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"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-48 (विषय: जागृति)

आदरणीय साथिओ,

सादर नमन।
.
"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-48 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है, प्रस्तुत है:
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"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-48
"विषय: "प्रेरणा" 
अवधि : 30-03-2019  से 31-03-2019 
.
अति आवश्यक सूचना :-
1. सदस्यगण आयोजन अवधि के दौरान अपनी केवल एक हिंदी लघुकथा पोस्ट कर सकते हैं।
2. रचनाकारों से निवेदन है कि अपनी रचना/ टिप्पणियाँ केवल देवनागरी फॉण्ट में टाइप कर, लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड/नॉन इटेलिक टेक्स्ट में ही पोस्ट करें।
3. टिप्पणियाँ केवल "रनिंग टेक्स्ट" में ही लिखें, १०-१५ शब्द की टिप्पणी को ३-४ पंक्तियों में विभक्त न करें। ऐसा करने से आयोजन के पन्नों की संख्या अनावश्यक रूप में बढ़ जाती है तथा "पेज जम्पिंग" की समस्या आ जाती है। 
4. एक-दो शब्द की चलताऊ टिप्पणी देने से गुरेज़ करें। ऐसी हल्की टिप्पणी मंच और रचनाकार का अपमान मानी जाती है।आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है, किन्तु बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति टिप्पणीकारों से सकारात्मकता तथा संवेदनशीलता आपेक्षित है। गत कई आयोजनों में देखा गया कि कई साथी अपनी रचना पोस्ट करने के बाद गायब हो जाते हैं, या केवल अपनी रचना के आस पास ही मंडराते रहते हैंI कुछेक साथी दूसरों की रचना पर टिप्पणी करना तो दूर वे अपनी रचना पर आई टिप्पणियों तक की पावती देने तक से गुरेज़ करते हैंI ऐसा रवैया कतई ठीक नहींI यह रचनाकार के साथ साथ टिप्पणीकर्ता का भी अपमान हैI
5. नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति तथा गलत थ्रेड में पोस्ट हुई रचना/टिप्पणी को बिना कोई कारण बताये हटाया जा सकता है। यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.
6. रचना पोस्ट करते समय कोई भूमिका, अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल/स्माइली आदि लिखने /लगाने की आवश्यकता नहीं है।
7. प्रविष्टि के अंत में मंच के नियमानुसार "मौलिक व अप्रकाशित" अवश्य लिखें।
8. आयोजन से दौरान रचना में संशोधन हेतु कोई अनुरोध स्वीकार्य न होगा। रचनाओं का संकलन आने के बाद ही संशोधन हेतु अनुरोध करें। 
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मंच संचालक
योगराज प्रभाकर
(प्रधान संपादक)
ओपनबुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

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संदेशात्मक बेहतरीन रचना के लिए बधाई स्वीकार कीजिएगा आदरणीय शेख सरजी ।

रचना के मर्म को समझते हुए अनुमोदन और मुझे हौसला अफ़ज़ाई हेतु हार्दिक धन्यवाद आदरणीया बबीता गुप्ता जी।

सजगता 


'बजट का किसी को  फायदा हुआ हो या नहीं, हम किसानों की तो नैय्या पार लग गई.'

'सही बात कहत हो बङे भैय्या,दो वक्त की चाय का तो इंतजाम हो गया.'

'और नही तो का.सुबह-शाम की बहू की चिक-चिक भी नहीं  सुननी पङेगी.'

'वो सब ठीक हैं, पर इसमें  झंझट फसेगा,' तकलीफ भरी लम्बी सांस  खीचते हुये बङे भैय्या माथा पकङ लिए.

'जमा रूपया पर दोनों बेटा करेंगे, हाथ कितना लगेगा?'

'जामे का मुश्किल.खेती का हिस्सा बांट कर दो,लगे हाथ उनका भी कुछ भला हो जावेगा.'

'बेटा तो धन्धा करत.....'

'तुम तो लकीर के फकीर बनत हो.बहुओं के नाम तो हो सकत हैं कि नहीं?'

'हाँ....हाँ ....सही कहत हो......'दोनों आपस में गुठियाते हुये अपने-अपने घर की ओर खुशी-खुशी जा रहे थे,रोज-रोज के कलह को मिटाने का रास्ता जो मिल गया था।

मौलिक व अप्रकाशित 

आदाब। गोष्ठी का आग़ाज़ करने और बढ़िया प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई आदरणीया बबीता गुप्ता जी।

कुछ टंकण-त्रुटियां रह गईं हैं। कहीं-कहीं स्पष्टता कम लग रही है।

सही  दिशा निर्देशन के लिए सधन्यबाद, आदरणीय शेख सरजी ।

आदरणीया बबीता जी , बढ़िया प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई।

सधन्यबाद, आदरणीया अनीता दी।

इस लघुकथा में आपने कहना क्या चाहा है आ० बबिता गुप्ता जी? मुझे तो कुछ भी समझ नहीं आया. 

लघुकथा में थोङा सा पुट व्यंगात्मक, सरकारी योजनाओं पर है।सधन्यबाद आदरणीय योगराज सरजी।

मुह तरमा बबिता साहिबा, प्रदत्त विषय पर सुंदर लघुकथा हुई है मुबारकबाद क़ुबुल फरमाएं l 

सधन्यबाद, आदरणीय तासिक सरजी ।

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