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गीत नवगीत - " दीपावली "

दीप जलाओ , दिल से जलाओ -

.
गणेश बिठाते माता बिठाते ,
दशहरे पर रावण भी जलाते | 
दिल में बुराई जो है जलाओ ,
दीपोत्सव तब ख़ास मनाओ || 
कितने ही तुम दीप जलाये  ,
मैं कहता तुम दिल से जलाओ | 
दिल की गंदगी बाहर आये ,
सच्चे दिल से ख़ुशियां मनाओ || 
कितनी भरी है वासना दिल में ,
दीपक संग दिल को भी जलाओ | 
दीपोत्सव के शुभ अवसर पर ,
पवित्र मन से दीप जलाओ || 
दीप जले तो मिटे अँधेरा ,
बुरी नीयत को भी जलाओ | 
दिल अच्छा और नीयत अच्छी ,
अच्छा मानव बनके बताओ || 
अभी तो बचपन ही है तुम्हारा ,
फंस गये क्यों वासना के चक्कर ?
अच्छे विचार और जनहित सेवा ,
करके अपनी कीमत बनाओ || 
दिल देना सद्भावना रखना ,
टूटे दिल के  दीप जलाना | 
विश्वास और उम्मीद से दुनिया ,
चलती अपना जीवन सजाओ || 
.
(अप्रकाशित व मौलिक)

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Comment by Saurabh Pandey on November 14, 2018 at 10:57pm

आपका इस पटल पर आपका स्वागत है, आदरणीय श्रीपूजन जोधपुरी जी। 

आपकी किसी प्रस्तुति से पहली बार ग़ुज़रने का अवसर मिल रहा है। आपने जो कुछ प्रस्तुत किया है, उसे किसी विधा विशेष का नाम देने के पूर्व उस विधा की मूलभूत जानकारी भी अवश्य प्राप्त करें। 

आपसे सतत एवं दीर्घकालिक प्रयास की अपेक्षा है।

शुभातिशुभ 

सादर 

Comment by sripoonam jodhpuri on November 13, 2018 at 9:53pm
श्रीमानजी , इस नवगीत में मात्राओं से ज्यादा इसका भावार्थ ज्यादा मायने रखता है | वैसे इसकी गायकी संतुलित है | धन्यवाद
Comment by Samar kabeer on November 11, 2018 at 6:57pm

जनाब श्रीपूनम जोधपुरी जी आदाब,ओबीओ पर पहली बार आपकी रचना पढ़ने का अवसर मिला है ।

गीत का प्रयास अच्छा है,लेकिन शिल्प और मात्रा अभी कुछ और समय चाहती हैं,कृपया बताने का कष्ट करें कि इसकी मात्राएँ क्या हैं?

इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

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