For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आदरणीय साथियो,

सादर नमन।
.
"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116 में आप सभी का हार्दिक स्वागत है।
"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
विषय : विषय मुक्त
अवधि : 29-11-2024 से 30-11-2024 
.
अति आवश्यक सूचना:-
1. सदस्यगण आयोजन अवधि के दौरान अपनी केवल एक लघुकथा पोस्ट कर सकते हैं।
2. रचनाकारों से निवेदन है कि अपनी रचना/ टिप्पणियाँ केवल देवनागरी फॉण्ट में टाइप कर, लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड/नॉन इटेलिक टेक्स्ट में ही पोस्ट करें।
3. टिप्पणियाँ केवल "रनिंग टेक्स्ट" में ही लिखें, 10-15 शब्द की टिप्पणी को 3-4 पंक्तियों में विभक्त न करें। ऐसा करने से आयोजन के पन्नों की संख्या अनावश्यक रूप में बढ़ जाती है तथा "पेज जम्पिंग" की समस्या आ जाती है। 
4. एक-दो शब्द की चलताऊ टिप्पणी देने से गुरेज़ करें। ऐसी हल्की टिप्पणी मंच और रचनाकार का अपमान मानी जाती है।आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है, किन्तु बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पाए इसके प्रति टिप्पणीकारों से सकारात्मकता तथा संवेदनशीलता अपेक्षित है। देखा गया कि कई साथी अपनी रचना पोस्ट करने के बाद गायब हो जाते हैं, या केवल अपनी रचना के आस पास ही मंडराते रहते हैंI कुछेक साथी दूसरों की रचना पर टिप्पणी करना तो दूर वे अपनी रचना पर आई टिप्पणियों तक की पावती देने तक से गुरेज़ करते हैंI ऐसा रवैया कतई ठीक नहींI यह रचनाकार के साथ-साथ टिप्पणीकर्ता का भी अपमान हैI
5. नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति तथा गलत थ्रेड में पोस्ट हुई रचना/टिप्पणी को बिना कोई कारण बताये हटाया जा सकता है। यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.
6. रचना पोस्ट करते समय कोई भूमिका, अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल/स्माइली आदि लिखने/लगाने की आवश्यकता नहीं है।
7. प्रविष्टि के अंत में मंच के नियमानुसार "मौलिक व अप्रकाशित" अवश्य लिखें।
8. आयोजन से दौरान रचना में संशोधन हेतु कोई अनुरोध स्वीकार्य न होगा। रचनाओं का संकलन आने के बाद ही संशोधन हेतु अनुरोध करें। 
.    
यदि आप किसी कारणवश अभी तक ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार से नहीं जुड़ सकें है तो www.openbooksonline.com पर जाकर प्रथम बार sign up कर लें.
.
.
मंच संचालक
योगराज प्रभाकर
(प्रधान संपादक)

Views: 143

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

श्रवण भये चंगाराम? (लघुकथा):
गंगाराम कुछ दिन से चिंतित नज़र आ रहे थे। तोताराम उनके आसपास मंडराता रहता, लेकिन बतियाता नहीं और न ही कोई रटे हुए जुमले दोहराता। लेकिन आज बोल ही पड़ा तोताराम, "क्या हुआ आज फ़िर आपके लाड़ले 'चंगाराम' ने फोन रिसीव नहीं किया?"
"चंगाराम क्यों बोल रहा मेरे बेटे को? मज़ाक़ मत कर। उसका असली नाम मालूम तो है न तुम्हें! कल ही तो तुम्हें बताया था कि वो बहुत बिज़ी रहता है। दिनों-दिन तरक़्क़ी कर रहा है न!" गंगाराम ने चेहरे पर ख़ुशी के भाव लाने की कोशिश करते हुए कहा।
इसीलिए तो उसे 'चंगाराम' टाइटल दे रहा हूॅं न! चंगाराम 'तरक़्क़ी' कर रहाsss, गंगाराम का फ़ोन काट रहाsss, चंगाराम कौन हैsss? चंगाराम हैsss गंगाराम का 'लाल'! गंगाराम बुढ़ापे में अकेला रह गयाsss!" आदतन तोताराम यह गाते हुए गंगाराम के कंधे पर बैठ कर बोला, "बिटवा विदेश में चंगा है, मज़े में है न! तो तुम काहे को चिंतित रहते हो? जब भी वह अपने मुताबिक़ 'फ्री' होगा, तो तुम्हें कॉल' कर लेगा या 'कॉल बैक' कर लेगा या मुॅंह दिखाई के लिए 'वीडियो कॉल' कर लेगा, है न!"
"हॉं-हॉं, करता तो रहता है! बहुत ख़्याल रखता है मेरा। 'सब कुछ' तो दे दिया और भेजता रहता है मेरी 'सुख-सुविधा' के लिए। वो भी अपने बाल-बच्चों के साथ वहाॅं मज़े में है। विदेश में है, तो क्या हमारा प्यारा 'श्रवण कुमार' ही तो है न!" आइने के सामने खड़े गंगाराम ने अपनी ऑंखों को चमकती दिखाने की कोशिश करते हुए कहा।
तोताराम सब कुछ ताड़ते हुए गाने लगा, "लो भाई, चंगाराम 'श्रवण कुमार' हो गयाsss, गंगाराम को 'वहम' हो रहाsss, नये ज़माने में हाल क्या हो गयाsss, गंगाराम 'बीमार' हो रहाsss, गंगाराम कौन हैsss, गंगाराम है इक बूढ़ेsss का नाम, गंगाराम अकेला रह गयाsss, चंगाराम 'श्रवण' हो गया!"
गंगाराम  दीवार पर टॅंगी अपनी पत्नी की तस्वीर देखते हुए ऑंखों से टपकते मोती समेटने लगा।
(मौलिक व अप्रकाशित)
[मौलिक व स्वरचित लघुकथा शैली 'तोताराम-गंगाराम शैली में अब तक की तीसरी रचना]

हार्दिक बधाई आदरणीय शेख़ शहज़ाद साहब जी।

शुक्रिया आदरणीय तेजवीर सिंह जी। रचना पर कोई टिप्पणी नहीं की। मार्गदर्शन प्रदान कीजिएगा न।

बदलते लोग  - लघुकथा - 

घासी राम गाँव से दस साल की उम्र में  शहर अपने चाचा के पास पढ़ने चला गया था । उसका चाचा एक कालेज में पढ़ाता था।  इसलिये पढ़ने की अच्छी सुविधा थी । वह कभी कभी छुट्टियों में दो चर दिन के लिये  गाँव आता था।अध्यापक संरक्षक होने से फ़ीस में भी रियायत थी। 

वह खेल कूद के साथ पढ़ने में भी तेज था  अतः उसे सेना में बीस साल का होते होते कमीशन मिल गया।। 

अब वह सेवानिवृत होने पर गाँव में ही बसने का मन बना चुका था। बात यह थी कि वह बाप दादा की जमीन जायदाद का अकेला वारिस था। लेकिन वह चालीस साल फ़ौजी जीवन बिताने के बाद वह अब कर्नल जी आर शर्मा बन कर लौटा था।हालाँकि इतने लंबे समय बाहर रहने के बाद गाँव उसे अपने अनुरूप नहीं लगा। 

आज सुबह खेत से लौटते वक्त मेरे से भेंट हो गयी।तो वह अपना दुखड़ा रोने लगा। 

सारी मन की भड़ास निकाल दी,"भाई जी, गाँव में भारी बदलाव हो गया है।

"कैसा बदलाव भाई।

"आप सोचो, जो किशना हमारे खेतों में काम करता था, मुझे बाज़ार मे मिला और मुझसे बोला,"कैसे हो घासिया? सुना है कि अब गाँव में ही बसने का विचार बना लिया है।

मुझे बहुत बुरा लगा। पर किशना की आयु का लिहाज़ करके   चुप रह गया ।

इसमें बुरा मानने का  क्या है?” मैंने कहा।

"कमाल करते हो भाई जी। मैं एक रिटायर्ड फ़ौजी कर्नल हूँ। हमारे खेत में मजदूरी करने वाला मुझे घासिया बुलाता है। क्या यह आपको उचित लगता है ?”

भाई, वह तुम्हारे पिता जी की उम्र का है। वह जब तुम्हारे पिता के खेतों में काम करता था तब भी तुम्हें घासिया ही बुलाता था। इसमें नया क्या है।

"भाई जी, तब की बात अलग थी । अब मेरी हैसियत तो देखो।

“"भाई जी, बदल तो असल में तुम गये हो। तुम्हारे जिस्म में फ़ौजी घुस गया है। गाँव तो वैसा ही है। गाँव के लिये तो तुम घासिया ही थे, आज भी घासिया हो  और हमेशा वही रहोगे।" 

मौलिक एवं अप्रकाशित

आदाब। उम्दा विषय, कथानक व कथ्य पर उम्दा रचना हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय तेजवीर सिंह साहिब। बस आरंभ में कसावट की गुंजाइश लगती है।

हार्दिक आभार आदरणीय शेख़ शहज़ाद साहब जी।

 लापरवाही

' आपने कैसी रिपोर्ट निकाली है?डॉक्टर बहुत नाराज हैं।' 

' क्या हुआ?' लैब इंचार्ज ने कुपिता से पूछा।

' क्या नहीं हुआ,पूछो।' कुपिता ने रिपोर्ट के पन्ने लैब इंचार्ज के मुँह पर दे मारा,

बोली,' पढ़ो,फिर बोलो।

' ठीक तो है।थायराइड की जाँच हुई है। हाँ,रीडिंग थोड़ी गड़बड़ है। दवा लगेगी।लंबी चलती है।' लैब इंचार्ज ने अपने ज्ञान का प्रदर्शन किया।

' अबे कलमुँहे!पुर्जा पढ़ो,डॉक्टर वाला। ' 

लैबवाले ने डॉक्टर का पुर्जा पढ़ा।फिर जरा धीमी आवाज में लापरवाही से सिर झुकाकर बोला,' टाइफॉयड के बदले थायराइड की जाँच हो गई है।हो जाता है। फिर से कर देता हूँ।' 

"मौलिक एवं अप्रकाशित"

आदाब। चेताती हुई बढ़िया रचना। हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह साहिब। लगता है कि इस बार तात्कालिक लेखन हुआ। जिस तरह संवाद अनुसार पात्र का नाम 'कुपिता' रखा है,उसी तरह शीर्षक के लिए 'लापरवाही' की जगह बेहतर शब्द चुना जा सकता था मेरे विचार से। हमारे यहां तो डॉक्टर का 'पर्चा/पर्ची' कहते हैं 'पुर्जा' नहीं। क्या टंकण त्रुटि हुई है?

हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह जी।

आभार आदरणीय तेजवीर जी।

आपका हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी।बेहतर शीर्षक के बारे में मैं भी सोचता हूं। हां,पुर्जा लिखते हैं।

आ. भाई मनन जी, सादर अभिवादन। सुंदर रचना हुई है। हार्दिक बधाई।

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"हार्दिक स्वागत आपका और आपकी इस प्रेरक रचना का आदरणीय सुशील सरना जी। बहुत दिनों बाद आप गोष्ठी में…"
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"शुक्रिया आदरणीय तेजवीर सिंह जी। रचना पर कोई टिप्पणी नहीं की। मार्गदर्शन प्रदान कीजिएगा न।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"आ. भाई मनन जी, सादर अभिवादन। सुंदर रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
Saturday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"सीख ...... "पापा ! फिर क्या हुआ" ।  सुशील ने रात को सोने से पहले पापा  की…"
Saturday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"आभार आदरणीय तेजवीर जी।"
Saturday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"आपका हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी।बेहतर शीर्षक के बारे में मैं भी सोचता हूं। हां,पुर्जा लिखते हैं।"
Saturday
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह जी।"
Saturday
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"हार्दिक आभार आदरणीय शेख़ शहज़ाद साहब जी।"
Saturday
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"हार्दिक बधाई आदरणीय शेख़ शहज़ाद साहब जी।"
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"आदाब। चेताती हुई बढ़िया रचना। हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह साहिब। लगता है कि इस बार तात्कालिक…"
Saturday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
" लापरवाही ' आपने कैसी रिपोर्ट निकाली है?डॉक्टर बहुत नाराज हैं।'  ' क्या…"
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"आदाब। उम्दा विषय, कथानक व कथ्य पर उम्दा रचना हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय तेजवीर सिंह साहिब। बस आरंभ…"
Friday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service