आदरणीय काव्य-रसिको !
सादर अभिवादन !!
’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ छब्बीसवाँ आयोजन है.
इस बार का छंद है - शक्ति छंद
आयोजन हेतु निर्धारित तिथियाँ –
23 अक्टूबर 2021 दिन शनिवार से
24 अक्टूबर 2021 दिन रविवार तक
हम आयोजन के अंतर्गत शास्त्रीय छन्दों के शुद्ध रूप तथा इनपर आधारित गीत तथा नवगीत जैसे प्रयोगों को भी मान दे रहे हैं. छन्दों को आधार बनाते हुए प्रदत्त चित्र पर आधारित छन्द-रचना तो करनी ही है, दिये गये चित्र को आधार बनाते हुए छंद आधारित नवगीत या गीत या अन्य गेय (मात्रिक) रचनायें भी प्रस्तुत की जा सकती हैं.
केवल मौलिक एवं अप्रकाशित रचनाएँ ही स्वीकार की जाएँगीं.
चित्र अंतर्जाल से
शक्ति छंद के मूलभूत नियमों से परिचित होने के लिए यहाँ क्लिक ...
जैसा कि विदित है, कईएक छंद के विधानों की मूलभूत जानकारियाँ इसी पटल के भारतीय छन्द विधान समूह में मिल सकती है.
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आयोजन सम्बन्धी नोट :
फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो
23 अक्टूबर 2021 दिन शनिवार से 24 अक्टूबर 2021 दिन रविवार तक, यानी दो दिनों के लिए, रचना-प्रस्तुति तथा टिप्पणियों के लिए खुला रहेगा.
अति आवश्यक सूचना :
छंदोत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...
"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ
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मंच संचालक
सौरभ पाण्डेय
(सदस्य प्रबंधन समूह)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम
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स्वागत है, सुधीजनो !
सादर अभिवादन आदरणीय..
नातिन को डेंगू होने के कारण अस्पताल में भर्ती करना पड़ा, इसलिये छंद नहीं कह पाया, माज़रत चाहता हूँ ।
जी सादर प्रणाम सर जी। जल्दी ही वो स्वस्थ हो ऐसी कामना है।
आदरणीय समर साहब, आप घर पर ध्यान दें. बिटिया को सुगढ़ स्वास्थ्य की शुभकामनाएँ.
शुभ-शुभ
आदरणीय समर कबीर साहब, नमन! आशा है, आपकी नातिन शीघ्र ही, स्वास्थ्य लाभ कर घर लौटेगी ! मान्यवर डेंगू बुखार में प्लैटलैट्स गिर जाने का खतरा मुंह बाये खड़ा रहता है! मेरे एक मात्र पुत्र को भी कई वर्ष पहले हो गया था! डाक्टरों का प्रयास जब बहुत सफल होता नहीं दिखा तो स्वास्थ्य लाभ कर चुके मरीज़ ने मुझे बकरी का दूध पिलाने की सलाह दी! मुश्किल से डेढ़ सौ ग्राम बकरी का दूध उपलब्ध हुआ, सो मैं ने पुत्र को पीने को दिया! सुखद आश्चर्य हुआ,शाम को जांच कराने पर मालूम हुआ अब प्लैटलैट्स बढ़ रहीं थी! सो यदि डाक्टर इजाजत दें तो जरूर बकरी का दूध नातिन को भी दे सकते हैं! शुभ कामनाओं के साथ...!
सादर अभिवादन आदरणीय
लिखें आज केवल किसानी लिखें।
गुणों से भरी इक कहानी लिखें।।
लिखें त्याग उसका जगत के लिए।
भले काम उस ने बड़े जो किए।।
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कभी कीच में तो कभी रेत में।
रहा दूर घर से सदा खेत में।।*
न गर्मी, न पावस, न देखे शरद।
यही एक शिव सा जगत में वरद।।*
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रहीं नित्य खाली भले थालियाँ।
उगाता यही सोच नित बालियाँ।।*
सदा दाल रोटी सभी को मिले।
मिटे भूख चहरा हँसी से खिले।।*
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खुला आसमाँ मुँह चिढाता रहा।
उड़ाता हँसी जो विधाता रहा।।*
नहीं हार मानी कभी आज तक।
न छोड़ा कभी काम उसने अथक।।
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कुटी जो किनारे बनाकर पड़ा।
लगे नींद में पर सजग है अड़ा।।
करे नित्य चिन्ता न डूबे फसल।
न सूखा न ओले पड़ें आजकल।।
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विकल जो सदा भाग्य की मार से।
मदद से रहित नित्य सरकार से।।
न हो कष्ट में देश की शान जो।
बढ़ो सब मदद साथ सम्मान दो।।
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मौलिक/अप्रकाशित
आदरणीय लक्ष्मण धामी जी चित्रानुरूप बहुत ही सुंदर लिखा आपने सादर बधाई स्वीकार करें
आ. भाई छोटेलाल जी, छन्दों पर उपस्थिति व उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद।
आदरणीय लक्ष्मण भाईजी
वाह ! अथक प्रयास किया आपने | छै पद लिख डाले | इस लम्बी और अच्छी रचना के लिए हार्दिक बधाई|
अंतिम दो पंक्ति में जो और दो की तुकबंदी ... ?
आ. भाई अखिलेश जी, रचना पर उपस्थिति व उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार ।
अंतिम पंक्तियों से में भी संशय में था। इन्हें बदलने का प्रयास करता हूँ । ..
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