Tags:
Replies are closed for this discussion.
इमरान साहिब
आपकी दो ग़ज़लें पढ़ चुका हूँ........आपमें गज़लियत की कमी नहीं है...केवल थोड़ा बहरो वज्न में ढालने की ज़रूरत है..पिछली गजल के कुछ अशआर में भी यही कमी खलती रही | मिसरे को कहीं लिख कर, हर्फों को उसके उच्चारण के हिसाब से १ या २ लिखकर तख्तीय करने से इस समस्या से निजात पाई जा सकती है| बहुत बहुत शुभकामनाएं|
एक उफ नहीं मेरी कभी दुनिया ने सुनी,
सदाये दिल, क्यों सरे बाज़ार सुनाई जाये।
बहुत ही खुबसूरत ग़ज़ल इमरान भाई....बहुत ही बढ़िया...
//पुरसुकूँ, मुझको तो कोई सांस दिलाई जाये,
आओ मिलजुल के कोई बात बनाई जाये।//
आ हा हा ! क्या ताजगी भरा गिरही मतला है
//उन्हें सुनने का सलीका, न समझने का हुनर,
छोड़ो, क्या उनको कोई बात बताई जाये।//
वाह वाह इमरान भाई वाह ! ये हुई ना कुछ बात !
//जुर्म आयद ही नहीं मुफ़्त सज़ायें कब तक,
के ज़मानत, मज़लूम की मंज़ूर कराई जाये।//
क्या वास्तविक स्थिति बयां की है ज़नाब ............वाकई .... जमानत सीधे रास्ते से तो मंजूर होने से रही .......
//ये गिरया, मेरी आँखों से बार-बार गिरें,
है क़ीमते अश्क़ बहुत, ये धार बचाई जाये।//
सही कहा मेरे दोस्त! मगर आज के इस दौर में आंसुओं की सही कीमत समझने वाले बहुत कम हैं.......
//एक उफ नहीं मेरी कभी दुनिया ने सुनी,
सदाये दिल, क्यों सरे बाज़ार सुनाई जाये।//
बहुत सही कहा अपने मित्रवर.........
//तेरी याद के सहरा में भटकता है ये दिल,
‘इमरान’, दरे यार से इक धार चुराई जाये।//
बहुत खूब भाई ........प्यारी सी इस गज़ल के लिए मुबारकबाद क़ुबूल करें ! .........:))
सुन्दर भावों से परिपूर्ण गज़ल । इसमें मतला बहुत अच्छा लगा
ख़ुसूसी तौर में" स्नेह प्रेम की पेंग बढाई जाये" का कोई ज़वाब नहीं।आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |