छूते डर रहे हैं.

दलीले रह गई कमज़ोर मेरी,

वो अपनी बात कह कर जा चुके…

Continue

Added by मनोज अहसास on July 3, 2020 at 8:55pm — 6 Comments

Monthly Archives

2024

2023

2022

2021

2020

2019

2018

2017

2016

2015

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
18 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

अस्थिपिंजर (लघुकविता)

लूटकर लोथड़े माँस के पीकर बूॅंद - बूॅंद रक्त डकारकर कतरा - कतरा मज्जाजब जानवर मना रहे होंगे…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार , आपके पुनः आगमन की प्रतीक्षा में हूँ "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई ग़ज़ल की सराहना  के लिए आपका हार्दिक आभार "
yesterday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय कपूर साहब नमस्कार आपका शुक्रगुज़ार हूँ आपने वक़्त दिया यथा शीघ्र आवश्यक सुधार करता हूँ…"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, बहुत सुन्दर ग़ज़ल है आपकी। इतनी सुंदर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें।"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​ग़ज़ल का प्रयास बहुत अच्छा है। कुछ शेर अच्छे लगे। बधई स्वीकार करें।"
Sunday
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"सहृदय शुक्रिया ज़र्रा नवाज़ी का आदरणीय धामी सर"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​आपकी टिप्पणी एवं प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service