For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Arpita Singh
  • Female
  • Pratapgarh Uttar Pradesh
  • India
Share on Facebook MySpace
 

Arpita Singh's Page

Latest Activity

Arpita Singh commented on Arpita Singh's blog post मेरा तुम्हारा भाग्य
"बहुत बहुत धन्यवाद आप सभी का।"
Nov 4, 2019
नाथ सोनांचली commented on Arpita Singh's blog post मेरा तुम्हारा भाग्य
"आद0 अर्पिता जी सादर अभिवादन। भाव पक्ष बढ़िया है इस रचना का। बधाई स्वीकार कीजिये।"
Nov 2, 2019
Samar kabeer commented on Arpita Singh's blog post मेरा तुम्हारा भाग्य
"मुहतरमा अर्पिता सिंह जी आदाब, सुंदर प्रस्तुति हेतु बधाई स्वीकार करें ।"
Oct 29, 2019
Arpita Singh posted a blog post

मेरा तुम्हारा भाग्य

इस बार फिर दीवाली की साफ- सफाई के बाद तुम्हें निकाला है, शायद इस बार भी तुम्हें वापस ऐसे ही रख दूंगीजैसे हर बार तुम्हें ऊपरी चमकाहट के बाद रख देती हूं, कि इस बार तुम्हें जरूर फ्रेम करवाऊंगीपर शायद इस बार भी इस भ्रम का तिलिस्म रहेगा, इस तिलिस्म में तुम भी जिओ और मै भी जियूं, क्योंकि तुम्हें तो मैने बनाया हैकहीं न कहीं अपने भाग्य से जोड़ जो लिया है, तुम मेरी जिम्मेदारी हो ये एहसास तुम मुझे हर बार करवाती हो, क्योंकि तुम किसी और के साथ जो जाती नही हो, चलो फिर एक लंबा इंतजार करते हैं, तब तक…See More
Oct 29, 2019
Arpita Singh updated their profile
Oct 25, 2019
Arpita Singh is now a member of Open Books Online
Oct 25, 2019

Profile Information

Gender
Female
City State
Pratapgarh Uttar Pradesh
Native Place
Pratapgarh
Profession
M.ed. student
About me
मै एक विद्यार्थी हूं जिसे कविता, ग़ज़ल पसंद है।

Arpita Singh's Blog

मेरा तुम्हारा भाग्य

इस बार फिर दीवाली की साफ- सफाई के बाद तुम्हें निकाला है,

शायद इस बार भी तुम्हें वापस ऐसे ही रख दूंगी

जैसे हर बार तुम्हें ऊपरी चमकाहट के बाद रख देती हूं,

कि इस बार तुम्हें जरूर फ्रेम करवाऊंगी

पर शायद इस बार भी इस भ्रम का तिलिस्म रहेगा,

इस तिलिस्म में तुम भी जिओ और मै भी जियूं,

क्योंकि तुम्हें तो मैने बनाया है

कहीं न कहीं अपने भाग्य से जोड़ जो लिया है,

तुम मेरी जिम्मेदारी हो ये एहसास तुम मुझे हर बार करवाती हो,

क्योंकि तुम किसी और के साथ…

Continue

Posted on October 29, 2019 at 9:30am — 3 Comments

Comment Wall

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

  • No comments yet!
 
 
 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Tuesday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Apr 29
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Apr 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Apr 27
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service