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आदरणीय लघुकथा प्रेमियो,
सादर वन्दे।
 
"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" के पहले पाँचों संस्करण बेहद कामयाब सफल रहे। नए पुराने सभी लघुकथाकारों ने बहुत ही उत्साहपूर्वक इनमें सम्मिलित होकर इन्हें सफल बनाया। न केवल उच्च स्तरीय लघुकथाओं से ही हमारा साक्षात्कार हुआ बल्कि एक एक लघुकथा पर भरपूर चर्चा भी हुई। गुणीजनों ने न केवल रचनाकारों का भरपूर उत्साहवर्धन ही किया अपितु रचनाओं के गुण दोषों पर भी खुलकर अपने विचार प्रकट किए। पांचवें आयोजन में विषय अपेक्षाकृत कठिन था, किन्तु हमारे रचनाकारों ने दो दिनों में लगभग तीन दर्जन स्तरीय लघुकथाएं प्रस्तुत कर यह सिद्ध कर दिया कि ओबीओ लघुकथा स्कूल दिन प्रतिदिन तरक्की की नई मंजिलें छू रहा  है I यह कहना कोई अतिश्योक्ति न होगी कि यह सभी आयोजन लघुकथा विधा के क्षेत्र में मील के पत्थर साबित हुए हैं । तो साथियो, इसी कड़ी को आगे बढ़ाते हुए प्रस्तुत है....
 
"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-6 
विषय : "प्रत्युत्तर"
अवधि : 29-09-2015 से 30-09-2015 
(आयोजन की अवधि दो दिन अर्थात 29 सितम्बर 2015 दिन मंगलवार से 30 सितम्बर 2015 दिन बुधवार की समाप्ति तक)
(फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो  29 सितम्बर 2015 दिन मंगलवार लगते ही खोल दिया जायेगा)
.
अति आवश्यक सूचना :-
१. सदस्यगण आयोजन अवधि के दौरान अपनी केवल एक लघुकथा पोस्ट कर सकते हैं।
२.सदस्यगण एक-दो शब्द की चलताऊ टिप्पणी देने से गुरेज़ करें। ऐसी हल्की टिप्पणी मंच और रचनाकार का अपमान मानी जाती है।
३. टिप्पणियाँ केवल "रनिंग टेक्स्ट" में ही लिखें, १०-१५ शब्द की टिप्पणी को ३-४ पंक्तियों में विभक्त न करें। ऐसा करने से आयोजन के पन्नों की संख्या अनावश्यक रूप में बढ़ जाती है तथा "पेज जम्पिंग" की समस्या आ जाती है। 
४. रचनाकारों से निवेदन है कि अपनी रचना केवल देवनागरी फॉण्ट में टाइप कर, लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें।
५. रचना पोस्ट करते समय कोई भूमिका न लिखें, अंत में अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल आदि भी लगाने की आवश्यकता नहीं है।
६. प्रविष्टि के अंत में मंच के नियमानुसार "मौलिक व अप्रकाशित" अवश्य लिखें।
७.  नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये तथा बिना कोई पूर्व सूचना दिए हटाया जा सकता है। यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.
८. आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है, किन्तु बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति टिप्पणीकारों से सकारात्मकता तथा संवेदनशीलता आपेक्षित है।
९. इस तथ्य पर ध्यान रहे कि स्माइली आदि का असंयमित अथवा अव्यावहारिक प्रयोग तथा बिना अर्थ के पोस्ट आयोजन के स्तर को हल्का करते हैं। रचनाओं पर टिप्पणियाँ यथासंभव देवनागरी फाण्ट में ही करें।
१०. आयोजन से दौरान रचना में संशोधन हेतु कोई अनुरोध स्वीकार्य न होगा। रचनाओं का संकलन आने के बाद ही संशोधन हेतु अनुरोध करें।
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मंच संचालक
योगराज प्रभाकर
(प्रधान संपादक)
ओपनबुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

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Replies to This Discussion

सच के बहुत करीब है आपकी कथा सर जी कभी कभी गरीब बहुत अमीर हो जाता है इन सो काल्ड अमीरों के आगे

रचना पर आपकी उपस्‍िथती व आपके सार्थक कमेंट का बहुत बहुत धन्‍यवाद आदरणीय नेहा जी

वाह रवि सर आगाज़ ऐसा है तो अंजाम कितना शानदार होगा गोष्ठी का.. गरीब की भावनाएं भी पैसे से ही तौल दी जाती हैं प्राय: .. दिल तो सबके है दर्द तो बराबर होता है।

धन्‍यवाद आदरणीय सीमा जी

आपकी बहुत ही मार्मिक प्रस्तुति से आयोजन का शुभारम्भ हुआ है , बधाई आपको इस भावपूर्ण रचना के लिए आदरणीय रवि प्रभाकर जी 

आप सरीखी लघुकथा की ज्ञाता की बधाई वाकई बहुत मायने रखती है आदरणीय प्रतिभा जी । सादर धन्‍यवाद

आदरणीय रवि प्रभाकर जी,

मर्मस्पर्शी कथानक...

बिलकुल चलचित्र सा निर्मित गया आँखों के सामने.

जिसके लिए बहुत बहुत बधाई आपको...

आपकी बहुत कसी हुई लघुकथाएं पढी हैं...क्षमा चाहूंगी कि उनकी अपेक्षा ये लघुकथा अपने अंत से मुझे बहुत संतुष्ट नहीं कर सकी. अंतिम पञ्च लाइन बहुत ज़ोरदार नहीं महसूस हुई. शायद बात को और सांद्रता के साथ कम शब्दों में कहने की ज़रुरत हो! ( मैं गलत भी हो सकती हूँ....इसे मात्र एक पाठकीय प्रतिक्रया ही मानें)...सादर!

शुभेच्छाएं 

हार्दिक बधाई आदरणीय रवि प्रभाकर जी!बेहद खूबसूरत और मार्मिक लघुकथा बनी है!एक गरीब के मन में अपने मेहनत के पैसे के मुक़ाबले बच्चे की सेहत की चिंता ज़्यादा है!वाह!

सादर धन्‍यवाद आदरणीय तेजवीर भाई जी ।

आदरणीय प्राची सिंह जी, कथा पर आपकी उपस्‍िथती सुखकर है । आपकी बात से पूर्णत सहमत हूं, प्रयास करूंगा कि भविष्‍य की कथाओं में आपको यह शिकायत का मौका न दूं। सादर

बहुत बढ़िया कथा ...मज़बूरी में आदमी अनाप शनाप बक भी देता हैं और सुन भी लेता हैं | दोनों ही पहलु दिखे आपकी कथा में | सादर _/\_

कथा को अमूल्‍य समय देने हेतु हार्दिक धन्‍यवाद । सादर नमस्‍ते

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"आपका हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी।बेहतर शीर्षक के बारे में मैं भी सोचता हूं। हां,पुर्जा लिखते हैं।"
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