For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ओ०बी०ओ० विचार गोष्ठी सह कवि सम्मेलन एवं मुशायरा की संक्षिप्त रिपोर्ट

15 जून 2013, शनिवार को उत्तराखंड के आँचल में बसे हल्द्वानी के शिक्षानगर में ओबीओ परिवार द्वारा आयोजित विचार गोष्ठी सह कविसम्मेलन व मुशायरा, एम० आई० ई० टी० – कुमाऊँ इन्जीनियरिंग कॉलेज, के सेमीनार हॉल में आदरणीय प्रधान संपादक श्री योगराज प्रभाकर जी की अध्यक्षता में सफलतापूर्वक संपन्न हुआ.

      

वाग्देवी माँ शारदे के समक्ष दीप प्रज्वलन और माल्यार्पण से आयोजन का शुभारंभ हुआ

      

आयोजन के प्रथम सत्र का विषय ‘साहित्य में अंतरजाल का महत्त्व’ आज के सन्दर्भ में बहुत महत्वपूर्ण रहा. साहित्य की दिशा व दशा दोनों आयामों पर विस्तारपूर्वक गंभीर चर्चाएं हुई. आदरणीय प्रधान संपादक जी की अध्यक्षता में आयोजन का संचालन आदरणीय श्री अभिनव अरुण जी नें किया. प्रथम सत्र के मुख्य-अतिथि रामपुर डिग्री कॉलेज के हिंदी विभाग के विभागाध्यक्ष आदरणीय डॉ० दिलीप पाण्डेय जी रहे .

      

मध्याह्न भोजन के उपरान्त द्वितीय सत्र में ‘कवि-सम्मेलन सह मुशायरा’ का आयोजन हुआ. आदरणीय प्रधान संपादक श्री योगराज प्रभाकर जी की अध्यक्षता में आदरणीय श्री सौरभ पाण्डेय जी नें कवि सम्मलेन सह मुशायरा का सरस सफल संचालन किया. सुश्री सृष्टि सुधी जी की सुमधुर कर्णप्रिय आवाज मे वाग्देवी माँ सरस्वती की अराधना से द्वितीय सत्र का शुभारंभ हुआ. समारोह के मुख्य अतिथि अनन्य साहित्यप्रेमी व रचनाकार आदरणीय डॉ० सुभाष वर्मा जी, प्रधानाचार्य, पी०जी०कॉलेज, चौबट्टाखाल, रहे.

        

ओबीओ के संस्थापक सह मुख्य प्रबंधक आदरणीय श्री गणेश जी बागी, प्रधान संपादक आदरणीय श्री योगराज प्रभाकर जी, सदस्य टीम प्रबंधन आदरणीय श्री सौरभ पाण्डेय जी, सदस्य टीम प्रबंधन आदरणीय श्री राणा प्रताप सिंह जी, सदस्य टीम प्रबंधन डॉ० प्राची सिंह के साथ ही आदरणीय श्री वीनस केसरी जी , श्री अरुण निगम जी, श्रीमती राजेश कुमारी जी, डॉ० नूतल डिमरी गिरोला जी, श्री रूप चन्द्र शास्त्री ‘मयंक’ जी, श्री रविकर फैजाबादी जी, श्री राजेश शर्मा जी, श्रीमती गीतिका वेदिका जी, श्री शुभ्रांशु पाण्डेय जी, श्री गणेश लोहानी जी, श्री अभिनव अरुण जी, श्रीमती कल्पना बहुगुणा जी, श्री अशोक कुमार रक्ताले जी, श्री अजय शर्मा जी, सुश्री महिमाश्री जी , श्री अविनाश उनियाल जी, श्री शैलेन्द्र सिंह ‘मृदु’ जी की गरिमामय उपस्थिति नें आयोजन को सफल बनाया.

      

इस ऐतिहासिक साहित्य संगम में प्रथम बार ओबीओ की पूरी टीम प्रबंधन और उपस्थित ओबीओ परिवार के सदस्य भी अंतरजाल की आभासी दुनिया से बाहर निकल कर एक दूसरे से रूबरू हुए . ओबीओ मंच की यथार्थता के लिए यह खास तौर पर महसूस हुआ कि यहाँ की दुनिया आभासी नहीं.. वास्तिविकता के धरातल पर ही खड़ी है, जहाँ सदस्य मिलकर भी उसी सकारात्मक ऊर्जा को ग्रहण करते हैं जो निरंतर मंच पर सवादों और भावाभिव्यक्तियों में संजीवनी शक्ति सी प्रवाहित होती है.

 

कार्यक्रम की सचित्र विस्तृत रिपोर्ट और वीडीओ प्रतीक्षित है... उपलब्ध होते ही प्रस्तुत की जायेगी

आयोजन की विस्तृत रिपोर्ट के लिए निम्न लिंक पर क्लिक करें 

http://www.openbooksonline.com/forum/topics/5170231:Topic:380335

Views: 3206

Reply to This

Replies to This Discussion

वीनस भाईजी 

वर्ष में एक बड़ा आयोजन तो होना ही चाहिये. 

इस आयोजन के होने की पृष्ठभूमि भी बहुत रोचक है. आपके लिए जानना रुचिकर होगा.

मुझे सख्त हिदायत थी कि ऑनलाइन लिखने तक ही सीमित रहूँ.. कहीं किसी कवि सम्मलेन में न चल दूँ, क्योंकि साहित्य के नाम पर कवि सम्मेलनों का गिरता स्तर और अभद्र साहित्य की प्रस्तुति पर तालियाँ अन्यथा हूटिंग... ऐसे असभ्य वातावरण में कोई अपने परिवार की महिलाओं को नहीं जाने दे सकता.

साहित्य के लिए अभिशाप ऐसे माहौल को नकार कर एक सुसभ्य कवि सम्मलेन जहाँ संस्कार और सभ्यता के दृढ़ आधार पर उन्नत साहित्य की प्रस्तुति हो और बहनें भी अपनी बातों को निडरता से सम्मान सहित रख सकें...ऐसी ही परिकल्पना थी मेरी इस आयोजन को संयोजित करने के प्रति.

और मन में एक बात और थी कि जो आज के कविसम्मेलनों के माहौल से आहत हो कर बहनों से साहित्य क्षेत्र में आगे बढने के अवसरों को ही छीन लेना चाहते हैं, उनकी धारणाओं को हम बदल सकें ताकि बहनों के लिए भी एक उज्ज्वल निर्मल मार्ग प्रशस्त हो साहित्य क्षेत्र में.

इस लिहाज से मुझे गर्व है कि हमसब मिलकर एक ऐसे ही आयोजन की परिकल्पना को साकार कर पाए.

निश्चित रूप से वर्ष में कम से कम एक ऐसा आयोजन होना ही चाहिये. इस बार हल्द्वानी, अगली बार कहीं भी... मेरा तो शत प्रतिशत समर्थन है.

सादर.

// कहीं किसी कवि सम्मलेन में न चल दूँ, //

 :))))))))))))))))))))))))))))


// वर्ष में कम से कम एक ऐसा आयोजन होना ही चाहिये. इस बार हल्द्वानी, अगली बार कहीं भी... //

अगली बार कहीं भी नहीं ...सिर्फ इलाहाबाद 

और अगले वर्ष नहीं .... इसी नवंबर में

अभी से तय्यार रहिये ...

:))))

नवंबर में इलाहाबाद में ..........इसी वर्ष !!! 

यह दृढता देख तो लगता है आपने अपने मन में पूरी रूप रेखा अभी से बना भी ली है...वाह !

यह सशक्त टिप्पणी देख....मुझे तो अग्रिम आयोजन की सफलता सचमुच अभी से ही नज़र आ रही है. 

अग्रिम शुभकामनाएँ.

अद्भुत ..स्नेहसिक्त ..अतुलनीय .. ऐतिहासिक समागम रहा ..असर अब तक तारी है ...ओ बी ओ एक परिवार है और यह अवसर हम सभी  के लिए एक पर्व समान था  । डॉ   प्राची जी विशेष बधाई और आभार की हकदार हैं । उम्मीद से बढ़कर इंतजाम हुआ ... सभी  मिले जैसे लगा ही नहीं पहली बार मिल रहे हैं  । नए साथी बने संबंधों  की नीव पड़ी ..यह सब साहित्य की श्रीवृद्धि के लिए एक      मील का पत्थर साबित होगा । एक परिवार के सभी सदस्य एक से बढ़कर एक ...किसी की प्रतिभा ने निराश नहीं किया ...आदरणीय श्री बागी जी योगराज जी और अग्रज श्री को बहुत बहुत बधाई इस समेकित पहल की सफलता पर ... साधु - साधु !!

आदरणीय अरुण जी,

आपकी सक्रिय उपस्थिति और हर व्यस्था में सकारात्मक सहयोग भी बधाई का हक़दार है.

उत्सव के सामान आयोजन का असर काफी समय यूँ ही मनों में तक रहने वाला है.. लिकित रचनाओं के पाठन से रचनाकार के व्यक्तित्व का आंकलन तो होता ही है पर रचनाकार द्वारा वाचन से जो प्राणऊर्जा रचनाओं को मिलती है वह रचनाकर्म के गाम्भीर्य को सशक्तता से पाठकों के मनों में अंकित कर देती है.

सही कहा आपने //किसी की प्रतिभा नें निराश नहीं किया// ओजस्वी वाचन से परिसर गूँज उठा था..कम्पन तो अभी तक कर्ण पटलों को स्पंदित कर रहा है..  :))

यह हम सब की सफलता है..सभी को शुभकामनाएँ 

इस आयोजन की सफ़लता के विषय में जानकर मन फूला नहीं समा रहा है।

आप सभी को बधाई।

सादर,

विजय

आदरणीय विजय जी 

आयोजन की सफलता पर आपकी शुभकामनाओं के लिए हार्दिक आभार 

सादर.

आदरणीया प्राची जी  आपको  और ओबिओ टीम प्रबंधन मंडल को मेरा बहुत-२ हार्दिक आभार और ढेरो  -2 बधाइयां / एतिहासिक साहितिक समागम  का सफलतापूर्वक  निर्वहन  के लिए आपको  विशेष बधाई .  ... बधाई //.. आपकी  गरिमामयी  सक्रियता ने हम में  नयी उर्जा भर दी /  सच में हम सब ने ये मह्सुश किया  जैसे हम सब कई बार मिल चुके हैं / वास्तव में ओबिओ परिवार  की अवधारणा  हल्द्वानी में फलीभूत होती दिखी / ....

प्रिय महिमा जी 

इस साहित्यिक आयोजन की सफलता का हर कदम आप सबके साथ ही हमने मिल कर तय किया है..आपको भी बहुत बहुत बधाई 

एक पारिवारिक समस्या के चलते मैं इस आयोजन में उपस्थित न हो सका। इस अदभुत आयोजन में उपस्थित न हो सकने का दुख रहेगा।
आपने जो रिपोर्ट साझा की है उसके लिए आपका आभार! आपने इस आयोजन की तैयारी के लिए जो श्रम किया उसके लिए आपका साधुवाद!

पारिवारिक दायित्वों का निर्वहन प्राथमिक होना ही चाहिये... आप सब मिल कर जो नियमित आयोजन लखनऊ में कर रहे हैं वैसी ही सकारात्मक ऊर्जस्विता इस आयोजन की भी सफलता का कारण रही. 

आगामी आयोजनों में आपकी उपस्थिति की हम सभी कामना करते हैं.

सादर.

आदरणीया प्राची जी मेरी भी ईश्वर से प्रार्थना यही है कि मैं जल्द से जल्द आप सबसे मिल सकूं। तभी इस आयोजन में उपस्थित न हो सकने का दुख कम हो सकेगा।

सादर!

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक आभार "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। उत्तम गजल हुई है। हार्दिक बधाई। कोई लौटा ले उसे समझा-बुझा…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी

२१२२       २१२२        २१२२   औपचारिकता न खा जाये सरलता********************************ये अँधेरा,…See More
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छन्न पकैया (सार छंद)
"आयोजनों में सम्मिलित न होना और फिर आयोजन की शर्तों के अनुरूप रचनाकर्म कर इसी पटल पर प्रस्तुत किया…"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन पर आपकी विस्तृत समीक्षा का तहे दिल से शुक्रिया । आपके हर बिन्दु से मैं…"
Tuesday
Admin posted discussions
Monday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपके नजर परक दोहे पठनीय हैं. आपने दृष्टि (नजर) को आधार बना कर अच्छे दोहे…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"प्रस्तुति के अनुमोदन और उत्साहवर्द्धन के लिए आपका आभार, आदरणीय गिरिराज भाईजी. "
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी

२१२२       २१२२        २१२२   औपचारिकता न खा जाये सरलता********************************ये अँधेरा,…See More
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा दशम्. . . . . गुरु

दोहा दशम्. . . . गुरुशिक्षक शिल्पी आज को, देता नव आकार । नव युग के हर स्वप्न को, करता वह साकार…See More
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल आपको अच्छी लगी यह मेरे लिए हर्ष का विषय है। स्नेह के लिए…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service