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munish tanha's Discussions (683)

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सदस्य कार्यकारिणी

"ठीक है "

munish tanha replied Aug 7, 2017 to ओबीओ साहित्योत्सव देहरादून 9 सितम्बर 2017

60 Sep 9, 2017
Reply by Sheikh Shahzad Usmani

सदस्य कार्यकारिणी

"मैं आ रहा हूँ"

munish tanha replied Aug 7, 2017 to ओबीओ साहित्योत्सव देहरादून 9 सितम्बर 2017

60 Sep 9, 2017
Reply by Sheikh Shahzad Usmani

"आई नज़र वो चाँद सी सूरत कहाँ कहाँ फैली हुई है प्यार की दौलत कहाँ कहाँ . गम साथ आदमी…"

munish tanha replied Jul 28, 2017 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-85

376 Jul 29, 2017
Reply by Gajendra shrotriya

"अजीब शोर था खामोशियों में भी उसकी न जाने कौन दिले रहगुज़र से निकला था वाह साहिब क्या…"

munish tanha replied May 27, 2017 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-83

467 May 28, 2017
Reply by sunanda jha

"दिशाऐं कैसे समझ पायेगा वो शख्स जिसेखबर नहीं है की सूरज किधर से निकला था वाह क्या बात…"

munish tanha replied May 27, 2017 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-83

467 May 28, 2017
Reply by sunanda jha

"चलो ये ठीक है पत्थर सही मैं पर सुन लोसड़क का रास्ता कच्ची डगर से निकला था वाह साहिब ब…"

munish tanha replied May 27, 2017 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-83

467 May 28, 2017
Reply by sunanda jha

"बहुत संभाल के रक्खा है हमने सीने मेंवो एक तीर जो तेरी नज़र से निकला था आदरणीय समर कब…"

munish tanha replied May 27, 2017 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-83

467 May 28, 2017
Reply by sunanda jha

"बता कहाँ से दिखा पायेगा  मकां  तुझको    जब खिड़कियाँ रखी हैं बंद दर से निकला था आदरण…"

munish tanha replied May 27, 2017 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-83

467 May 28, 2017
Reply by sunanda jha

"न जाने  कौन  सी राहें  निगल  गईं  उसकोकभी न लौट के आया जो घर से निकला था। वाह साहिब…"

munish tanha replied May 27, 2017 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-83

467 May 28, 2017
Reply by sunanda jha

"हुई जो शाम तो दरिया में जा के डूब गयावो शम्स जो के सुहानी सहर से निकला था वाह साहिब…"

munish tanha replied May 27, 2017 to "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-83

467 May 28, 2017
Reply by sunanda jha

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शेष रखने कुटी हम तुले रात भर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

212/212/212/212 **** केश जब तब घटा के खुले रात भर ठोस पत्थर  हुए   बुलबुले  रात भर।। * देख…See More
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"आदरणीय चेतन भाईजी,  प्रस्तुति के लिए हार्दि बधाई । लेकिन मात्रा और शिल्पगत त्रुटियाँ प्रवाह…"
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अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ भाईजी, समय देने के बाद भी एक त्रुटि हो ही गई।  सच तो ये है कि मेरी नजर इस पर पड़ी…"
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अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय लक्ष्मण भाईजी, इस प्रस्तुति को समय देने और प्रशंसा के लिए हार्दिक dhanyavaad| "
18 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश भाईजी, आपने इस प्रस्तुति को वास्तव में आवश्यक समय दिया है. हार्दिक बधाइयाँ स्वीकार…"
20 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी आपकी प्रस्तुति के लिए हार्दिक धन्यवाद. वैसे आपका गीत भावों से समृद्ध है.…"
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लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त चित्र को साकार करते सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
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अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"सार छंद +++++++++ धोखेबाज पड़ोसी अपना, राम राम तो कहता।           …"
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Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
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