For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Bhasker Agrawal's Blog – February 2011 Archive (7)

मेरे मन के गलियारे में

वो क्या है जो मेरे मन के गलियारे में
खिलखिलाती हुई
मंडराती हुई तितली सी
कभी टिमटिमाती
कभी ओझल हो जाती
वो रौशनी सी
जिसके करीब हँसते मुस्कुराते
जीवन एक नृत्य लगे
वो कोमल सी पंखुड़ी
हवा के साथ उड़ती
मेरे चहरे पे बरस पड़ी
सब ठहर गया
गर्म सांसों को
मंजिल मिल गयी 
सब भुज गया
हम जल उठे
मेरे मन के गलियारे में..

Added by Bhasker Agrawal on February 28, 2011 at 12:36am — 7 Comments

क्या पाया तुमने

वो झूठी झूठी सी खुशी

वो बनावती सी हँसी

वो जबरदस्ती का रोना

कलाकारी है वो दुखी होना

अगर तुम यही कर सके

तो क्या पाया तुमने



वो मोहोताज संतुष्टि

वो सोच कर चुप रहना

वो लिखा हुआ सा कहना

वो भाव के विपरीत बहना

अगर ऐसे रुके हो तुम 

तो क्या पाया तुमने



वो दूसरों से पूछना खासियत अपनी

वो अपनी सफलता पर यकीन ना होना

वो मजाक जो हँसी के इन्तजार में रहता

वो शोक जो है अब जुबान से बहता

अगर ऐसे उलझे हो तुम

तो क्या पाया… Continue

Added by Bhasker Agrawal on February 23, 2011 at 7:00pm — 2 Comments

कारण

विज्ञान कहता है के हर चीज़ का कारण है..

ये बात समझ में आती है

पर कारण के होने का क्या कारण है ?

कहीं कारण भी दिमाग की ही कोई उपज तो नही

अगर ये हमारी बुद्धि का हिस्सा है और ये जानते हुए भी विज्ञान इसके पीछे भाग रहा है तो विज्ञान मुझे बुद्धि की कटपुतली भर ही प्रतीत होता है

ये ऐसा खेल… Continue

Added by Bhasker Agrawal on February 18, 2011 at 11:13pm — No Comments

उलझन

दीदार ए अजीमत से हम शर्माए बहुत हैं

बढ़ने से कदम मेरे घबराये बहुत हैं



गर भटक गया आदम तो चोंकना कैसा

जिंदगी रस्ते में तेरे दोराहे बहुत हैं



वो तो आसमां ही था जो नसीब ना हुआ

पिंजड़े में परिंदे फडफडाए बहुत हैं… Continue

Added by Bhasker Agrawal on February 15, 2011 at 9:30pm — No Comments

दुनियादारी (लघुकथा)



एक बार में ट्रेन में पुणे से मथुरा आ रहा था

जैसा की ज्यादातर यात्री करते हैं हम कुछ लोग भी एक मुद्दे पे बातचीत करके अपना समय काटने की कोशिश कर रहे थे

बात चल रही थी कश्मीर के हालातों पर .सब कश्मीर मुद्दे पे अपनी राय एक दूसरे को बता रहे थे

जैसा की हमेशा होता है मेरी राय ओरों से कुछ अलग ही थी और लोग उसपे सहमती नहीं दिखा रहे थे…

Continue

Added by Bhasker Agrawal on February 12, 2011 at 7:47pm — No Comments

बेमतलब का दिन

दिन बहुत देखे

रोज कोई खास दिन

कोई प्यार का दिन

कोई त्यौहार का दिन

कोई इजहार का दिन

हर दिन का एक मतलब है

छुट्टी का दिन जो सन डे है

बन गया वो अब फन डे है

काश कोई बेमतलब का दिन भी होता

जिसका कोई नाम न होता

करने को कोई काम न होता

मुश्किल किसी को आराम न होता

उस दिन की कोई परभाषा न होती

इक दूजे से कोई आशा न होती

किसी के मन में निराशा न होती

सब अपनी धुन में नाचते

अच्छा और बुरा न जांचते

जैसे चलती है हवा… Continue

Added by Bhasker Agrawal on February 7, 2011 at 3:09pm — 3 Comments

ऐब की बस्ती

कल ऐब की बस्ती में ख्वाबों का घर देखा

अदावत की सोहबत देखी शैदा बेघर देखा

 

दर्द नहीं मिट पाया यादों को तज़ा करके भी

जहाँ फकत फजीहत देखी माजी उधर देखा

 

हासिल हुई बेगारी मुझे मंजिल के…

Continue

Added by Bhasker Agrawal on February 3, 2011 at 4:55pm — 2 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक- गाँठ
"भाई, सुन्दर दोहे रचे आपने ! हाँ, किन्तु कहीं- कहीं व्याकरण की अशुद्धियाँ भी हैं, जैसे: ( 1 ) पहला…"
17 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा सप्तक
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय लक्ष्मण धामी जी "
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा सप्तक
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं । हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"सादर नमस्कार आदरणीय।  रचनाओं पर आपकी टिप्पणियों की भी प्रतीक्षा है।"
Mar 1
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आपका हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी।नमन।।"
Feb 28
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आपका हार्दिक आभार आदरणीय तेजवीर सिंह जी।नमन।।"
Feb 28
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"बहुत ही भावपूर्ण रचना। शृद्धा के मेले में अबोध की लीला और वृद्धजन की पीड़ा। मेले में अवसरवादी…"
Feb 28
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"कुंभ मेला - लघुकथा - “दादाजी, मैं थक गया। अब मेरे से नहीं चला जा रहा। थोड़ी देर कहीं बैठ लो।…"
Feb 28
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आदरणीय मनन कुमार सिंह जी, हार्दिक बधाई । उच्च पद से सेवा निवृत एक वरिष्ठ नागरिक की शेष जिंदगी की…"
Feb 28
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"बढ़िया शीर्षक सहित बढ़िया रचना विषयांतर्गत। हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह जी।…"
Feb 28
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"रचना पटल पर उपस्थिति और विस्तृत समीक्षात्मक मार्गदर्शक टिप्पणी हेतु हार्दिक धन्यवाद आदरणीय तेजवीर…"
Feb 28
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"जिजीविषा गंगाधर बाबू के रिटायर हुए कोई लंबा अरसा नहीं गुजरा था।यही दो -ढाई साल पहले सचिवालय की…"
Feb 28

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service