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प्रधान संपादक "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक 27 में स्वीकृत लघुकथाएँ(1). श्री मोहम्मद आरिफ जी मुक्ति . "बेचारे को आज मुक्ति मिल ही गई ।" राम प्रसाद ने गहरी साँस छोड़ते हुए कहा । पास ही खड़े दिवाकर ने जिज्ञास… Started by योगराज प्रभाकर |
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Jul 20, 2017 Reply by Manisha Saxena |
"ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-27 (विषय: भंवर)आदरणीय साथिओ, सादर नमन। . "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" के पिछले 26 अंकों में हमारे साथी रचनाकारों ने जिस उत्साह से इसमें हिस्सा लिया और इसे स… Started by Admin |
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Jul 1, 2017 Reply by Sheikh Shahzad Usmani |
प्रधान संपादक "ओबीओ लघुकथा गोष्ठी" अंक-24 में सम्मिलित लघुकथाएँ(1). श्री मोहम्मद आरिफ जी सच्चा प्यार. समीर ने जवान लड़की को हाथों में उठाए घर में प्रवेश किया ।माँ शुभांगी कुछ समझ नहीं पाई ।आख़िर माजरा क्य… Started by योगराज प्रभाकर |
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Jun 7, 2017 Reply by Mahendra Kumar |
प्रधान संपादक ओबीओ लाईव लघुकथा गोष्ठी अंक-26 में स्वीकृत लघुकथाएँ(1). सुश्री नयना(आरती)कानिटकर जी "घर का वैरागी" . "बेटा अब मैं अपने घर लौटना चाहती हूँ. वहाँ भी सब देखना-भालना होगा न!।" "माँ लेकिन वह… Started by योगराज प्रभाकर |
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Jun 7, 2017 Reply by योगराज प्रभाकर |
प्रधान संपादक ओबीओ लाईव लघुकथा गोष्ठी अंक-25 में स्वीकृत लघुकथाएँ(1). योगराज प्रभाकर सावन का अँधा . युवा कवयित्री कनिका को अचानक सामने पाकर साठ से अधिक वसंत देख चुके सत्यार्थी जी एकदम चौंक उठेI लगभग एक व… Started by योगराज प्रभाकर |
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Jun 3, 2017 Reply by Tasdiq Ahmed Khan |
प्रधान संपादक "ओबीओ लघुकथा गोष्ठी" अंक-23 में स्वीकृत लघुकथाएँ(1). सुश्री सीमा सिंह जी दूध का जला “चलो, अविनाश, तुम भी हमारे साथ चलो! आज ओडियन में फिल्म देखने का प्रोग्राम है।” नेगी मैडम ने मुस्कुरा… Started by योगराज प्रभाकर |
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Mar 9, 2017 Reply by योगराज प्रभाकर |
प्रधान संपादक "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-22 में स्वीकृत लघुकथाएँ(1). श्री मिथिलेश वामनकर जी ढहते किले का दर्द “आइये पंडितजी, आइये, बैठिये।” “ठाकुर साहब ये क्या सुन रहा हूँ? आप पुत्री के विवाह के लिए सह… Started by योगराज प्रभाकर |
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Feb 8, 2017 Reply by Manan Kumar singh |
प्रधान संपादक "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-21 में सम्मिलित सभी लघुकथाएँ(1). श्री विजय जोशी जी दोयम दर्जा . 'रागिनी ज़िद छोड़ दो।' 'कोई और रास्ता अपना लो।' 'खुले आसमान के नीचे रहना ज्यादा आसान है, किन्तु हम गरीब… Started by योगराज प्रभाकर |
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Jan 11, 2017 Reply by Sudhir Dwivedi |
प्रधान संपादक "ओबीओ लाईव लघुकथा गोष्ठी" अंक-20 की सभी रचनाएँ(1). योगराज प्रभाकर"पर्दे".“मारो-मारो” की आवाजें हर तरफ से उठ रहीं थीI लाठियाँ और तलवारें हवा में लहराते हुए इतने बड़े हुजूम के बीच घिरा हुआ… Started by योगराज प्रभाकर |
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Dec 2, 2016 Reply by TEJ VEER SINGH |
प्रधान संपादक "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-19 की सभी रचनाएँ (विषय:पलायन)(1). डॉ विजय शंकर जी पलायन . चारों तरफ हाहाकार मचा हुआ था। अब तो हद हो गई , क़ानून व्यवस्था इस कदर पंगु हो गई , लोग इस कदर निडर हो गए कि जै… Started by योगराज प्रभाकर |
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Nov 4, 2016 Reply by योगराज प्रभाकर |
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