आदरणीय साहित्य-प्रेमियो,
सादर अभिवादन.
ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव, अंक- 44 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है.
आयोजन हेतु निर्धारित तिथियाँ –
19 दिसम्बर 2014 से 20 दिसम्बर 2014, दिन शुक्रवार से दिन शनिवार
इस बार के ’चित्र से काव्य तक छन्दोत्सव’ के लिए किसी छन्द विशेष का चयन नहीं किया जा रहा है. सदस्य-प्रतिभागियों से यह अपेक्षा की जाती है कि वे अबतक सम्पन्न आयोजनों में शामिल हो चुके किसी छन्द में अपनी भावनाएँ अभिव्यक्त कर सकते हैं. यथा, दोहा, रोला, कुण्डलिया, सार, वीर, चौपाई, चौपई, चौपइया, गीतिका, हरिगीतिका, मनहरण घनाक्षरी, कामरूप, त्रिभंगी आदि-आदि.
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नियमतः एक बार में द्विपदी छन्दों (यानि, दोहा, चौपाई आदि) की कुल संख्या पाँच तथा बहुपदी (रोला, कुण्डलिया, गीतिका, हरिगीतिका, घनाक्षरी, चौपइया, त्रिभंगी आदि) छन्दों की कुल संख्या तीन से अधिक नहीं होनी चाहिये. ऐसा न होने की दशा में प्रतिभागियों की प्रविष्टियाँ ओबीओ प्रबंधन द्वारा हटा दी जायेंगीं.
[प्रयुक्त चित्र अंतरजाल (Internet) के सौजन्य से प्राप्त हुआ है]
आयोजन सम्बन्धी नोट :
फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो 19 दिसम्बर 2014 से 20 दिसम्बर 2014, यानि दो दिनों के लिए रचना और टिप्पणियों के लिए खुला रहेगा.
केवल मौलिक एवं अप्रकाशित रचनाएँ ही स्वीकार की जायेंगीं.
विशेष :
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अति आवश्यक सूचना :
छंदोत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...
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मंच संचालक
सौरभ पाण्डेय
(सदस्य प्रबंधन समूह)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम
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आदरणीय सौरभ जी, क्या कहूँ आपकी लेखनी के बारे मैं कितनी सरलता से जटिल बात कर जाते हैं आप वो भी छंद विधान का मान सम्मान बढाते हुए ..... हार्दिक अभिनन्दन सर आपकी प्रस्तुति पर !
भाई सचिनदेवजी, आपको मेरा प्रयास रुचिकर लगा यह मेरे प्रयास की कसौटी भी थी. हार्दिक धन्यवाद. हम सभी सदा अभ्यासी हैं. और परस्पर ही सीखते हैं.
शुभेच्छाएँ
आदरणीय
बड़े ही सुभग रोले i
हुए विदेशी घात बात यह सच है भाई
अपने भी बदजात चाटते दूध मलाई
हो इन पर भी चोट वोट हरगिज मत देना
व्यभिचारी अति खोट ब-दर संसद कर देना -------- सादर i
प्रस्तुतियों पर आपसे अनुमोदन मिलना विशेष है, आदरणीय गोपाल नारायनजी. हार्दिक धन्यवाद.
//’कर मैया उद्धार, शरण मैं तेरी आया’
’करने दे रे काम, करूँगी जैसा पाया’//
आय हाय हाय, बर्तन के साथ साथ नेता जी को भी धो डाला, बहुत बढ़िया, सुन्दर और बिलकुल चित्र को परिभाषित करती इस अभिव्यक्ति पर वाह वाह, बहुत बहुत बधाई .
गणेश भाई, आपकी प्रतिक्रियाएँ इतनी सटीक होती हैं कि लेखनकर्म अर्थवान हो जाता है. आपने प्रस्तुति को मुखर रूप से स्वीकार कर मुझे बहुत राहत दी है.
हार्दिक धन्यवाद
सौरभ भईया, कोई कोई रचना इतनी अच्छी होती है कि स्वतः स्फूर्त प्रतिक्रिया अभिव्यक्त हो जाती है . इस बार भी कुछ वैसा ही हुआ :-)
पुनः बधाई .
माने हड़बड़ियो में गड़बड़िया नहीं हुआ..
:-))
’कर मैया उद्धार, शरण मैं तेरी आया’
’करने दे रे काम, करूँगी जैसा पाया’--------वाह ..वाह्ह्ह चित्र के अनुरूप बहुत ही बढ़िया भाव निकल कर आया है शब्दों में
तीनो रोले बहुत शानदार हुए आदरणीय
हार्दिक बधाई आपको सादर.
आदरणीया राजेश कुमारीजी, आपसे मिला अनुमोदन आश्वस्त करता है कि रचनाकर्म सार्थक हुआ है. बधाइयों के लिए हार्दिक धन्यवाद
नेता अभिनव जाति, सियासी होता रग-रग
सधी न जिसकी सोच, बोल तक उथली डग-मग
राजनीति की चाल, चले है कुटिल महा जो
लोकतंत्र के नाम, ढोंग ही बेच रहा जो ---------- आदरणीय सौरभ भाई बहुत खूब सूरत रोला छ्न्द रचना हुई है , चित्र्र परिभाषित करती और नेता का चरित्र चित्रण करती , आपको हार्दिक बधाइयाँ ।
आदरणीय गिरिराजभाई, आपके अनुमोदन से मन उत्साहित है. हार्दिक धन्यवाद भाई..
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