दहक रहा हर कोना कोना , सूरज बना आग का गोला | |
मुश्किल हुआ निकलना घर से , लू ने आकर धावा बोला | |
तर बदन होता पसीने से , बिजली बिना तरसता टोला | |
बाहर कोई कैसे जाये , विकट तपन ने जबड़ा खोला | |
पशु पक्षी ब्याकुल गरमी से , जान बचाते हैं छाया में | |
चले राही लाचार होकर , आग लगी है जब काया में | |
तेज… |
Added by Shyam Narain Verma on May 26, 2018 at 3:30pm — 2 Comments
एक एक कर काटे डाली , ठूंठ खड़ा मन करे विचार | |
बीत गए दिन हरियाली के , निर्जन बना पेड़ फलदार | |
दिन भर चहल पहल रहती थी , जब होता था छायादार | |
पास नहीं अब आये कोई , सूखा तब से है लाचार | |
भरा रहा जब फल फूलों से , लोग आते तब सुबह शाम | |
कोई खाये मीठे फल को , कोई पौध लगा ले दाम | |
रंग… |
Added by Shyam Narain Verma on May 4, 2018 at 2:30pm — 8 Comments
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