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भोजपुरिया समाज मे एगो बहुत पुरान आ पारम्परिक रिति रिवाज बा "माई के पुजईया" ,आज हम उहे रिति रिवाज के वर्णन करे के प्रयास करत बानी ...

जब हमनी के समाज मे कोई के शरीर पर छोट छोट, लाल रंग के विशेष प्रकार के दाना निकल जाला त वोके लोग माई जी के आगमन कहेला और विशेष तरीका से माई (देवी माई) मान के पूजा अर्चना कईल जाला, पहचान करे खातिर माली, मालिन लोग के सहयोग लिहल जाला, उ लोग हि बतावेला कि ई माई जी ही हई या दोसर कवनो बेमारी ह |

पूजा उपचार:-जब घर के कवनो सदस्य के शरीर के उपर लाल रंग के विशेष दाना निकल जाला त घर के बड़ बुजुर्ग माली, मालिन भा जानकार लोग के बोलाS के माई के अईला के पहचान करावेला, पहचान भईला के बाद तुरन्त कुछ नियम के पालन घर के सब लोग करे लागेला, नियम हम आगे लिखब, घर के साफ सफाई कराके एगो साफ सुथरा कमरा के गाय के गोबार से लिप दिहल जाला आ परभावीत व्यक्ति के माई के दर्जा दे के वोह कमरा मे स्थान देवल जाला और धूप अगरबती जला देवल जाला,( अब हम परभावीत व्यक्ति के माई कह के हि सम्बोधित करब ) जब माई के शरीर मे जलन के अनुभव होला त नीम के पत्ती से शरीर के सोहरावल जाला, ई सिलसिला समान्यतः ३ से ५ दिन तक चलेला वोकरा बाद माई के पूजईया कय के विदाई कर दिहल जाला, आश्चर्यजनक रुप से परभावित व्यक्ति ठिक भी हो जाला |

नियम अउर पूजा:-माई के आगमन के पहचान भईला के बाद घर मे पूजईया होखे तक सादा खाना बनी, माने बिना छौका के तरकारी, सादा लिट्टी बनी, छानल बघारल समान ना बनी, घर के सदस्य नया कपड़ा, तेल, साबुन,हजामत से परहेज रखी लोग, विल्कुल घर के माहौल सात्विक रही, माली के बतवला के अनुसार ३ या ५ दिन पर मईया के पूजा कईल जाई,
पूजा खातिर घर के आंगन मे गाय के गोबर से लिप के लकड़ी के पिढ़ा पर मईया के बईठावल जाई, परभावित व्यक्ति के दादी, महतारी भा घर के बड़ महिला सदस्य माई के पिछे बइठिहन, दूब, हल्दी, सरसो के तेल माई के सिर पर चढ़ावल जाई, फेनू पीछे बइठल महिला अपना अचरा के माई के उपर रखिहन आ वोमे फुलावल चना पानी सहित ऎ तरह से गिरावल जाई कि चना छन के अचरा मे रह जाई आ पानी माई के सिर पर गिरत नीचे आ जाई, पूरा पूजा के अवधि मे देवी माई के पारम्परिक गीत गांव महल्ला के महिला गावत रहिहन लोग, निमिया के डाढ मइया डालेली झुलुअवा हो कि झुली झुली ना परसिध पारम्परिक गीत बा , पूजा समाप्ति के बाद सब ऎहवात(सुहागन) महिला के सिर मे सेन्दुर आ कडवा तेल, बाकि महिला आ लईकि लोग के सिर मे तेल लगा के, सब के गुड आ चना के परसाद बाट पूजा के विसर्जन कई दिहल जाला ।


का कहेला डाक्टर लोग:-डाक्टर लोग ऎके चिकनपाक्स नामक छुवा छुत के बेमारी बतावेला आ कहेला कि दवाई से इ ठिक होखे वाला बेमारी ह ।

का बा इ रिति रिवाज के पिछे चिकित्सा विज्ञान:-चिकित्सा विज्ञान साफ कहत बा कि इ छुवा छुत के बेमारी ह माने एक दुसरा से फइले वाला रोग, एहसे रोगी के अकेल कमरा मे साफ सफाई के साथ रखल जाला, नीम के पत्ता मे बैक्टिरिया के मारे वाला गुण होखे के कारन वोकर परयोग कईल जाला, गाय के गोबर मे भी बैक्टिरिया के सोखे के गुन होला वोह से घर के लिपाई गोबर से कइल जाला, चना मे भी कुछ एईसन गुण होला जवन कि चिकेनपाक्स के ठिक करे मे सहायक होला। सादा खाना के पिछे इ तथ्य छुपल बा कि तेल मसालेदार तरकारी ई रोग के बढावे मे सहायक होला, बरावे से परभावित व्यक्ति जल्दी ठिक हो जाइ आ घर के बाकी सदस्य ऐह बेमारी से बच जाई ।

ई लेख लिखे के पिछे कारण:-ई लेख लिखे के पिछे हमार उदेश्य ऐह बात के बतावल बा कि हमनी के भोजपुरिया समाज बहुत पहिले से ही उ चिजन के खोज कइ के वोकर प्रयोग भी करत रहल आ करत बा जवना के आधुनिक विज्ञान आज खोज रहल बा ।
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Replies to This Discussion

bahut badhiya jaankari diya hai aapne ganesh bhaiya....bahut bahut dhanyabaad.....
bahut badhia jankari dehani rauaa

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