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भोजपुरी साहित्य प्रेमी लोगन के सादर परनाम,
ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार पिछला कई महिना से हर महीने सफलता पूर्वक "OBO लाइव मुशायरा" अउर "OBO लाइव महा इवेंट" के आयोजन कर रहल बा, एह सफलता से उत्साहित होके रउआ लोगन खातिर एगो अउर अनूठा अउर अपना तरह के अंतरजाल पर एकलउता लाइव कार्यक्रम ले के आवत बा जेकर नाम बा "OBO लाइव विश्व भोजपुरी कवि सम्मेलन" एह कवि सम्मेलन मे विश्व के कोना कोना मे बईठल भाई, बहिन लोग भाग ले सकत बा अउर आपन भोजपुरी रचना के प्रस्तुति लाइव कर सकत बा साथ मे प्रस्तुति पर आपन टिप्पणी भी दे सकत बा लोगन |
कार्यक्रम के रूप रेखा :-
कार्यक्रम प्रारंभ  :- दिनांक १२, फरवरी दिन शनिवार
कार्यक्रम समाप्त :- दिनांक १३, फरवरी दिन रविवार 
नियम :-
१- रचना भोजपुरी मे ही होखे के चाही |
२- रचना अइसन होखे के चाही जेके आपन परिवार मे माई बहिन के साथ पढ़ आ सुन सकल जाव |
३- रचना पहिले से कवनो वेब साईट चाहे ब्लॉग पर पहिले से प्रकाशित ना होखे के चाही, अगर कवनो प्रिंट माध्यम मे प्रकाशित बा तब वोह रचना के प्रस्तुति के अनुमति बा |
४- रचना मौलिक माने आपन लिखल होखे के चाही कोई अउर के ना, एगो कवि आपन प्रस्तुति एक से अधिक बार दे सकत बाडन, बस ध्यान इहे रखे के बा की रचना के स्तर बनल रहे माने quantity के चक्कर मे Quality ख़राब न हो जाय |
५- अबही Reply बॉक्स बंद रही जवन ठीक कार्यक्रम प्रारंभ यानी की १२ तारीख लागते खोल दिहल जाई अउर १३ तारीख ख़तम भईला पर बंद कर देवल जाई |
६- अगर रउआ कवनो कारण से आपन रचना समय से पोस्ट करे मे असमर्थ बानी त आपन रचना इ-मेल admin@openbooksonline.com पर भेज दिही | राउर रचना एडमिन OBO द्वारा राउर नाम से पोस्ट कर देवल जाई, वईसे कोशिश करी की रउआ अपने से पोस्ट कर दिही |
७- रउआ अगर अबही ले ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार से नईखी जुडल त www.openbooksonline.com पर जाके sign up कर के OBO के मुफ्त सदस्यता ले लिही फिर भोजपुरी साहित्य समूह के ज्वाइन कर लिही |
८- अधिक जानकारी खातिर रउआ हमर इ-मेल ganesh3jee@gmail या मोबाइल नंबर ०९४३१२८८४०५ चाहे एडमिन OBO के इ-मेल admin@openbooksonline.com पर संपर्क कर सकत बानी |


राउर आपन ही
गनेश जी "बागी"    

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राउर रचना विविधता से भरल बा राज भाई , रौआ एह अनोखा भोजपुरी कवि सम्मलेन मे चार चाँद लगा दिहनी | बहुत बहुत धन्यवाद |

bahut mast ba raur e geet.

ab hum ka batayi jetan bhi bakhan kail jaw u kam ba raur geet khatir

bahut badhia
ek aur tagda prastuti raj bhai...badhai ee prastuti khatir
चेहरा  बेईमान के...

(महँगाई के मार से घवाहिल जनता के भोजपुरी साहित्य के सृंगार कईसे सुनायीं ? देश के एह दशा देख के कलम भी मुस्मात लेखा लोर ढा रहल बिया... केकर करनी, केकर भरनी | पढ़ीं आ आपन कपार धुनी...कवि प्रदीप के गीत "आओ बच्चों तुम्हें दिखाएँ.." के तर्ज पर)

 

आव बबुआ तोहरा देखाईं चेहरा सब बेईमान के

घोर के पियत लाज शरम, देख सब हैवान के

कहाँ बा शरम, कहाँ बा शरम...

 

इ देख स्विस बैंक के खाता, करिया नोट से भरल बा

उज्जर उज्जर कपड़ावालन के इ करनी करल बा

चारा-हवाला-बोफोर्स-आदर्श, सबके एहिजा खाता बा

आंखी के सोझा देश के पईसा, एहिजे सब लपाता बा

देश के देह में घुन बनल, करनी सब शैतान के

घोर के पियत लाज शरम, देख सब हैवान के

कहाँ बा शरम, कहाँ बा शरम...

 

इ देख राष्ट्रमंडल के खेला, कलमाड़ी आ चेला के

सत्तर हजार करोड फूँकाइल, ना बाचल अधेला के

भईल छिछालेदर दुनिया में, रंगत अईसन मेला के

पीठ थपथपावत आपन देख, इज्जत डूबइला के

नाम हंसाई करवा देहले, इ भारत महान के

लाज शरम घोर के पियत देख सब हैवान के

कहाँ बा शरम, कहाँ बा शरम...

 

राजा के भी राज अजीब बा, हर हाथे मोबाईल बा

सस्ता भईल अब बात करल, एही में अझुरायिल बा

दूरसंचार के मायाजाल अनोखा, लमहर घोटाला बा 

जेने देख ओने टू-एस टू-जी के बोलबाला बा

कईसन राज चलवलस देख राडिया सुल्तान के

लाज शरम घोर के पियत देख सब हैवान के

कहाँ बा शरम, कहाँ बा शरम...

 

देख जनता भुलायिल नईखे, उ चारा घोटाला के

आदमी कईसे खा गईल देख, जानवर के निवाला के

कबो कबो अबहुओं उठत बा धुंआ, करिया हवाला के

कईसन दिवाली मनत बाटे देश के दिवाला के

आँख मुंद के सभे भुला जा, सब करनी भगवान के

लाज शरम घोर के पियत देख सब हैवान के

कहाँ बा शरम, कहाँ बा शरम...

~शशि रंजन मिश्र

शशि भाई, राम राम , सबसे पहिले "OBO लाइव भोजपुरी कवि सम्मलेन" मे राउर पहिला प्रस्तुति के ह्रदय से स्वागत बा, राउर पूरा रचना पढ़ लेनी आ बड़ी देर से जोहत बानी की "कहाँ बा शरम, कहाँ बा शरम ?" पर दुःख के बात बा कि एह बेशर्मन के दुनिया में शरम चिराग ले के खोजलो पर नइखे मिळत , खैर बहुत ही बरियार रचना ठोकले बानी रउआ, चोट करारा बा , 

बहुत बहुत बधाई एह शानदार प्रस्तुति पर | 

प्रणाम भोजपुरी |

atyant hee mahatwpurn mudda ke chhootey huye nikal rahal baa raur ee kawita. bahut bahut abhaar aa dhanywaad.
शशी भाई आप आज के हालात पर बढ़िया चोट अपना रचना में कईलीन ,बहुत खूब बयानी बा >बधाई
bahut badhia sachai ke samne rakh dehni rauaa
raure rachna ke intezaar rahe shashi bhai.....swagat baa ee rachna ke dil se............
वाह!!! बहुत खूब बखिया उधेड़ कर रख दी|
मनोज भावुक  के ग़ज़ल
   
वक्त रउओ के गिरवले आ उठवले होई
छोट से बड़ आ बड़ से छोट बनवले होई

अइसे मत देखीं हिकारत से एह चिथड़ा के
काल्ह तक ई केहू के लाज बचवले होई

धूर के भी कबो मरले जो होखब ठोकर तs
माथ पर चढ़ के ऊ रउआ के बतवले होई

जे भी देखियो के निगलले होई जीयत माछी
अपना अरमान के ऊ केतना मुअवले होई

काश ! अपराध के पहिले तनी सुनले रहितीं
आत्मा चीख के आवाज़ लगवले होई

जिंदगी कर्म के खेला ह कि ग्रह-गोचर के
वक्त रउओ से त ई प्रश्न उठवले होई

जब मेहरबान खुदा ,गदहा पहलवान भइळ
अनुभवी लोग ई लोकोक्ति बनवले होई

अइसहीं ना नू गजल-गीत लिखेलें भावुक
वक्त इनको के बहुत नाच नचवले होई

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