बुझा चिराग तूफान बताया होगा
अँधेरा मन ही मन मुस्कराया होगा
पतंग यूँ तो चाहे ऊँची उडारी
जिस के हाथ मर्जी से उडाया होगा
जला चिराग करें जो खुंजा रोशन,
उसको अँधेरी रात ने डराया होगा
जुर्म चाहे पेट से जन्मा नहीं,मगर
भूख पेट की ने जुर्म कराया होगा
अभी ये बस्ती उस को जानती नहीं
लगता हैं इंसान बन दिखाया होगा
Added by मोहन बेगोवाल on February 23, 2013 at 7:30pm — 2 Comments
जीत कर भी हार जाना होगा,
ऐसा कमाल कर दिखाना होगा |
कुछ गुजरे कुछ गुजर जाएँगे,
लम्हों का अपना अफ्शाना होगा |
रंगे खुशबु जो तलाशते हें बजार,
उन्हें भी गुलसिताँ में आना होगा |
टूटते जुड़ते ख्वाबों सी है जिंदगी,
जिंदगी है, साथ तो निभाना होगा |
अंधेरों में घिरा है सारा आलम,
तुझे भी एक चिराग जलाना होगा |
Added by मोहन बेगोवाल on February 20, 2013 at 11:00pm — 3 Comments
दरिया के साथ कभी बहता नहीं,
वृक्ष किनारे पे अभिज रहता नहीं ।
तमन्ना है दिये जला करूं रौशनी,
आतिश के शोले मगर सहता नहीं ।
कैसे करें, क्यों करें उस पे यकीं,
मन की बात खुल के कहता नहीं ।
शहर मेरे कैसा मौसम आ…
ContinueAdded by मोहन बेगोवाल on February 19, 2013 at 11:30pm — 2 Comments
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